
तपता सूरज है ,उबलता सागर है ,
फिर रोता बादल क्यों ?.......
चाँद को चाहत चांदनी से है ,
फिर जागे चकोर क्यों ?......
कान्हा के हृदय बसी राधा ,मंदिर में संग राधा के ,
खुद कृष्ण से राधेकृष्ण हो गए ,
फिर महलों में वामांगी रुकमण क्यों ?...........
राम भी थे अकेले बिन संग सीता के ,
खुद अन्तर्यामी जगदीश है ,
फिर सीता की अग्निपरिक्षा क्यों ?...............
आभुषणो और रेशमी वस्त्रों से परिपूर्ण नारी को ,
अपने होठों पे हलकी मुस्कुराहट लाने में इतनी तकलीफ क्यों ?...........
माँ के पेट पर पड़ गई थी वो आड़ी तिरछी लकीरे मेरा सृजन करने में ,
बाबा के पक गए थे बाल मेरा पालन करने में,
जिस संग सात फेरे लिए उसका मुझ पे इतना अधिकार क्यों ?........
हर हाल में रक्षा होगी मेरी, इस विश्वाश के साथ चुना था श्रेष्ठ धनुर्धर ,
फिर द्रोपदी का चीरहरण क्यों ?...........
इन सब से मेरा कोई रिश्ता नहीं ,
फिर मेरे मन में उमड़ता सवालो का ये सेलाब क्यों ?..........
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को श्री कृष्ण जन्म की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंlajwab hai sawal aapke.....
जवाब देंहटाएंkash ki inke uttar bhi hote kahi....
hamesha ki tarah aaj bhi boht khoob......:)
जवाब देंहटाएंकान्हा के हृदय बसी राधा ,मंदिर में संग राधा के ,
खुद कृष्ण से राधेकृष्ण हो गए ,
फिर महलों में वामांगी रुकमण क्यों ?...........
really nice.........
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंराधे राधे....जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bahut sundar kavita jo man ko udvelit kar deti hai. Jo prashn uthaye gaye hain unka jawab shayad aaj ke samaj ke paas bhi nahin hai. Badhai..
जवाब देंहटाएंhttp://sharmakailashc.blogspot.com/
बहुत बढिया !
जवाब देंहटाएंआपके सवालों के सैलाब का तो कोई जबाब ही नही सूझ रहा !
बहुत ही सुंदर जी, आप के सवालो का जबाब तो मुश्किल नही लेकिन हम नही दे सकते, जरुर कोई दुसरा सही जबाब दे देगा, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबड़े मौलिक प्रश्न पूछे हैं। दार्शनिक कविता।
जवाब देंहटाएंजिस खुदा की रोशनी से रोशन है दुनिया,करता रहा उसकी इबादत मै आंखे मूंदकर,कभी देखा नही रोते हंसते मैने उसको,उसके बन्दो को ही देखा मैने रोते अक्सर,कोई मांगता है उससे धन दौलत कोई मांगे प्यार,किसी से छीना उसने,किसी को दिया जी भरकर."तरुण" ने भी की है दुआ आपके लिये, दे दे हर खुशी और प्यार आपको झोली भरकर.हर बार की तरह बहुत खूब लिखा है आपने फिर से बहुत ही बढ़िया फोटो रखी है.जैसे की हमेशा कहा जाता है की सबकी किस्मत या भाग्य रेखा भगवान लिखते हैं वैसे इन सबकी लिखी होगी तभी ये सब इस से गुजर रहे हैं.कुछ सवाल इन में ऐसे हैं जो समझ ने बनाये है पर उनके पास भी इसका जवाब नहीं और कुछ सवाल ऐसे है जिनका जवाब स्वयम भगवान के पास नहीं.आज के इस कलयुग में मानव जिसे भगवान की सबसे सुंदर रचना कहा जाता है उसकी हालत देख कर वोह खुद हेरान और परेशान है.
जवाब देंहटाएंसवाल पूछने की कोइ उम्र नहीं होती है आपकी कविताओ को देख कर तो यही लगता है| लेकिन जवाब कौन दे ...?
जवाब देंहटाएंsateek sawak aur suder rachana.... badhai aur abhar sweekaren
जवाब देंहटाएंUsha ji, You are improving day by day. Superb
जवाब देंहटाएंaap sab ka bhut bhut aabhar ......
जवाब देंहटाएंwow ?
जवाब देंहटाएंआप के सवाल तो मन में उथल पुथल मचा गए
जवाब देंहटाएंबहुत ही उच्च कोटि के रचना ह आपकी