और इस तरह RSS ने हिन्दुत्त्व से जातिवाद का उन्मूलन कर दिया

Gyan Darpan
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कल फेसबुक पर दिनभर RSS के स्वयं सेवकों के पोस्ट पढने पर ज्ञानवर्धन हुआ कि अब संघ हिन्दू धर्म में एकता स्थापित करने के लिए जातिवाद ख़त्म करेगा| दिनभर ऐसे पोस्ट पढने के बाद सोने से पहले उन संभावित प्रयासों व कार्यक्रमों पर मनन किया, जिनके द्वारा RSS इस कार्य में सफल हो सकता है| लेकिन इसमें कुछ विरोधाभाष थे जो मुझे परेशान कर रहे थे| जैसे हिन्दू धर्म में वर्ण व्यवस्था है, उसी आधार पर जातियां बनी है| हमारा संविधान जातीय आधार पर व्यक्ति को विशेष सुविधाएँ है जिसके वशीभूत कोई कितनी ही छोटी जाति का क्यों ना हो वो अपनी जाति छोड़ने का लोभ छोड़ ही नहीं सकता|

इस तरह के द्वंद्वात्मक प्रश्नों में उलझे हुए मुझे नींद ने घेर लिया| नींद में भी RSS के आयोजनों ने आ घेरा| सपने में हिन्दुओं को एक करने के आयोजन चलचित्र की तरह नजर आने लगे| उनमें मैं देख रहा था- जातिवाद पैदा करने की कथित जिम्मेदार मनुस्मृति को दलितों द्वारा जलाए जाने के कार्यक्रम में RSS के स्वयं सेवक बड़ी ख़ुशी से शामिल हो रहे थे| संघ का एक वरिष्ठ स्वयंसेवक अपने उदबोधन में दलितों से माफ़ी मांगते हुए कह रहा था कि हमें मनुस्मृति का यह अपराध इतने दिनों बाद पता चला, पहले पता चल जाता तो वे कंधे से कन्धा मिलाकर साथ देते, खैर देर आये दुरस्त आये, अब ऐसे कार्यक्रमों में हम पीछे नहीं रहेंगे|

इस कार्यकम के समाप्त होते ही सपने में दूसरे कार्यक्रम का चलचित्र शुरू हो गया| मैंने देखा- संघ के एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है, जिसमें दलितों को घर-घर जाकर आमंत्रित कर बड़ी संख्या में लाया गया है| यह कार्यक्रम हिन्दुत्त्व से जाति उन्मूलन पर विशेष केन्द्रित है, अत: जातिवाद ख़त्म करने के लिए RSS के स्वर्ण सेवकों में दलित दामाद चयन करने की होड़ लगी है| इस दृश्यों में मैंने देखा- कई पिछड़े भी जिनकी जाति में बेटियों की संख्यानुपात कम है वे भी स्वर्ण दुल्हन पाने के लिए बड़ी ख़ुशी से RSS की शाखाओं में जाने लिए बांड भरने तक तैयार हैं| चारों और उल्लास का माहौल है| ऐसा लग रहा था, मानों संघ ने हिन्दुत्त्व से जातिवाद को दूध से मक्खी की तरह निकाल बाहर फैंक दिया है| फिर भी मेरे जैसे कुछ घनघोर जातिवादी इस कार्यक्रम से चिड़कर नोटा गैंग बनाने में मशगुल नजर आये|

इतनी ही देर में कॉलोनी के विकास की पैदाइस एक मच्छर ने काट खाया और मेरी नींद खुल गई| तब से सोच रहा हूँ कि क्या RSS के स्वर्ण स्वयमंसेवक हिन्दुत्त्व से जाति उन्मूलन के लिए दलितों से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर इसका सकारात्मक सन्देश देंगे या फिर अन्य दलों की तरह अपना वोट बैंक बनाने के लिए ये चिकनी-चुपड़ी बातें कर दलितों को भरमाने का प्रयास करेंगे| क्योंकि आजतक समानता की बात करने वाले हर दल ने दलितों को इस बहाने ठगा ही है|

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