
कई बार सोचता हूं कि सरकार ने भी सोशियल मीडिया में भड़ास निकालने की छुट शायद इसीलिए दे रखी है कि तुम जैसे लोग अपनी भड़ास सड़कों पर व चुनावों में इनके खिलाफ वोट देकर निकालने के बजाय सोशियल मीडिया में डायलोग लिखकर अपनी भड़ास निकाल लो| जिससे न तो किसी राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है न किसी नेता को प्रत्यक्ष विरोध, घेराव आदि का सामना करना पड़ता है| इस तरह सोशियल मीडिया में भड़ास निकालकर तुम भी खुश और ये आरक्षण समर्थक नेता भी खुश|
पर हे प्यारे सामान्य वर्ग तुमने कभी ये सोचा कि ये सत्ताधारी दल व अन्य आरक्षण समर्थक दल हर बार आरक्षण का दायरा बढाने का निर्णय क्यों लेते है ? आरक्षण बढ़ाकर तुम्हारे हितों पर कुठाराघात करने के इस प्रयोजन का जिम्मेदार कौन है ? कौन है वे लोग वो जो तुम्हारे बच्चों को योग्यता के बावजूद सरकारी नौकरियों में मिलने वाले मौकों में छिनकर आरक्षण के आधार पर अयोग्य लोगों को देने पर तुले है ?
तुन्हें तो शायद एक ही जबाब सूझेगा कि -वोट बैंक की राजनीती इसके लिए जिम्मेदार है |यह सारा दोष वोट के लालची नेताओं का है |
पर मेरे प्यारे सामान्य वर्ग तुमने कभी ये सोचा कि वोट बैंक के लालच ये परिस्थितियां बनी कैसे ? अब लोकतंत्र में बिना वोट बैंक के तो कोई दल चुनाव जीतकर सत्ता के गलियारों में पहुँच नहीं सकता इसलिए वोट बैंक के लालची राजनैतिक दलों का क्या दोष ?
इस तरह मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हे सामान्य वर्ग ! इस आरक्षण रूपी महामारी से पीड़ित होने में तुम्हारा ही दोष है| किसी राजनैतिक दल का नहीं| अरे राजनेताओं को तो सत्ता चाहिए और वो वोट बैंक से मिलती है जो तुम्हारे पास है नहीं| और इस वक्त तो भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी सरकार को अगला चुनाव जीतने के लिए वोट बैंक की सख्त जरुरत है इसलिए वो आरक्षण का दायरा बढ़ाकर व प्रमोशन में आरक्षण का लाभ देने जैसे औजारों से चुनाव जीतने का मानस बनाये बैठी है तो वे तुम्हारे लिए आरक्षण ख़त्म कर अपने पैरों पर क्यों और कैसे कुल्हाड़ी मारे ?
इसलिए हे प्यारे सामान्य वर्ग लोकतंत्र में वोट बैंक का महत्व समझ और एक होकर अपना वोट बैंक बना फिर देख ये ही राजनेता जो आज आरक्षण का जोर जोर से ढोल पीट रहे है| इसका दायरा बढाने को लालायित है| कल इसी आरक्षण के खिलाफ खड़े होंगे| जब तूं भी वोट बैंक बन जायेगा और तेरा वोट बैंक किसी भी दल को सत्ता की सीढियों तक पहुँचाने में सक्षम होगा तब देखना आरक्षण के इन्हीं समर्थक दलों को आरक्षण देश के लिए अभिशाप दिखने लगेगा,देश की वर्तमान बिगड़ी हालात का जिम्मेदार दिखने लगेगा, देश की प्रगति में बाधक नजर आने लगेगा और वे इसे ख़त्म करने के लिए जी जान से जुट जायेंगे|
पर ये हो तभी सकता है जब हे प्यारे सामान्य वर्ग तूं आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट हो जाए और लोकतंत्र में वोट के महत्व को समझते हुए एक ताकतवर वोट बैंक बन जाये| इसलिए अब किसी नेता या दल को कोसना बंद कर और आने वाले चुनावों में एकजुट होकर आरक्षण समर्थकों के खिलाफ वोट देकर इन्हें अपने वोट की अहमियत समझा | उस वोट की अहमियत समझा जिसकी असंगठित होने के चलते किसी राजनैतिक दल ने आजतक हैसियत ही नहीं समझी|
सादर
तुम्हारा हितैषी
बहुत तीखा प्रहार किया है आपने इस मुद्दे पर ,बहुत बढ़िया पोस्ट है । एक बार मेरे ब्लॉग पर भी पधारे ,आपका बहुत आभार होगा - harshprachar.blogspot.com
जवाब देंहटाएंजय हो महाराज ... बेहद काम का ज्ञान दिये आज ... बस इस पर अमल कर लें लोग तो असली मजा आए ... आभार !
