घूरने के खिलाफ कठोर कानून के बाद

Gyan Darpan
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पिछले दिनों दिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म के बाद युवाओं का सड़कों पर दिखा गुस्सा और बलात्कार के लिए कठोर दंड की मांग के बाद सरकार ने आखिर बलात्कारियों को कठोर दंड देने के प्रावधान वाला विधेयक पास कर दिया| सरकार के इस कदम को महिला सशक्तिकरण के लिए अभियान चलाने वाले व दिल्ली में मोमबत्ती मार्च निकालने वाली मोमबत्ती ब्रिगेड अपनी जीत मान सकती है|

कल इसी विधेयक पर सर्वदलीय बैठक में चर्चा के दौरान यादव बंधुओं ने इस विधेयक में महिलाओं को घूरने व उनका पीछा करने को रोकने वाले प्रावधानों के खिलाफ जो तर्क दिए वे मीडिया व लोगों को अजीब लगे| मिडिया के साथ ही सोशियल साईटस पर भी यादवों बंधुओं के इन तर्कों का मजाक उड़ाया गया| पर मैं समझता हूँ कि उनकी चिंताएं अजीब नहीं बल्कि इस कानून का दुरूपयोग कर इसकी आड़ में जो खेल खेले जायेंगे उनके आगे ये संभावनाएं मात्र भविष्य में घटने वाले दृश्यों का ट्रेलर मात्र है| कैसे ?..

बलात्कार के खिलाफ कड़े नियम बनवाने की जीत से प्रोत्साहित देश की पढ़ी लिखी, आत्मनिर्भर, आजादी ख्यालों वाली, अकेले रहना चाहने वाली, बिंदास जिन्दगी जीने वाली कुछ प्रगतिशील आधुनिक बलाएँ समाज और विभिन्न क्षेत्रों में अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिए इस घूरने व पीछा करने को रोकने वाले कानून को और अधिक कठोर बनाने के लिए आन्दोलन करेगी, मोमबत्ती मार्च निकालेगी, इनके इस अभियान में इन महिलाओं के दिल में जगह बनाने की चाहत लिए कई युवा खासकर JNU से निकले एक विशेष विचारधारा के छात्र इसमें अपनी क्रांति व नेतागिरी चमका राजनीति में स्थापित होने की विशेष संभावनाओं का मौका तलाशते हुए पूरा समर्थन देंगे और मान लीजिये इनकी मांगे मानते हुए सरकार घूरने के खिलाफ कानून को और अधिक कठोर बना दे तो देश में की दृश्य उत्पन्न होंगे ?

कठोर कानून बनते ही उपरोक्त कथित आधुनिक बालाएं अपने आपको सशक्त कर समाज में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए इस कानून की आड़ में जब अपने खेल खेलेगी तब दृश्य कुछ इस तरह होंगे-

कथित आधुनिक बालाएं जब भीड़ भाड़ वाली सड़कों पर वाहन लेकर निकलेगी तब उन्हें रास्ता न देने वाले को तुरंत पुलिस बुलाकर घूरने का आरोप लगाकर थाने में बंद करवा देगी, खचाखच भरी बस, ट्रेन में घुसते ही आधुनिक बालाएं सीट पर बैठे यात्रियों को धमकायेगी कि- "सीट खाली कर वरना घूरने के आरोप में बंद करवा दूंगी|" और बेचारा सीट पर बैठा यात्री बिना एक शब्द मुंह से निकाले तुरंत सीट खाली कर देगा|

कार्यालयों में भी आधुनिक बालाएं काम करेगी या नहीं उनकी मर्जी व मूढ़ पर निर्भर होगा, बेचारा बोस हमेशा डरता रहेगा - कहीं घूरने का आरोप लगा अन्दर ना करवा दे| सालाना इंक्रीमेंट के वक्त भी बोस को आधुनिकाओं से धमकी मिलेगी - "इतना वेतन बढ़ा देना नहीं तो फिर घूरने के आरोप का सामना करने के लिए तैयार रहना|"


