चुनाव प्रबंध , झगड़े और दलित उत्पीडन

Gyan Darpan
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अभी हाल ही में हरियाणा में पंचायत चुनाव सम्पन्न हुए है इससे कुछ दिन पहले यहाँ नगर निगम के चुनाव हुए थे | नगर निगम चुनाव समाप्त होने के बाद एक चुनावी कार्यकर्त्ता से मिलना हुआ , वह बता रहा था कि आजकल कैसे चुनाव मैनेज करने होते है उम्मीदवारों को पैसा पानी की तरह बहाना पड़ता है और हार गए तो समझा जुआ खेला था | वह बता रहा था कि कैसे एक दबंग उम्मीदवार ने चुनाव में पैसा पानी की तरह बहाया उसी के अनुसार उस पार्षद चुनाव के उम्मीदवार ने झुग्गी बस्तियों सहित हर मतदाता के घर साड़ियाँ, नोट व शराब पहुंचाई | पर फिर भी हार गया | लोगों ने उसका माल जमकर उड़ाया पर वोट नहीं दिए | खास कर झुग्गिबस्तियों वालों ने शराब का छक कर मजा लिया |

पंचायत चुनाव के दो दिन पहले भी एक चुनावी कार्यकर्त्ता से उसके भी चुनाव प्रबंध पर बातचीत हुई बातचीत में उसने भी बताया कि कैसे लोग वोट दिलवाने का वायदा कर उम्मीदवारों से सौदा कर रहे है और पैसा व शराब हड़प कर मौज लुट रहे है , चुनावी कार्यकर्ताओं के पास रोज हर थोड़ी देर बाद किसी बस्ती व मोहल्ले से फोन आ जाता है कि भाई साहब अभी अभी आपका विरोधी फलां ब्रांड की शराब वितरित करके गया है अब आप उससे बढ़िया वाली की पेटियां भिजवा दीजिए | और उम्मीदवार थोक वोट पाने के लालच के चलते उनकी हर मांग पूरी करने में लगे है | वह आगे कहता गया कि कई लोग तो ऐसे है जिन्होंने अपनी बस्ती के वोट दिलवाने के बहाने शराब की पेटियां इक्कठा कर रहे है चुनाव बाद बेचकर पैसा बनायेंगे |

जो लोग इस तरह से पैसा व शराब मंगवा रहे है क्या गारंटी है कि वे वोट उस उम्मीदवार को ही देंगे ? और नहीं दिए तो उम्मीदवार क्या कर लेंगे ? मेरे इस सवाल के उत्तर में वह बताने लगा कि हर उम्मीदवार ने पच्चासों की संख्या में बाउंसर बुलवा रखे है और हर उम्मीदवार ने किसको क्या दिया है का पूरा हिसाब रखा हुआ है जैसे ही कोई उम्मीदवार चुनाव हारेगा उसके बाउंसर उन झुंटे वायदा करने व धोखा देने वाले दलालों को चुन-चुन कर मारेंगे और इस तरह माल उड़ाने वाले लोग पिटते हुए भागे फिरेंगे |

पंचायत चुनाव सम्पन्न हो गए और उसके साथ ही हो गए शुरू झगडे | जिनकी जानकारी हर रोज अख़बारों के माध्यम से मिल रही है कि कहीं हारे उम्मीदवार के समर्थकों ने जीते हुए उम्मीदवार पर हमला कर दिया तो किसी जगह दोनों पक्षों में झगड़े के बाद स्थिति तनावपूर्ण है तो कहीं हार से बौखलाए उम्मीदवार के समर्थकों ने किसी दलित या अन्य गरीब बस्ती पर हमला कर उनके साथ मारपीट की है | मेरे ख्याल से अब वे दलाल टाईप लोग या वे बस्ती वाले उन बौखलाए हारे हुए उम्मीदवारों का निशाना बन रहे है जिनसे उन्होंने थोक वोट देने का वायदा कर मुफ्त का माल उड़ाया था | ऐसे झगड़ों में यदि कोई दलित या दलित बस्ती निशाना बन गयी तो वह घटना दलित उत्पीडन के तौर पर दर्ज हो जाएगी और राजनेताओं को फिर उनके पक्ष में घडियाली आंसू बहाकर राजनीती करने का मौका मिल जायेगा |
पर जिस गलत चुनावी प्रबंधन की वजह से ये झगड़े हो रहे है उस और न तो किसी का ध्यान जायेगा न कोई उस गलत कृत्य पर अंगुली उठाएगा और ना ही सरकार इस तरह के चुनाव प्रबंध के खिलाफ कोई कार्यवाही करेगी !



सभी चित्र गूगल चित्र खोज से साभार



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12टिप्पणियाँ

  1. "झुग्गिबस्तियों वालों ने शराब का छक कर मजा लिया"...अब तक तो टोपियों को अक़्ल आ जानी चाहिये थी

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  2. जनता को दो माल , सब जनता का है ।
    एक बार देना है , फिर ५ साल लेना है ।

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  3. ये जितने गंदे लोग हैं सब राजनीती में हैं और इनका अंत भी आने वाला है क्योकि वक्त के न्याय से तो कोई बच ही नहीं सकता | बस इंतजार कीजिये ...

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  4. जो भी है, लेकिन पुलिस-प्रशासन को पहले से सूचना थी और यदि इस पर पहले कार्रवाई की जाती तो आगजनी की नौबत न आती...

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  5. इस पोस्ट के लिेए साधुवाद

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  6. जब लोकतन्त्र का प्रारम्भ इस प्रकार होता है तो राह कहाँ से होकर जायेगी, पता नहीं ।

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  7. आप सही कह रहे है . इस देश में लोकतंत्र के नाम पर यही होता है . हिन्दीकुंज

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  8. इस गंदी राजनीति का कोइ अंत नहीं है यह तो अब नासूर बन चुकी है इसका दूर दूर तक कोइ समाधान नजर नहीं आता है |

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  9. मेरे ख्याल से हारा दबन्ग उम्मीदवार नहीं, वह जनता है जो दारू पर अपना वोट तय करती आयी है! :(

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