क्यों सिकुड़ते है धुलने के बाद नए कपड़े ?

Gyan Darpan
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क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि अक्सर नए ख़रीदे कपड़े पहली बार धोने के बाद सिकुड़ कर कुछ छोटे क्यों हो जाते ?
अक्सर जब भी हम बाजार से नए कपड़े लाते है वे धुलने के बाद सिकुड़ कर कुछे छोटे हो जाते है| दर्जी अक्सर कपड़ों की सिलाई करने से पहले उन्हें पानी में डुबोकर सुखा लेते है ताकि वे जितने सिकुड़ सके उतने सिकुड़ जाए जिससे सिलाई के बाद के कपड़े नाप से छोटे ना पड़े|
पर कपड़ों में ये सिकुडन क्यों आती है ? इसके पीछे क्या कारण है ? और अन्तराष्ट्रीय मानकों के आधार पर कपड़ों में कितनी सिकुड़न मान्य है, इस सिकुड़न को क्या कपड़ा उत्पादक रोक सकता है? आईये आज चर्चा करते है इन्हीं कुछ प्रश्नों पर-

१-क्यों सिकुड़ते है कपड़े ?

अक्सर कपड़ा तैयार करने वाले उत्पादक कपड़े की लागत कम करने के लिए व अपना मुनाफा बढाने के लिए कपड़े की रंगाई व छपाई के बाद कपड़े को तैयार करते समय इसे मशीनों पर खिंच कर कुछ बढ़ा देते है जिससे उस कपड़े की मात्रा बढ़ जाती है और इसका सीधा असर कपड़े की लागत पर पड़ता है| ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में कपड़ा उत्पादक कपड़े की खिंचाई ज्यादा (१ से १०% तक) कर इसे बढाते है जो बाद में पहली धुलाई में ही वापस अपनी असली जगह आ जाता है और छोटा हो जाता है| नीचे चित्र में जो मशीन दिखाई जा रही है इसी मशीन से कपड़े की फिन्शिंग की जाती है और इसी मशीन पर कपड़े को लम्बाई या चौड़ाई में बढ़ा दिया जाता है|


कपड़ा फिनिश करने की "स्टेनटर मशीन"



२-अन्तराष्ट्रीय मानकों के आधार पर कपड़ों में कितनी सिकुड़न मान्य है ?

अन्तराष्ट्रीय मानकों के आधार पर कोई भी बना बनाया परिधान ५% तक घट या बढ़ सकता है| ५% सिकुडन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप मान्य होती है| परिधान बनाने वाले उत्पादक परिधान बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखते है कि धुलाई के बाद कपड़े सिकुड़े नहीं इसके लिए वे कपड़ा उत्पादक को पहले ही अपनी जरुरत बता देते है व अपने गोदाम में कपड़ा आते ही उसका एक टुकड़ा काट कर धोकर पहले चेक करते है कि कपड़ा कितना सिकुड़ रहा है यदि मानक के अनुरूप नहीं होता तो उसे ठीक किया जाता है या फिर सिलाई करते समय उतना बढ़ा दिया जाता है ताकि पहनने वाले को कोई दिक्कत नहीं आये|
कपड़ों के सिकुड़ने की दिक्कत ज्यादातर सूती कपड़ों में आती है पोलिस्टर कपड़ों में यह परेशानी नहीं आती, वे जैसे तैयार कर दिए जाते है वैसे ही रहते है|
३- इस सिकुड़न को क्या कपड़ा उत्पादक रोक सकता है ?

हाँ ! इस तरह होने वाली सिकुडन को कपड़ा उत्पादक आसानी से काबू कर सकता है हालाँकि कपड़े की प्रोसेसिंग करते समय विभिन्न मशीनों पर कपड़े की खिंचाई होती रहती है पर आखिरी फिनिशिंग के वक्त उत्पादक इस सिकुड़न को काबू कर सकता है| उपर दिखाई फिनिशिंग मशीन पर कपड़ा खिंचा ही नहीं जा सकता बल्कि पीछे की मशीनों पर खिंच गए कपड़े को इस मशीन से निकालते समय ओवर फीड देकर इसे वापस कंट्रोल भी किया जा सकता है इसके बाद भी यदि कुछ सिकुड़न बच जाए तो इसके बाद एक और मशीन जिसे जीरो-जीरो मशीन कहा जाता है में से कपड़े को निकालकर उसकी सिकुड़न खत्म की जा सकती है यही जीरो-जीरो मशीन यदि कपड़े की फिनिशिंग कड़क है तो उसे मुलायम भी बना देती है|


कपड़ा फिनिश करने की "जीरो-जीरो मशीन"



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20टिप्पणियाँ

  1. न तो इसके बारे में कभी सोचा था, न हॊ जानकारी थी। बहुत अच्छी पोस्ट।

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  2. धन्य है चोरों और मोरों, दोनों ही के लिए मशीनें बनाने वाले

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  3. बहुत ही सुन्दर वैज्ञानिक विश्लेषण।

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  4. बिलकुल नई और सबसे अलग जानकारी !

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  5. बेहद रोचकता से आपने इतनी अच्‍छी प्रस्‍तुति दी ...आभार ।

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  6. Valuable information! आपने बहुत अच्छा लिखा है ! बधाई! आपको शुभकामनाएं !
    आपका हमारे ब्लॉग http://tv100news4u.blogspot.com/ पर हार्दिक स्वागत है!

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  7. मर्सराइजिंग प्रक्रिया से निकला कपडा नहीं सिकुडता।

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  8. @ विष्णु बैरागी जी

    सूती कपड़ा रंगाई छपाई से पहले मर्सराइजिंग प्रक्रिया से निकलता है
    फिर भी सिकुड़ता है इसका मुख्य कारण ड्राइंगरेंज मशीन व स्टेंटर मशीन पर
    कपड़े को खिंच देना ही होता है|

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  9. अच्छी प्रस्तुति,पहली बार मालूम हुआ की कपडे को मुनाफे के लिए खिंच कर बढ़ा भी देते है !

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  10. आपसे अच्छी कपडे की परख भला किसे हो सकती है | आप तो सायद परिधान से सम्बन्धित
    व्यवसाय में ही है | अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद !

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  11. ratan sir khamaghani aadaab apki jankariyan laajvaab hai ap rajsthan kaa gorv hai or sahi me raajputi aan baan shaan hain ....akhtar khan akela kota rajsthan

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  12. बेहतरीन प्रस्तुति। बहुत विस्‍तार से समझाया है आपने।

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  13. कपड़े के विषय पर सुंदर विस्तार से जानकारी दी आभार,....बेहतरीन पोस्ट....
    मेरे नए पोस्ट पर आइये स्वागत है....

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  14. ज्ञानवर्द्धक आलेख लिख रहें आप लगातार
    बधाई

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  15. बचपन से भुगतते रहे। अब जाकर समझ में आया।

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