सूनापन

SHEKHAWAT HIMMAT
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जिस कागज पे कोई इबादत न हो .
उस कागज को दिल से लगाएगा कौन .
फ़ेंक देंगे उसे फिर कदमो तले,
पलकों पे अपनी बिठाएगा कौन .
मेरा जीवन भी है उस कागज के जैसा ,
मुझे यूँ जमीं से उठाएगा कौन .
जिस कागज पे कोई .......................

मेरा जीवन भी उस कागज के जैसा ,

लिखी हैं इबादत मुहब्बत की जिस पे .
मगर टूटे वादे कदम लडखडाये ,
पड़ा हैं वो कदमो में कागज का टुकड़ा.
हुआ धुल अब तो जीवन ये मेरा .

जिस कागज पे .....................
जिस मंदिर में कोई पुजारी ना हो ,
उस मंदिर में दीपक जलाएगा कौन .
जिस दीपक के संग कोई बाती न हो ,
उस दीपक को घर में सजाएगा कौन .
जिस आँगन में किलकारी गूंजी नहीं '

उस आँगन में खुशिया लायेगा कौन .

जिस कागज पे ..........................
दुख देखे बहुत में रोया नहीं ,

सोचा बादल हे ये टल जायेगा भी ,
पर बादल रुका बन के ये काली घटा,

गम बरसने लगा बन के सावन यहाँ .
दिल हुआ चूर चूर मन बहकने लगा ,

काली पलके ये आंसू बन बरसने लगी ,

जिस कागज पे.................................
मैं चाहूँ की चंदा की किरणे सभी,
मेरे दिल के चिरागों को रोशन करे,
मगर चाँद भी छुप गया डर के हम से ,
जो साथी था दिल का हुआ दूर हमसे .
जिस कागज पे ........................


Himmat Singh Shekhawat

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20टिप्पणियाँ

  1. खूब!! कागज में सूनापन सजाया है।

    ॰ रतनसिंह जी,

    एक नजर इस राजस्थानी गीत पर डालें
    http://shrut-sugya.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html

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  2. मेरा जीवन भी है उस कागज के जैसा ,
    मुझे यूँ जमीं से उठाएगा कौन
    @ वाह ! बहुत बढ़िया पंक्तियाँ |

    जवाब देंहटाएं
  3. @ हिम्मत सिंह जी
    इस शानदार रचना के साथ हिंदी ब्लोगिंग में शामिल होने पर आपको बधाईयाँ व शुभकामनाएँ | आशा है आप नियमित और इसी तरह की बढ़िया रचनाओं द्वारा आगे भी हिंदी को इन्टरनेट पर बढ़ावा देने के पुनीत कार्य में सक्रीय रहेंगे |

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  4. जिस कागज पर इबादत ना हो ...
    उसे दिल से लगाएगा कौन ...
    सोचने की बात है ...!

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  5. जिस मंदिर में कोई पुजारी ना हो ,
    उस मंदिर में दीपक जलाएगा कौन .
    जिस दीपक के संग कोई बाती न हो ,
    उस दीपक को घर में सजाएगा कौन .
    -वाह!क्या बात कही है आप ने ...बहुत खूब!
    उदासी लिए है मगर बहुत अच्छा गीत लिखा है..
    हिम्मत जी,पहली बार आप की रचना यहाँ पढ़ी है.पसंद आई.लिखते रहीये.
    शुभकामनाएँ.

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  6. चित्र चयन भी रचना के भाव अनुरूप है,बहुत सुन्दर.

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  7. सुन्दर रचना के लिए हिम्मत सिंह जी,आपका धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  8. हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    मालीगांव
    बहुत अच्छी कविता है आपकी इस लेखने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद
    साया
    आपकी पोस्ट यहा इस लिंक पर भी पर भी उपलब्ध है। देखने के लिए क्लिक करें
    लक्ष्य

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  9. बड़ी ही सुन्दर रचना है। भावों का मुक्त प्रवाह बना रहे।

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  10. चलिये अब तो आप स्‍क्रीन पर हैं और आते भी रहेंगे. नई आशाओं के साथ नई शुरुआत के लिए शुभकामनाएं.

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  11. बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

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