घरों में भी इस कठोर कानून का कठोरता से फायदा उठाया जायेगा| पति, देवर, जेठ, ससुर सब बहु के आगे भीगी बिल्ली की तरह डरे सहमे रहेंगे- पता नहीं कब आधुनिक बहु किसी बात से नाराज हो जाये और घूरने के आरोप में हवालात पहुंचा दे|" वहीँ व्यावसायिक प्रतिष्ठान अपनी डूबत वसूलने के लिए ऐसी आधुनिक बालाओं को नौकरी पर वसूली के लिए रखेंगे जो कर्ज के डिफाल्टर को इस कानून में फंसाने की धमकी देकर डूबत वसूल लायेगी|

पुरुषों को ब्लेकमैलिंग करने का धंधा उद्योग बन जायेगा जैसे बिहार में एक बार अपहरण उद्योग पनप गया था| देह का व्यापार करने वाली औरतें अपने ग्राहक के साथ संबंध बनाने के बाद उसे ब्लेकमेल करेगी कि- इतने रूपये दे वरना बलात्कार के आरोप में फांसी लगवा दूंगी|

राजनैतिक पार्टियों में टिकट बंटवारे के वक्त भी ये बालाएं इस कानून का अपने आपको सशक्त करने में पूरा फायदा उठायेगी| टिकट दो नहीं तो घूरने के आरोप में नेताजी हवालात में| इस तरह इस कानून की धमकी की आड़ से टिकट प्राप्त कर चुनाव जीत कर संसद में पहुँच वहां ये आधुनिकाएँ ऐसे विधेयक लायेगी जो इनको ही सशक्त करे और उसका समर्थन न करने वाले नेता को ठीक उसी तरह हवालात में पहुंचा देगी जैसे अभी हाल ही में रेल में सीट विवाद के चलते एक महिला द्वारा पूर्व सांसद को रेल से उतरवाकर थाने पहुंचा दिया गया| इस तरह इस कानून का फायदा उठाते हुए सरकार के सभी पदों पर आधुनिक बालाएं ही होगी| सड़कें, घर, कार्यालय, विधानसभा, संसद आदि क्षेत्र ही नहीं व्यावसायिक क्षेत्रों में भी घूरने के खिलाफ कठोर कानून कई संभावनाएं लेकर आयेगा| कई कम्पनियां इस कानून के नाम पर लगाये जाने वाले फर्जी आरोपों से पुरुषों को बचने के लिए कई उत्पाद जारी करेगी| बाजार में ऐसे उत्पाद रूपी कैमरे छा जायेंगे| झूंठे आरोपों से बचने के लिए पुरुष ऐसे ख़ुफ़िया कैमरों से लेश होकर चलेंगे जो दिनभर उनकी गतिविधियाँ रिकार्ड करता रहेगा और आरोप लगने के बाद उसी रिकार्डिंग को अपने बचाव में वैसे ही पेश कर बच जायेगा जैसे अभी दिल्ली पुलिस द्वारा अपने सिपाही तोमर की हत्या का आरोप लगाने पर दो लड़कों ने मेट्रो रेल के विडियो फूटेज से अपने आपको बचाया|
पुरुष ही क्यों ? आधुनिक महिलाएं भी घूरने वाले पुरुष को इस कानून से बचने का रास्ता न देने के लिए ऐसे ही कैमरे साथ लेकर चलेगी जो घूरने वालों को रिकोर्ड करता रहेगा और इस रिकोर्डिंग का उपयोग अदालत में सबूत के तौर पर पेश कर कठोर दंड दिलवा जा सकेगा| कार्यालयों में भी इस कानून के झूंठे आरोपों से बचने के लिए पुरुष कर्मचारी कार्यालयों, कारखानों में कैमरे लगाने की मांग करेंगे ताकि उनकी रिकार्डिंग दिखाकर झूंठे आरोप से बचा जा सके|