जवाब देंहटाएंमुझ से मत जलो - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
रतन जी गैर आरक्षित वर्ग को यह जतन करना ही पड़ेगा वरना यह वतन उन्हें अमन से जीने न देगा.सार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंएक और बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाइयाँ !
जवाब देंहटाएंबिल्कुल दुरुस्त बिंदास
जवाब देंहटाएंjai ho....:)
जवाब देंहटाएंbahut sundar vyangya !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (08-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
विचारणीय पोस्ट .....
जवाब देंहटाएंजिस दिन ये सब हट जाएगा उस दिन दलीत को पता चल जाएगा कि आरक्षण के नाम पर उनसे क्या क्या छिनाने की कोसीस हो रही थी
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच्ची बात कही शेखावत जी सच में इसका दोषी अन्य कोई नही खुद सामान्य वर्ग ही है जो अपेक्षा से ज्यादा वुद्धिजीवी दिखाता है और वास्तव में है वुद्धुजीवी कारण,"कितने भी मंत्र पढ़ लो तुम कितने भी पण्डित बैठालो यज्ञ तभी तो पूरा होगा जब यज्ञ कुण्ड में समिधा डालो।" "बाँट लिया तुमने अपने को वनिया,ठाकुर,पण्डित वनकर आरक्षण का दैत्य मरे जब आप खड़े हो सारे मिलकर"हमारा समाज आरक्षण का दंश झेल रहा है इसका एक ही उपाय है वोट,वोट और वोट
जवाब देंहटाएंपिताजी का,माताजी का,भैया का भाभी का, ताऊ,ताई का चाचा चाची का बहिन का सबका वोट पड़े तव समझ में आए इन नेताओ को।अभी नये-2 षडयंत्र चल रहै है देश के वास्तविक नागरिको (हिन्दु)को तोड़ने के जिससे सतर्क रहना होगा http://ayurvedlight.blogspot.in/
हिन्दुस्तान को और आगे टूटने से बचाने के लिए भी अब एक जुटता ज़रूरी .बढ़िया पोस्ट .हिन्दुस्तान को वोटिस्तान बनने दो प्यारे ,हो जायेंगे वारे के न्यारे ,हो जा तू भी वोटबैंक ,छोड़ ज़हानत को ,निकल घर से बूथ तक पहुँच ,अब और कुछ मत सोच .
जवाब देंहटाएंram ram bhai
रविवार, 9 सितम्बर 2012
रैड वाइन कर सकती है ब्लड प्रेशर कम न हो इसमें एल्कोहल ज़रा भी तब .
राजनीति की घातें और प्रतिघातें..
जवाब देंहटाएंहम सभी को एक होना होगा ,फुट अपने ही डालने में जुटे है .
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लाग पर जरुर आएयेगा
Accha hai .... shayad aapki post padhkar general logo ko bharat ke savidhaan me kuch aastha aaye aur wo salike se jiye
जवाब देंहटाएंbhut ache vichar hai,yahi asliyat hai is desh ki
जवाब देंहटाएंकटु पर सत्य लेख है
जवाब देंहटाएंराजपूत जाटों से निपट ले तो दलितों की तो वैसे भी कोई औकात नहीं है. जाटों से निपट तो हम भी लेते पर हमारे समाज की आबादी कम है और बलिहारों की हत्या के बाद कमज़ोर पड़ गए हैं.
जवाब देंहटाएंरतन सिंह शेखावत जी आपने कटाक्ष बहुत अच्छा लिखा है, कृपया अपना मसेज देखें बस इतना ही कहूँगा आप शायद यह भी जानते होंगे अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता फेस बुक के अलावा जमीनी स्तर पर वर्ष में 6 से 7 बार प्रोग्राम भी आयोजित किये जा रहे हैं, हाँ यह अवश्य है इन आयोजनों में शामिल होने वाले कार्यकर्त्ता वही हैं जो हर बार होते है जितने नए कार्यकर्ता जुड़ते हैं उतने पुराने कम हो जाते हैं !
