
किसान की पत्नी ने किसान को तांत्रिक का बताया यह तरीका बताया तो किसान ने अपनी पत्नी को पशुओं के बाड़े में आग लगाने से साफ मना कर दिया | उसने अपनी पत्नी को समझाया कि -" हम एक संतान पाने के लिए इतने पशुओं की हत्याएं कैसे कर सकते है ? यह पाप है ,स्वार्थ है,घृणित है | इसलिए भूलकर भी यह पाप कार्य मत करना | इस तरह के पाप से प्राप्त संतान से तो नि:संतान रहना ही अच्छा |"
पर किसान की पत्नी से रहा नहीं गया एक दिन चुपके से रात्री में उसने अपने पशु बाड़े में आग लगा दी | उस आग में किसान की सात गायें और सात बछड़े जलकर मर गए | किसान द्वारा पूछे जाने पर उसकी पत्नी ने आग लगाने से साफ़ मना कर दिया | पर किसान का मन यही कह रहा था कि - ये आग जरुर उसकी पत्नी ने लगायी है |
आग लगाने के साल भर बाद किसान की पत्नी को एक पुत्र प्राप्त हुआ | अब तो किसान को यकीन हो गया कि -" आग उसकी पत्नी ने लगायी थी |"
किसान सोचने लगा कि पत्नी द्वारा इतना जघन्य पाप करने के बाद भी ईश्वर ने इसे पुत्र दे दिया जबकि इस कुकृत्य के बाद तो उसकी पत्नी को सजा मिलनी चाहिए थी इसका मतलब ईश्वर के यहाँ तो अंधेरगर्दी है | जो भी किसान को पुत्र होने की शुभकामनाएँ देने आता किसान उसे धन्यवाद के स्थान पर कहता भाई - " ऊपर तो अंधेर है |"
एक तरह एक के बाद एक किसान पत्नी को सात पुत्र हुए | हर पुत्र के जन्म पर शुभकामनाएँ देने आने वालों को किसान को वाही एक रटा-रटाया जबाब होता -"ऊपर वाले के यहाँ अंधेर है |"
लोग उसकी बात को समझ नहीं पाते |
किसान के सातों पुत्र बड़े हुए ,एक एक कर उन सभी की शादियाँ हो गयी | और कुछ समय बाद उसका सबसे बड़ा पुत्र मर गया | पुत्र की मृत्यु पर मां का दुःख देख अब किसान को अहसास हुआ कि - "इस मां को अपने किये की सजा अब मिल रही है अब तक इसके पापों का घड़ा भर रहा था पर अब ईश्वर ने इसे दंड देना शुरू किया | सात पुत्र प्राप्त कर आज तक ये जितनी खुश रही थी अब उसमे से एक खोकर दुखी हो रही है | इस तरह एक के बाद एक उसके सभी पुत्र मृत्यु को प्राप्त हो गए ,उनकी विधवा पत्नियाँ उसकी पत्नी को उनके पुत्रों की याद दिलाने के बच गयी | जब भी उसके पुत्रों की मृत्यु हुई और गांव के लोग शोक प्रकट आने तो तब किसान कहता कि - " भई ऊपर वाले के यहाँ देर तो है पर अंधेर नहीं है |"
गांव के लोग उसकी यह बात समझ नहीं पाते ,आखिरी पुत्र की मृत्यु के बाद गांव के एक बुजुर्ग ने सभी के सामने किसान से पूछा कि -" इन पुत्रों के जन्म के समय जब भी हम तुम्हे शुभकामनाएँ देने आये तुमने हर बार कहा _" ऊपर अंधेर है |" और अपने पुत्रों की मृत्यु पर शोक प्रकट करने आये हर व्यक्ति को तुमने कहा -" ऊपर देर तो है पर अंधेर नहीं है |" तुम्हारी इन बातों का रहस्य क्या है ?"
किसान ने सभी को पुत्र प्राप्ति के लिए तांत्रिक द्वारा बताई विधि और उसकी पत्नी द्वारा आग लगा कर गायों व उनके बछड़ों को जलाने वाली सारी बताते हुए कहा -
" पुत्र प्राप्ति के लिए मेरी पत्नी ने इतना जघन्य पाप कार्य किया फिर भी ईश्वर ने इसे पुत्र दिया तब मैंने सोचा ऊपर तो अंधेरगर्दी है इसलिए मैं हर बार सबसे यही कहता रहा | अब जब इन पुत्रों की मृत्यु से मेरी पत्नी दुखी हो रही है तब मुझे समझ आया कि -"ईश्वर मेरी पत्नी द्वारा पुत्रों के मोह में बंध जाने का इंतजार कर रहा था और जब ये पूरी तरह से अपने पुत्रों के मोह में बंध गयी ईश्वर ने एक एक कर इसके पुत्रों को उठाना शुरू कर इसे दुःख पहुँचाना शुरू कर दिया अब ये जीवनभर अपने पुत्रों को खोने के दुःख से दुखी रहेगी और इन विधवा पत्नियों को देख देख कर उसका दुःख ताजा होता रहेगा | अब मुझे समझ आया कि -"ईश्वर के यहाँ देर है अंधेर नहीं ,जो पाप कार्य करेगा वह अपने कर्मों का फल भुगतेगा जरुर बेशक देरी से |"
इसलिये कहा गया है, बुरे काम का बुरा नतीजा,
जवाब देंहटाएंदेर है अंधेर नहीं,
सच कहा आपने, फल अवश्य मिलता है।
जवाब देंहटाएंसही कहा किसान ने "देर है पर अंधेर नहीं"
जवाब देंहटाएंअब कलमाड़ी और किनिमोझी को देख लीजिये , राष्ट्रमंडल खेलों में पुरे विश्व के मिडिया में छाने वाला कलमाड़ी आज तिहाड़ में बंद है |
अपने शक्तिशाली बाप की बेटी किनिमोझी थोड़े ही समझ रही थी कि जो वह कर रही है उसके बदले एक दिन उसे भी तिहाड़ में बंद होना पड़ेगा |
बेशक देर से सही इन सब घोटालेबाजों को इनकी करनी का फल जरुर मिलेगा |
एकदम सच सच..........
जवाब देंहटाएं"ईश्वर मेरी पत्नी द्वारा पुत्रों के मोह में बंध जाने का इंतजार कर रहा था और जब ये पूरी तरह से अपने पुत्रों के मोह में बंध गयी ईश्वर ने एक एक कर इसके पुत्रों को उठाना शुरू कर इसे दुःख पहुँचाना शुरू कर दिया अब ये जीवनभर अपने पुत्रों को खोने के दुःख से दुखी रहेगी और इन विधवा पत्नियों को देख देख कर उसका दुःख ताजा होता रहेगा | अब मुझे समझ आया कि -"ईश्वर के यहाँ देर है अंधेर नहीं ,जो पाप कार्य करेगा वह अपने कर्मों का फल भुगतेगा जरुर बेशक देरी से |"
जवाब देंहटाएंbohot se logon ko apne sawal ka jawab mil gaya hoga....
आपकी बात सोलह आने सच है |
जवाब देंहटाएंइन कहानियो को पुनः सामने लाना साधुवाद का पात्र है पर हम सब को कहीं न कहीं मिलकर भारत मे शिक्षा धर्म की आलेख जगानी होगी पर शायद यह मेरा दिवास्वप्न है
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