तो क्या शेरसिंह राणा का कन्धा ही इस्तेमाल कर रहे थे सामाजिक संगठन

Gyan Darpan
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शेरसिंह राणा फूलनदेवी की हत्या के आरोप से वर्षों बाद जेल से छुटे तो क्षत्रिय समाज के सामाजिक संगठनों में शेरसिंह राणा का अभिनंदन करने की होड़ सी लग गई थी| ज्यादातर सामाजिक संगठन अपने आपको शेरसिंह राणा को अपना नजदीकी प्रचारित करना चाहते थे, यही कारण था बहुत से सामाजिक संगठनों ने शेरसिंह राणा को लेकर कार्यक्रम आयोजित किये, उन कार्यक्रमों में राणा की झलक पाने व उसे सुनने के लिए हजारों की भीड़ भी उमड़ी | यानी जो संगठन अपने बूते थोड़ी सी भीड़ नहीं जुटा पाते, उन्होंने भी राणा के नाम पर सफल कार्यक्रम आयोजित कर अपनी दुकान जमा ली |

तिहाड़ जेल तोड़कर तालिबानी राज में अफगानिस्तानी से पृथ्वीराज की कथित कब्र खोदकर उनकी अस्थियाँ भारत लाने के बाद शेरसिंह राणा क्षत्रिय समाज में स्वाभिमान के प्रतीक समझे गए | खासकर क्षत्रिय युवा में राणा के उक्त कार्य से बहुत प्रभावित है और यही कारण है क्षत्रिय युवाओं में राणा के प्रति जबरदस्त क्रेज है जो लेखक ने स्वयं हरियाणा में उनकी परिवर्तन यात्रा के दौरान प्रत्यक्ष देखा है| यदि कहा जाय कि युवाओं के मन में राणा के प्रति इसी क्रेज को बहुत से क्षत्रिय सामाजिक संगठन भुनाना चाहते थे| यही कारण था कि जेल से छूटते ही लगभग संगठनों ने राणा को अपने यहाँ बुलाया|

लेकिन जब से शेरसिंह राणा ने राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी का गठन किया है, लगभग क्षत्रिय संगठनों ने उनसे किनारा कर लिया| जो साफ़ दर्शाता है कि ये संगठन शेरसिंह राणा की बढ़ी लोकप्रियता को अपने लिए खतरा समझने लगे हैं | हद तो तब हो गई हरियाणा में जिस राजपूत समाज को आजतक भाजपा ने अपना मानसिक गुलाम समझ कभी पूछा तक नहीं, उसी भाजपा ने शेरसिंह राणा द्वारा हरियाणा में चलाये जा रहे राजनैतिक अभियान से घबरा कर पहली बार हरियाणा के राजपूत संगठनों को मुख्यमंत्री खट्टर ने आमंत्रित किया और समाज को ज्यादा टिकटें देने का झांसा दिया| यही नहीं भाजपा ने राजपूतों को भ्रमाने के लिए केन्द्रीय मंत्री तोमर को हरियाणा का चुनाव प्रभारी बनाया और बैठक में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत को भी बुलाया और उनके मुंह से राणा का नाम लिए बगैर कहलाया कि राजपूत इन लोगों के चक्कर में नहीं आये|

खैर…भाजपा को अपनी राजनीति करनी है सो वो करेगी, लेकिन सामाजिक संगठनों की बेशर्मी की हद देखिये कि जो कल तक अपनी दुकान चलाने के लिए शेरसिंह राणा को इस्तेमाल कर रहे थे, वे खट्टर साहब की मीटिंग में चाय बिस्किट खाने चले गए और अब शेरसिंह राणा की टांग खींचने में लगे है| अब हरियाणा के आम राजपूत को सोचना है कि उन्हें पूर्व की भाँती भ्रम में रहना है या फिर अपना झंडा बनाने के शेरसिंह राणा के अभियान को सफल बनाना है| हरियाणा का राजपूत समाज एक बात समझ ले राणा के अभियान के डर से आज मुख्यमंत्री खट्टर ने समाज को सिर्फ बुलाकर पूछा है, सोचो जिस दिन राणा का झंडा मजबूत हो जायेगा उस दिन भाजपा आपको कितना पूछेगी !

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