राजा मानसिंह द्वारा पत्थर की शिला के बदले जीता हुआ राज्य वापस

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“राजा मानसिंह द्वारा पत्थर की शिला के बदले जीता हुआ राज्य वापस” शीर्षक पढ़कर आप भी चौंक गए होंगे कि क्या कोई पत्थर की शिला के बदले राज्य वापस कर सकता है| पर हाँ यह सच है ! राजा मानसिंह आमेर ने ढाका से 18 किलोमीटर दूर स्थित जैसोर राज्य पर आक्रमण कर वहां के राजा केदारराय को युद्ध में हरा दिया था| राजा केदार ने राजा मानसिंह से अनुरोध किया कि वह उसका राज्य वापस कर दे, बदले में वह अपनी आराध्य शिला उन्हें समर्पित कर देगा| आपको बता दें इसी शिला पर राजा मानसिंह द्वारा देवी की मूर्ति उत्कीर्ण कराई गई और उसे आमेर के राजमहल में विधिवत प्रतिष्ठित करवाई, जो आज शिला देवी के नाम से विश्व पर्यटन मानचित्र पर प्रसिद्ध है|

जमवाय माता संक्षिप्त इतिहास पुस्तक के लेखक डा.रघुनाथ प्रसाद तिवाड़ी “उमंग” लिखते है कि राजा मानसिंह बंगाल के सूबेदार रहे थे| उन्होंने अनेक प्रान्तों पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की थी यधपि किसी हिन्दू राजा का वध नहीं किया और ना ही होने दिया| जब जैसोर के राजा केदारराय ने उन्हें इस आराध्य शिला समर्पित करने के बदले राज्य वापस करने का अनुरोध किया तो शिला की शक्ति से परिचित राजा मानसिंह ने यह शर्त मान ली और इस आश्वासन के साथ इस शिला को ले आये कि पर देवी की मूर्ति उत्कीर्ण कराने के लिए वे स्वतंत्र होंगे किन्तु उसकी पूजा बंगाल की शाक्त परम्परा के पंडित ही करेंगे| यह घटना सन 1587 ई. की बताई जाती है|

राजा मानसिंह ने इस काले पत्थर की चमत्कारिक शिला पर शूल से दैत्य पर प्रहार करती हुई दुर्गा की प्रतिमा उत्कीर्ण करवाई, तांत्रिक विधि से मंदिर में प्रतिष्ठा करवाई और आज यह शीलादेवी के नाम से गुलाबी नगरी जयपुर का प्रमुख शक्तिधाम बन गया|

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