पत्रकार जगेन्द्रसिंह की हत्या : क्या यही लोकतंत्र है ?

Gyan Darpan
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पिछले दिनों उतरप्रदेश के शाहजहांपुर में एक Journalist Jagendrasingh को पुलिस के एक दस्ते ने घर में घुसकर पैट्रोल डालकर जला दिया. जगेन्द्र को जली हुई अवस्था में अस्पताल पहुँचाया गया जहाँ उसने 8 जून को दम तोड़ दिया. ख़बरों के अनुसार जगेन्द्र को फेसबुक पर शाहजहांपुर समाचार के नाम से पेज पर उतरप्रदेश के राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा के खिलाफ समाचार लिखने के चलते नाराज मंत्री ने पुलिसकर्मियों की सहायता से मौत के घाट उतार दिया. इस मामले में जागेन्द्र सिंह के बेटे राजेन्द्र सिंह की तहरीर पर राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा, इंस्पेक्टर प्रकाश राय, गुफरान, ब्रह्मकुमार दीक्षित उर्फ भूरे, अमित प्रताप सिंह, आकाश गुप्ता व 3-4 अन्य पुलिसवालों के खिलाफ 302, 504, 506 और 120बी के तहत कुठार थाने में मामला दर्ज किया गया है।

आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने जागेन्द्र सिंह का मौत के पहले बयान रेकॉर्ड किया था। बयान में जागेन्द्र अपनी हालत के लिए मंत्री राममूर्ति वर्मा द्वारा जमौर में एक लाख वर्ग गज जमीन कब्ज़ा करने, तीन लट्ठा चौड़े बक्शी नाला को अवैध कब्जे द्वारा एक लट्ठा कर देने जैसी बातों को उजागर करने को पूरी तरह जिम्मेदार बताया था। इससे पहले जगेन्द्र ने फेसबुक पर भी 22 मई को लिखे अपने स्टेटस में राज्य मंत्री द्वारा अपनी हत्या करवाने की आशंका व्यक्त की थी. और जगेन्द्र की यह आशंका सच साबित हुई. इससे पहले भी मंत्री ने जगेन्द्र पर किसी द्वारा मुकदमा दर्ज करवा कर पुलिस द्वारा प्रताड़ित करवाया, जिसके विरोध में जगेन्द्र धरने पर भी बैठे. आखिर जगेन्द्र द्वारा मंत्री के कुकर्मों का फेसबुक के माध्यम से भंडाफोड़ करवाने से बौखलाकर मंत्री ने पुलिस के सहयोग से उसकी हत्या करवा दी.

जगेन्द्र की जिस वीभत्स, जघन्य व बर्बर तरीके से घर वालों के सामने जिंदा जलाकर हत्या की गई, उससे अपराधियों से मिलीभगत का आरोप झेल रही उतरप्रदेश की पुलिस का बर्बर चेहरा सामने आता है. जगेन्द्र की मौत ने यह अहसास दिलवा दिया विकास के दावे करना वाला हमारा समाज, हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि आज भी जंगलराज से बर्बर व्यवहार करने से नहीं चुकते. यह घटना साबित करती है कि लोकतंत्र में अपने शासन का अनुभव करने वाली जनता वोट देकर इस झंठे भुलावे में है कि वह आजाद है. जबकि हकीकत यह है कि आज भी हम बर्बर काल से गुजर रहे है. जिस पुलिस पर जनता की रक्षा का दायित्व है उसी पुलिस के कुछ लोग चंद रुपयों के टुकड़ों के लिए कितना भी भयावह कदम बेहिचक उठा सकते है.

जगेन्द्र के परिजन न्याय के लिए अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे है. उतरप्रदेश की सपा सरकार मामले की लीपापोती में लगी है और बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए खुलेआम मंत्री को बचाने का उपक्रम कर रही है. खबर मिली है कि जो जाँच दल नियुक्त किया गया है, उसे भी मैनेज कर लिया गया है ताकि मंत्री को बचाते हुए जाँच रिपोर्ट तैयार की जा सके. अत: इस मामले में किसी भी जाँच दल से किसी तरह के न्याय की उम्मीद नहीं है, यदि न्याय मिलने की कहीं कोई किरण नजर आती है तो वह माननीय न्यायालय की और से नजर आ रही है. यूपी के माननीय न्यायालय ने इस मामले से जुड़ी जाँच रिपोर्ट तलब की है. देखते है जगेन्द्र को न्याय मिलता है या नहीं, पर हाँ जगेन्द्र का माफिया के खिलाफ संघर्ष व्यर्थ नहीं जायेगा. माफिया ने एक जगेन्द्र की आवाज खामोश की है. अब जिस तरह से मीडिया जगत के पत्रकार बंधू लामबंध हो रहे है उसे देखकर लगता है कि अब माफिया के खिलाफ कई जगेन्द्र अपनी कलम चलायेंगे. यही जगेन्द्र को सच्ची श्रद्धांजली होगी.



Jagendrasingh journalist's murder

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5टिप्पणियाँ

  1. दुखद।
    लामबन्द हो कर ही माफिया/जंगलराज से लोहा लिया जा सकता है। अन्यथा जोगेन्द्रसिन्ह वाला तरीका दुखद स्थिति ही बनाता है! :-(

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  2. इस देश के लोकतंत्र में तो यही होना नियति बन गया है , राजा महाराजा चले गए अब ये नये राजा महाराजा आ गए , राजकाज का काम केवल गुंडों व मवालियों के हाथ में ही आ गया है , यू पी बिहार का तो भगवन ही मालिक है पर अन्य राज्य भी कोई विशेष पीछे नहीं है

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18 - 06 - 2015 को चर्चा मंच पर नंगी क्या नहाएगी और क्या निचोड़ेगी { चर्चा - 2010 } पर दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  5. सुन्दर सामायिक लेख बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करते हुए , बेहतरीन अभिब्यक्ति , मन को छूने बाली पँक्तियाँ

    कभी इधर भी पधारें

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