यही नहीं इस तरह अदालतों व थानों में भी घूरने वाले मामले इतने ज्यादा दर्ज हो जायेंगे कि इसके लिए विशेष थाने, जाँच दल और विशेष अदालतों का गठन करना पड़ेगा| इस कानून से बचाने वाले वकीलों के भी कई समूह उठ खड़े होंगे उनके कार्यलयों के आगे बोर्ड लगे होंगे- "घूरने के आरोप से बचाने में विशेष महारत हासिल", "एंटी घुरना ला एक्सपर्ट", "घूरने के आरोप से बरी कराने की इतने प्रतिशत गारंटी" आदि|

कई तांत्रिकों और किरपा बरसाने वाले बाबाओं की दुकाने भी बहुत खुल जायेगी, तांत्रिक इस कानून से बचाने के कई तरह के ताबिज बेचते नजर आयेंगे तो कहीं कोई बाबा ऐसी किरपा बरसाता पुरुषों को इस कानून से बचाने का दावा करता किसी टीवी चैनल पर नजर आयेगा|

कई स्कूलें व प्रशिक्षण केंद्र खुल जायेंगे जो सिखायेंगे कि- कैसे महिलाओं को घूरने के खिलाफ इस कानून से बचते हुए उन्हें घुरा जा सकता है तो कई प्रशिक्षण केंद्र महिलाओं को ये सिखाने के लिए खुल जायेंगे कि- कैसे इस कठोर कानून का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है| स्कूलों और विश्विद्यालयों में इस कानून को लेकर अलग विषय पढाया जाने लगेगा|
लेखकों व पुस्तक प्रकाशकों को भी पुस्तकें लिखने व प्रकाशित करने के लिए एक विषय मिल जायेगा| इन्हें ही क्यों जिस ब्लॉगर को जिस दिन लिखने के लिए कोई विषय नहीं मिलेगा उस दिन एक ब्लॉग पोस्ट किसी ऐसे ही मामले पर ठोक देगा|

इस तरह देश के हर क्षेत्र में आधुनिक महिलाएं आगे होगी उनका वर्चस्व होगा, तब कई महिलाएं अब तक पुरुषों द्वारा समाज पर अधिपत्य जमाये रखने का बदला लेने हेतु उनके खिलाफ ठीक वैसे ही हथकंडे अपना कर झूंठे मामलों में फंसाएगी जैसे राजस्थान में आरक्षण प्राप्त कर प्रशासन में घुसे लोग पूर्व शासक राजपूत जाति के लोगों को उनके शासन में किये कथित शोषण के बदले फंसाते देते है|
पुरुष महिलाओं के सामने जाने से भी डरने लगेंगे, शादी नाम पर भी दूर भागेंगे| परिवार बसेंगे ही नहीं और बस भी गए तो पुरुष घरों में बंधुआ नौकर की तरह काम करते नजर आयेंगे| आधुनिक महिलाओं द्वारा इस कानून के दुरूपयोग से पुरुष जगत परेशान हो त्राहि त्राहि कर उठेगा| और तब पुरुष सशक्तिकरण की मांगे उठेगी ठीक वैसे ही जैसे आज महिला सशक्तिकरण की बात उठती है|

