उपरोक्त रचना फेसबुक मित्र श्री हरिकृष्ण लाल सचदेव द्वारा ज्ञान दर्पण पर प्रकाशनार्थ भेजी गयी जो आपके सम्मुख प्रस्तुत है
संघर्ष एवं क्षत्रिय |
pc to phone काल करे जी मेल के द्वारा
ताऊ अस्पताल में बाबाश्री ललितानंद जी महाराज
हिंदुस्तान का दिल है दिल्ली !
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंआप की इस ग़ज़ल में विचार, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं।
जवाब देंहटाएंअंक-8: स्वरोदय विज्ञान का, “मनोज” पर, परशुराम राय की प्रस्तुति पढिए!
सार्थक और उम्दा प्रेरक विचार ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विचार हैं
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत सुन्दर !धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरक, मुझे भी मानव ही रहने दिया जाये।
जवाब देंहटाएंगणेश चतुर्थी एवं ईद की बधाई
हमीरपुर की सुबह-कैसी हो्गी?
ब्लाग4वार्ता पर-पधारें
बहुत सुंदर, गणेश चतुर्थी एवम ईद की हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
itna bura na karo ki hewan ban jawo,
जवाब देंहटाएंitna accha bhi na karo ki bhagwan ban jawo,
bas karo itna hi ki insan ban jawo .......
manv ko manv hi rahane do ...bhut accha
बहुत सुंदर रचना है | आजकल मनुष्य बने रहना भी बहुत बड़ी बात है |
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