
आभास ही सही क्षितीज पर धरा और अम्बर का मिलन तो दिखता है .....
पर तुम को क्या हुआ तुम तो मेरे अपने थे ना,
फिर तुमने अपना रुख क्यों मोड़ लिया
हर आहट पर लगता है तुम आये हो ,
पर क्यों रखु मैं अपने ह्रदय द्वार खुले अगर वो तुम ना हुए तो ?
वो हलकी सी चपत लगा दी थी तुमने ,
जब मैंने कहा था एक दिन दूर चली जाउंगी
अब खुद क्यों अपने वादे से फिर गए हो
तकते तकते अब तो पलके भी ना भीगती है
पर हाँ आज भी हर बार जाने से पहले एक बार मुड के देख लेती हूँ
oh!
जवाब देंहटाएंप्यार में जुदाई का असर कुछ ऐसा ही होता है।
जवाब देंहटाएंदिल को छू गई रचना।
जवाब देंहटाएंइंतजार कुछ होता ही ऐसा है.... बहुत ही भावुक प्रस्तुति गहरे जज्बात के साथ....
जवाब देंहटाएंBahut Sunder abhivykti....
जवाब देंहटाएंBahut Khoob Dear Well Done Keep It Up :)Kuch lines main bhi pesh karna chahunga.
जवाब देंहटाएं"यूँ तेरा मुझसे रूठ कर जाना गवारा नहीं,
कि इस दुनिया में कोई भी हमारा नहीं,
तुम भी चले जाओगे तो कौन साथ देगा,
तेरे सिवा कोई और हमें देगा सहारा नहीं,
यूँ तो दीखते है कई लोग हमें महफ़िल में,
पर इन नज़रों को तेरे सिवा कोई प्यारा नहीं,
तोड़ लाऊं आसमान से तेरे गेसुओं में सजाने को,
मगर तेरे काबिल इस आसमान में कोई सितारा नहीं,
तमन्नाएं कुछ नयी करवटें ले रही है इस दिल में,
अब आ भी जाओ कि तेरे बिना गुजरा नहीं..."
दिल को छूने वाली भावुक प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह इस बार भी बढ़िया रचना !
जवाब देंहटाएंदिल को छू गई रचना।
जवाब देंहटाएंमन में बना हुआ खाका, भौतिक जगत में रह रह कर दिखना चाहता है, संभवतः यही है हमारा विशेष विश्व।
जवाब देंहटाएंआपकी कविता का भाव तो नहीं पकड़ पा रहा। पर क्षितिज पर सूर्योदय या सूर्यास्त उतना ही वास्तविक लगता है जितना अपना अस्तित्व।
जवाब देंहटाएंदिल के उदगार दिल को अछे लगे |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव भरी रचना!
जवाब देंहटाएंthe child in us never stops waiting for the unknown..unknown keeps us waiting and wishing, endlessly hoping and praying..it's our lot and the trademark of being human
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