सोलंकी भीमदेव

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Raja Bhiamdev Solanki of Gujrat History in Hindi

काबुल के तूफानों से जब जन मानस था थर्राया।
गजनी की ऑधी से जाकर भीमदेव था टकराया|।


Raja Bhimdeo राजा भीमदेव प्रथम सोलंकी वंश के थे और अणहिलवाड़ापाटन (गुजरात) के राजा थे। दुर्लभराज के पुत्रहीन होने पर उसके छोटे भाई नागराज के पुत्र भीमदेव वि.सं. १०७९ (ई.स. १०२२) में राजगद्दी पर बैठे। जब वे सिंहासन पर बैठे तब कम उम्र थी।
उस समय गजनी का शासक महमूद था। वह एक शक्तिशाली शासक था। उसने भारत पर कई बार आक्रमण कर, यहाँ से अथाह सम्पत्ति लूटकर ले गया। काठियावाड़ में सोमनाथ का शिव मन्दिर सुप्रसिद्ध था। महमूद ने वि.सं. १०८१ (ई.स. १०२४) में सोमनाथ के मन्दिर पर आक्रमण करने के लिए गजनी से प्रस्थान किया। इसके पहले उसने इतनी बड़ी सेना का संचालन कभी नहीं किया था। गजनी से वह मुलतान आया और मुलतान से राजपूताना के विशाल मरुस्थल को पार कर काठियावाड़ जाने का निश्चय किया। यहाँ के छोटे-छोटे राज्यों ने अपनी सेना के साथ उसका विरोध किया। महमूद के अचानक आक्रमण की खबर पाकर भीमदेव भी अपनी सेना के साथ, जो उस समय उपलब्ध थी; युद्ध के लिए आये। मुस्लिम सेना बहुत अधिक होने के कारण भीमदेव को कन्थकोट (कच्छ) के किले में शरण लेनी पड़ी। महमूद ने मन्दिर को नष्ट किया और वहाँ से धन सम्पति लूट कर वापस रवाना हुआ।
भीमदेव ने और सेना एकत्र कर महमूद को रोकना चाहा। इस समय महमूद उससे भिड़ना उचित नहीं समझता था। अत: उसने रास्ता बदल कर सिन्ध से होकर गजनी की ओर कूच किया। भीमदेव ने सिन्ध के राजा हम्मुक पर आक्रमण कर उसे पराजित किया। जब वह सिन्ध में युद्ध कर रहे थे, तब मालवा के राजा भोज के सेनापति ने अणहिलवाड़ा पर आक्रमण किया। राजधानी में राजा के अनुपस्थित रहने के कारण मालव सेना ने नगर को लूटा। इस युद्ध से गुजरात की बहुत अधिक क्षति हुई। सिन्ध से लौटने के बाद भीम, भोज की शक्ति को नष्ट करने में पूर्णतः जुट गया। उस समय आबू पर मालवा के परमारों की शाखा के धन्धु का शासन था। भीम ने आबू पर आक्रमण कर दिया। धन्धु पराजित होकर भोज की शरण में मालवा चला गया। भीम ने आबू को सरलतापूर्वक जीत कर अपने राज्य में मिला लिया। विमलशाह को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया।

भीमदेव ने मालवा पर भी आक्रमण किया। अपने पड़ोसियों से निरन्तर युद्ध से भोज की सामरिक शक्ति कमजोर हो गई थी। भीमदेव ने मालवा (धारा) के भोज को युद्ध में परास्त किया था। भीमदेव सोलंकी ने वि.सं. ११२१ (ई.स. १०६४) तक गौरवपूर्ण राज्य किया। भीमदेव गुजरात के सबसे प्रतापी शासक थे। गुजरात के इतिहास में भीमदेव का समय गौरवशाली रहा है। लेखक : छाजूसिंह, बड़नगर

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