महिलाओं द्वारा उत्पीड़न के खिलाफ तब पुरुष लामबंद हो वोट बैंक बनने लगेंगे और चुनावों में उन महिलाओं को वोट देंगे जो पुरुषों की हितचिन्तक और पुरातनपंथी विचार धारा वाली होंगी| तब कुछ महिला नेता भी पुरुषों के वोट बैंक से सत्ता के शिखर पर पहुँचने के लालच में या अपनी नेतागिरी चमकाने के लालच में पुरुष सशक्तिकरण आन्दोलन का सक्रीय समर्थन करेगी जैसे आज महिला सशक्तिकरण के लिए पुरुष समर्थन कर रहे है| पुरुषों को उन पुरातनपंथी महिलाओं को जो अपने पति को परमेश्वर मानती है का भी समर्थन मिलेगा आखिर उनके पतियों के जेल जाने के बाद उनके घर में फाका पड़ने की संभावनाएं जो बन जाएगी| यही नहीं शहरों में देह व्यापार कर सुविधाभोगी उन्मुक्त जिन्दगी जीने वाली कुछ आधुनिक महिलाऐं भी पुरुष सशक्तिकरण का समर्थन करेगी क्योंकि इस उपरोक्त कानून के साथ कठोर बलात्कार निरोधक कानून डर के चलते उनका भी धंधा बंद हो जायेगा|

आज इंडिया गेट पर महिलाओं के लिए पुरुष छात्र मोमबत्ती मार्च निकालते देखे जाते है वैसे ही तब लड़कियां पुरुषों के लिए मोमबत्ती मार्च निकालते हुए नजर आयेंगी|

जंतर-मंतर, जिलाधिकारी कार्यालयों, विधानसभाओं आदि के सामने धरना दिये तम्बुओं के बैनर पर तब सबसे ज्यादा बैनर पुरुष के खिलाफ अत्यचार रोकने के लिए कठोर कानून बनाने की मांगों वाले नजर आयेंगे| तब संसद में भी बहस चलेगी और यादव बंधुओं की तरह उस वक्त कई महिलाएं ऐसे ही वक्तव्य देंगी जो अन्य महिलाओं व मिडिया को अजीब लगेगा|

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  1. बहुत ही सटीक शब्दों में देश के मौजूदा हालात पर करारा व्यंग्य। यकीन मानिए एक सांस में पढ़ गया। मैं भी इस विषय पर लिखने की सोच रहा था लेकिन वेबसाइट पर इस प्रावधान को हटाने की जानकारी पढऩे के बाद रुक गया लेकिन अब आपका लेख देखने के बाद प्रेरणा मिली है। जरूर लिखूंगा, देर रात शायद पूर्ण कर दूं।

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  2. मुझे तो हैरानी है कि लीडरों ने, सोचने को भी अपराध घोषित क्यों नहीं कर दिया :)

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  3. हम तो आँखें नीचे किये हुये जीवन बिता दिये हैं, अब तो और भी डरने लगे हैं।

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  4. बहुत ही सटीक विष्लेषण किया है हालात का आपने. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  5. bhai sahab in se bachene ke camre ya koi tabeej kahi mile to hame bhi batan a bahut jaroori ho gaya hai

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  6. बहुत उम्दा सटीक विश्लेषण ,,,
    होली की हार्दिक शुभकामनायें!
    Recent post: रंगों के दोहे ,

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  7. वाह क्या बात कही है आपने सच में कानून की भयंकरता का सटीक आकलन किया है जैसे कभी समाज सुधारने के लिए बनाया गया दहेज कानून समाज को प्रताड़ित करने का ऐसा यंत्र तैयार कर लिया है कि समाज का एक वर्ग सभ्य समाज को खूब प्रताड़ित कर रहा है। उसी प्रकार आज बना यह नया कानून समाज की खतरनाक आधुनिक नारियों के हाथ में परमाणु बम के समान सावित होगा। जबकि हम आजकल देख रहै है कि आज भी खूब बलत्कार के केस हो रहै है क्या यह कानून इन पर रोक लगा पाएगा। जवकि आधुनिक नारियाँ समाज में नग्न होकर समाज को बरबाद कर रही हैं।

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  8. जिस तरह से दहेज विरोधी कानून का धडल्ले से दुरूपयोग हो रहा है वैसे भी इसका भी हो सकता है !!

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  9. दलित उत्पीड़न कानून क्या कम है. सारे ढेढ़ आँख दिखाते हैं

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