कैटल क्लास : यत्र तत्र सर्वत्र

Gyan Darpan
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सुबह बदरपुर दिल्ली बोर्डर पर टोल टैक्स सड़क के बगल में बिना टोल टेक्स वाली सर्विस रोड़ पर वाहनों की भीड़ में फंस कर जैसे ही टोल टेक्स रोड़ पर फर्राटे से भागते वाहनों को देखा और उन वाहन चालकों को हमारी भीड़ देखते हुए देख महसूस हुआ कि शायद वो हमारी भीड़ से भरी सड़क देखकर मन ही मन मुस्कराते हुए हमें कैटल क्लास समझ रहे हों और उनका भीड़ भरी सड़क को ताकना देख हमें भी समझते देर नहीं लगी कि ये कैटल क्लास हवाई जहाज में ही नहीं यहाँ भी मौजूद है| वाहनों की भीड़ में इस कैटल क्लास का आभास होते ही मस्तिष्क उस कैटल क्लास सड़क पर भी क्लास तलाशते आगे बढ़ा तो देखा कि सड़क पार कर रही पैदल भीड़ से तंग आकर साईकिल चालक सोच रहे थे कि कहाँ कैटल क्लास में फंस गए ?, तो उसी कैटल क्लास रोड़ पर साईकिल चालकों द्वारा ट्रैफिक नियम कायदों के पालन बिना चलने से बाइक सवार दुखी थे और मन ही मन साईकिल चालकों को कैटल क्लास समझते हुए सोच रहे थे कि- कहाँ कैटल क्लास में फंस गए ?

जबकि भीड़ में बाइक चालकों द्वारा इधर उधर, जिधर कारों के बीच जगह दिखे बाइक घुसाकर कार चालकों के लिए परेशानी खड़ी करने पर कार चालक भी बाइक चालकों को कैटल क्लास समझते हुए अपने मन को कोस रहे थे कि कहाँ इस कैटल क्लास में फंस गए?
इसी तरह छोटी कारों की भीड़ को बड़ी कार वाला कैटल क्लास समझता है, बड़ी कार वाले को उससे बड़ी कार वाला कैटल क्लास समझता है|
रेल में भी जनरल बोगी व उसके यात्रियों को आरक्षित बोगी का यात्री कैटल क्लास समझता है तो आरक्षित बोगी व उसमे यात्रा करने वाली क्लास को वातानुकूलित बोगी में सफर करने वाला कैटल क्लास ही समझता है|

हवाई जहाज की कैटल क्लास पर एक मंत्रीजी पहले ही प्रकाश डाल चुकें है| पर उस पर प्रकाश डालते मंत्रीजी ने शायद सोचा भी नहीं होगा कि निजी जहाजों व सरकारी जहाजों, हेलीकोप्टरों में में यात्रा का लुफ्त उठाने वाले नेता,मंत्री, उद्योगपति व व्यापारी आदि विमानन कंपनियों के यात्री ढोने वाले जहाजों की किसी भी क्लास को कैटल क्लास ही समझते है|
यात्रा में ही क्यों बाजार में भी खरीदारों के मामले में भी ऐसी ही सोच रखने वाले खरीददार मिल जायेंगे| बड़े शो-रूम में खरीददारी करने वाला बाजार की छोटी दुकानों को कैटल क्लास ही समझता है और बड़े मॉल में खरीददारी करने वाले की सोच में शो-रूम भी मॉल के आगे किसी कैटल क्लास सरीखा ही होता है|
कुल मिलाकर हर जगह अपने से छोटे स्तर को कैटल क्लास समझने की मानसिकता वालों की कमी नहीं| ऐसे लोगों को हर जगह कैटल क्लास तो नजर आती है पर अपने भीतर छुपा “कैटलपना” कभी नजर नहीं आता|

यदि अपने से छोटी क्लास को कैटल क्लास समझने की मानसिकता रखने वाले लोग यदि अपने भीतर “कैटलपना” देख पाएं तब उन्हें लगेगा कि छोटी क्लास वाले कैटल है या नहीं, पर उनसे बड़ी कैटल क्लास कोई हो ही नहीं सकती| क्योंकि जिसके अंदर 'कैटलपना" होगा वही ऐसी मानसिकता रखेगा| और ये "कैटलपना" व्यावसायिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक रूप से शक्तिशाली हुए व्यक्तियों में ही ज्यादा पाया जाता है बल्कि कहें कि जैसे जैसे व्यक्ति ये उपरोक्त शक्तियाँ प्राप्त करता जाता है उसमे “कैटलपना” बढ़ता ही जाता है वह सिर्फ अपने आपको ही आदमी समझता है बाकि उसे अपने आप के आगे सब कैटल ही नजर आते है|

और हाँ जब तक लोगों में ऐसी मानसिकता कायम रहेगी तब तक कैटल क्लास हर जगह मौजूद रहेगी|


Cattle Class

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5टिप्पणियाँ

  1. sahi kaha aapne har bada apne se chhote ko yahi samjhta hai kintu nahi soch pata ki use bada bhi use yahi soch raha hai .shandar prastuti.

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  2. बहुत सन्नाट व्यंग लिखा है, नीचे वाले को कैटल समझने वाले को यह समझना चाहिये कि उसे भी कोई कैटल समझता है..

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  3. मानसिकता में बड़े बदलाव की आवश्यकता है भाई जी !
    :(

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  4. सही में कैटल क्‍लास हर जगह मौज़ूद है. रेलों में फ़र्स्‍ट, सैकेंड और थर्ड क्‍लास होती था. इसी के कारण कुछ लोगों को ही 'थर्ड क्‍लास आदमी' कहने का चलन हो गया. सरकार ने दुखी होकर थर्ड क्‍लास बंद ही कर दी. पर कहां कहां बंद करे कोई कैटलक्‍लास को...

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