
marsiya
6:06 am
चार लाख रु.लालच भी नहीं भुला सका मित्र की यादें

ज्ञान दर्पण पर आपने " मित्र के विरह में कवि और विरह के दोहे" में पढ़ा कि अपने मित्र बाघजी राठौड़ की मौत का दुः…
ज्ञान दर्पण पर आपने " मित्र के विरह में कवि और विरह के दोहे" में पढ़ा कि अपने मित्र बाघजी राठौड़ की मौत का दुः…
उजळी द्वारा अपने प्रेमी जेठवा के विरह में लिखे दोहे - जळ पीधो जाडेह, पाबसर रै पावटे | नैनकिये नाडेह, जीव न धापै जेठवा |…
उजळी द्वारा अपने प्रेमी जेठवा की मृत्यु उपरांत बनाये पिछोले - पाबासर पैसेह हंसा भेला नी हुआ | बुगलां संग बैसेह , जूण ग…
करीब ११ वीं-१२ वीं शताब्दी में हालामण रियासत की धूमली नामक नगरी का राजा भाण जेठवा था | उसके राज्य में एक अमरा नाम का गर…