जवाब देंहटाएंआप अगर इस कटाक्ष में सिर्फ इतना जोड़ देते फेस बुक पर *अखिल भारतीय आरक्षण विरोधी मोर्चा* इसके विरोध में धरने प्रदर्शन लगातार कर रहा है परन्तु प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सुपोर्ट नहीं कर रही है, यहाँ तक की कवरेज करके ले जाते है परन्तु न तो अखबारों में छापते हैं और न ही टीवी पर डिस्प्ले करते हैं कारण सिर्फ एक हो सकता है मुद्दे के प्रति गंभीर नहीं है, और पैसे के बिना अख़बार या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तो छोडिये अपने को कट्टर आरक्षण विरोधी बताने वाले भी पत्रिकाओं में या अपने लेख या सम्पादकीय में आयोजित किये जा रहे प्रोग्रामो की चर्चा तक बिना पैसे लिए नहीं करना चाहते,
और जब लोगो को यह पता ही नहीं लगेगा कि आरक्षण का विरोध करने के लिए कैसे संगठित हुआ जाये या कोन सा संगठन कार्य कर रहा ही तब तक लोग जुड़ेंगे कैसे !
*अखिल भारतीय आरक्षण विरोधी मोर्चा* एवं *आरक्षण विरोधी पार्टी*
https://www.facebook.com/AllIndiaAntiReservationFront
रतन सिंह शेखावत जी आपने कटाक्ष बहुत अच्छा लिखा है, कृपया अपना मसेज देखें बस इतना ही कहूँगा आप शायद यह भी जानते होंगे अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता फेस बुक के अलावा जमीनी स्तर पर वर्ष में 6 से 7 बार प्रोग्राम भी आयोजित किये जा रहे हैं, हाँ यह अवश्य है इन आयोजनों में शामिल होने वाले कार्यकर्त्ता वही हैं जो हर बार होते है जितने नए कार्यकर्ता जुड़ते हैं उतने पुराने कम हो जाते हैं !
जवाब देंहटाएंआप अगर इस कटाक्ष में सिर्फ इतना जोड़ देते फेस बुक पर *अखिल भारतीय आरक्षण विरोधी मोर्चा* इसके विरोध में धरने प्रदर्शन लगातार कर रहा है परन्तु प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सुपोर्ट नहीं कर रही है, यहाँ तक की कवरेज करके ले जाते है परन्तु न तो अखबारों में छापते हैं और न ही टीवी पर डिस्प्ले करते हैं कारण सिर्फ एक हो सकता है मुद्दे के प्रति गंभीर नहीं है, और पैसे के बिना अख़बार या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तो छोडिये अपने को कट्टर आरक्षण विरोधी बताने वाले भी पत्रिकाओं में या अपने लेख या सम्पादकीय में आयोजित किये जा रहे प्रोग्रामो की चर्चा तक बिना पैसे लिए नहीं करना चाहते,
और जब लोगो को यह पता ही नहीं लगेगा कि आरक्षण का विरोध करने के लिए कैसे संगठित हुआ जाये या कोन सा संगठन कार्य कर रहा ही तब तक लोग जुड़ेंगे कैसे !
*अखिल भारतीय आरक्षण विरोधी मोर्चा* एवं *आरक्षण विरोधी पार्टी*
https://www.facebook.com/AllIndiaAntiReservationFront
आप द्वारा आरक्षण के खिलाफ जमीनी स्तर पर किये जा रहे कार्यों से परिचित हूँ, आपके पिछले कार्यक्रम में भाग लेने का भी पूरा इरादा था पर ऐन वक्त किसी जरुरी कार्य के चलते आ नहीं सका, जिसका आजतक अफ़सोस है, आपके अगले कार्यक्रम में आने की पूरी कोशिश रहेगी !! कार्यक्रम से पहले भी आपसे मिलने की कोशिश करूँगा !!
हटाएंशेखावत जी आप जैसे साथी इस आरक्षण विरोधी मुहीम से जुड़ेंगे तभी इस महाकाय दैत्य से छुटकारा संभव है
हटाएंपर किसे वोट दे..सभी पार्टियाँ तो आरक्षण को सपोर्ट करती है..
जवाब देंहटाएं