जयचंद व मानसिंह नहीं इतिहास में तुम्हें कौम का गद्दार लिखा जायेगा

Gyan Darpan
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सोसियल मीडिया में आजकल क्षत्रिय बंधुओं में अजीब जंग छिड़ी हुई है| दरअसल क्षत्रिय समाज यानी राजपूत शुरू से ही भाजपा का परम्परागत वोट बैंक रहा है और राजपूतों ने भाजपा को सत्ता के शिखर तक पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है| पर जब से केंद्र में भाजपा की सरकार बनी है तब से राजपूत अपने आपको उपेक्षित समझ रहे है, खासकर पद्मावत फिल्म, आनन्दपाल एनकाउन्टर, जयपुर राजमहल, चुतर सिंह एनकाउन्टर, सहारनपुर में हुए दलित-राजपूत दंगा प्रकरण में भाजपा की भूमिका से राजपूत समाज नाराज है| इसी नाराजगी में प्रमोशन में आरक्षण, SC/ST Act को लेकर सुप्रीमकोर्ट के निर्णय को निष्प्रभावी बनाने के लिए विधेयक लाने के कार्य में आग में घी डालने का कार्य किया है| इन्हीं नाराजगियों को क्षत्रिय बंधू सोशियल मीडिया में अभिव्यक्त कर रहे हैं|

पर इसके विपरीत संघ व भाजपा की विचारधारा से पूर्ण ओतप्रोत राजपूत बंधुओं को अपने स्वजातियों का विरोध पच नहीं रहा और वे भाजपा के खिलाफ असंतोष व्यक्त कर रहे अपने स्वजातियों पर ऐसे टूट कर पड़ रहे हैं जैसे उन्हें संघ-भाजपा ने राजपूत असंतोष दबाने की सुपारी दे रखी हो| यही नहीं सोशियल मीडिया में भाजपा भक्त राजपूत जब विरोधी राजपूतों से तर्कपूर्ण बहस नहीं कर पाते तो वे ओछी हरकतों पर आ जाते हैं| उनका तर्क होता है जो हिन्दुत्त्व व राष्ट्रवादी शक्तियों का विरोध करता है वह राजपूत नहीं होता| यानी उनकी बात ना मानने वाला उनकी नजर में राजपूत ही नहीं होता| यही नहीं जब इन भाजपाई राजपूतों के पास जिन्हें सोशियल मीडिया में आजकल भाजपूत नाम दिया गया है, जबाब नहीं होते तो वे कन्नौज नरेश महाराज जयचंद व राजा मानसिंह का नाम बहस में घसीटते है और अपने ही महान पूर्वजों को गद्दार की संज्ञा देते हुए भाजपा से नाराज राजपूतों को गद्दार साबित करने की कोशिश करते हैं|

ऐसा करते हुए उन्हें नहीं पता कि वे अपने समाज के साथ कितनी बड़ी गद्दारी कर रहे हैं| एक तरफ उपेक्षित समाज अपनी प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई में व्यस्त है वहीं ये पार्टीपूत समाज की प्रतिष्ठा के बजाय अपनी पार्टी की वफ़ादारी निभाने में लगे हैं जो समाज के प्रति गद्दारी से कम नहीं| आज बेशक ये पार्टी वफादार अपने ही समाज के लोगों की हिन्दुत्त्व व राष्ट्रवाद के नाम पर आवाज दबाने का कुकृत्य कर अपनी पार्टी में वाहवाही लूट रहे हों, पर वर्तमान पर लिखे जाने वाले सामाजिक इतिहास में इन्हें समाज का सबसे बड़ा गद्दार ही लिखा जायेगा| राजा मानसिंह व महाराज जयचंद ने जो किया वह इतिहास में दर्ज है पर उसकी गलत व्याख्या कर उन्हें गद्दार ठहराने वालों के कुकृत्य समाज के सामने है, उसके लिए ऐतिहासिक तथ्यों के शोध व प्रमाण की कोई आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी, क्योंकि उनकी गद्दारी प्रत्यक्ष नजर आ रही है अत: इतिहास में उनका नाम एक गद्दार के रूप में ही अंकित होगा|

कोई भी समाज बंधू संविधान प्रदत अधिकारों के अनुसार किसी भी राजनैतिक दल का समर्थन कर सकता है, उस पर किसी को कोई ऐतराज नहीं| आज भाजपा में असंख्य राजपूत विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री, मंत्री व पार्टी पदों पर आसीन है, उनसे किसी को कोई तकलीफ नहीं, बेशक वे समाजहित में आवाज उठायें या ना उठायें, क्षत्रिय समाज भी नहीं चाहता कि वे अपने पद छोड़कर आयें| पर जो लोग पार्टी हित में समाज की आवाज दबाने का कुकृत्य कर रहे है उनके नाम निसंदेह इतिहास में समाज के गद्दार के रूप में दर्ज होने तय है|

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