विरह गीत "पिपली"

Gyan Darpan
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प्राचीन काल में राजस्थान में जीविकोपार्जन की स्थितियां बहुत दुरूह और कठिन थी | पुरुषों को बेहतर कमाई के लिए नौकरी या व्यापार के लिए दुसरे प्रान्तों में बहुत दूर जाना होता था या फ़िर फौज की नोकरी में | यातायात व संचार के साधनों की कमी के आभाव में आना-जाना व संदेश भेजना भी कठिन था | एक प्रवास भी कई बार ३-४ वर्ष का हो जाता था कभी कभी प्रवास के समय की लम्बाई सहनशक्ति की सीमाएं पार कर देती थी, तब विरह में तड़पती नारी मन की भावनाएं गीतों के बहने फूट पड़ती थी | पुरूष भी इन गीतों में डूब कर पत्नी की वियोग व्यथा अनुभव करते थे | इस तरह के राजस्थान में अनेक काव्य गीत प्रचलित है | वीणा कैसेट द्वारा प्रस्तुत यह विरह गीत " पीपली " वियोग श्रंगार के गीत का काव्य सोष्ठव अनूठा है और धुनें भावों को प्रकट करने में सक्षम है | यह गीत "पिपली " लंबा मर्मस्पर्शी राजस्थानी विरह गीत है जिसमे पुरूष की धनलिप्सा से आहत नारी मन का करुण क्रन्दन है | इसमे वर्णित बारह महीनों की व्यथा के चित्रण को अलग-अलग करके उमराव के रूप में प्रचलित पारम्परिक बारहमासा के रूप में दिया गया है यह गीत प्रवासी समाज की भावनाओं के केन्द्र में रहा है |
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10टिप्पणियाँ

  1. "पीपली" पर आपका लघु लेख एकदम उत्कृष्ट है. गीत भी बहुत ही कर्ण प्रिय लगे. हमने तो डाउनलोड भी कर लिया. आभार.

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  2. पहेली फिल्म से काफी नज़दीकी से राजस्थान की इस व्यथा को समझने का मौका मिला . हमारे पूर्वज भी राजस्थानी थे . राजस्थान में अभी भी हमारा अपने मूल गावँ में आना जाना है .

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  3. बहुत सुन्दर बात बतई आपने. शाम को घर जाकर सुनते हैम ये गीत भी, यहां सुननए का जोगाड नही है आफ़िस मे.

    रामराम.

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  4. विरह में तड़पती नारी मन की भावनाएं व्यक्त करने वाले कई गीत राजस्थानी भाषा में है । कुर्जा, सपनो, पीपली आदि उदाहरण है । आपने इस गीत को सामने लाकर बहुत अच्छा काम किया है । इस से पाठको को राजस्थानी भाषा एवं संस्कृती को जानने का अवसर मिलेगा ।

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  5. bhut acha lagta ha dil ko sakun milta han ap ko bhut bhut thanks sankriti ko bachhane ka bida uthaya hamari or se apko bhut sari badhiya
    RANBIR SINGH (HUDEEL)

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  6. hukum bahut chokho gaano hai .... upload karan vaaste dhanyavaad
    khamma ghani

    digvijay singh rajawat

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