पंडित जी और सरकार में समानता

Gyan Darpan
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कल गांव के चौक में अचानक पंडित जी मिल गए उनका चेहरा और हाव-भाव देख हम ताड़ गए कि –“आज पंडित जी किसी से किसी बात पर खफा है|” हमने अपनी जिज्ञासा मिटाने हेतु पंडित जी को कुरेदने की कोशिश करने से पहले अभिवादन किया|

“पाएं लागूं पंडित जी|”

पर आज तो पंडित जी ने हमेशा की तरह रटा-रटाया आशीर्वाद “दूधो नहावो,पूतो फलो” कह आशीर्वाद देने की बजाय, सीधा अपनी भड़ास निकालते हुए कहने लगे-

“ शेखावत जी देखा- सरकार ने महंगाई बढ़ाकर आम आदमी का जीना दूभर कर दिया है| अब गैस को ही ले लीजिए छ: सिलेण्डर से पूरा वर्ष निकालने के चक्कर में महिलाएं क्या खाक स्वादिष्ट खाना बनाएगी? ये सरकार तो बस आम आदमी के पीछे ही पड़ गयी, पैदा होने से लेकर मरने तक पीछा ही नहीं छोड़ती|”

हम पंडित जी की दुखती रग समझ गए कि आजकल पंडित जी जहाँ भोजन के लिए जाते शायद वहां महिलाएं गैस बचाने के लिए या तो खाना पूरा पका नहीं रही है या फिर कुकर के इस्तेमाल से खाने में पंडित जी को वो धीमी आंच में बने खाने का स्वाद नहीं मिल रहा| फिर भी हमने पंडित जी को छेड़ कर मौज लेने के उद्देश्य से कहा-“ पंडित जी! माना ये सरकार महंगाई बढ़ा रही है, कर बढ़ा रही है पर उस कर की रकम से ही तो देश का और अपना विकास कर रही है ना| और वैसे भी मुझे तो आपमें और सरकार में कोई खास फर्क नजर नहीं आया|”

पंडित जी बोले- “ देखिये शेखावत जी! आप हमारी तुलना सरकार से करके बहुत गलत कर रहे है| एक सरकार है कि हर वक्त देशवासियों को, देश के संसाधनों को लूटने में लगी रहती है| और हम पूजा पाठ कर लोगों के मन में शांति भरते है, उनका भविष्य, व्यापार सुधार कर उनका कल्याण करते है| अरे हम तो मनुष्य का अगला जन्म तक सुधार देते है, भला हमारी और लुटेरी सरकार की क्या तुलना?”

हम बोले- “वो ठीक है पंडित जी! पर सरकार तो फिर भी मरने के बाद छोड़ देती है पर आपका अपने जजमान को लूटने का सिलसिला तो मरने के बाद भी बंद नहीं होता|”

हमने कहना चालू रखा-“देखिये पंडित जी! गांव में बच्चा पैदा होते ही वह ठीक उसी तरह से आपका ग्राहक हो जाता है, जैसे वह पैदा होते ही सरकार की प्रजा| अब बच्चे के पैदा होते ही सरकार तो बाद में आती है आप तो उसके संस्कार आदि व पूजा पाठ के बहाने दक्षिणा लेना शुरू कर ही देते है, और उसके बाद भी किसी न किसी बहाने पूजा के नाम पर दक्षिणा लेना जारी रखते है, कभी किसी संस्कार के बहाने, कभी उसकी कुंडली में किसी ग्रह को अशांत बताकर उसकी शांति के नाम पर हवन पूजा, तो कभी उसकी सगाई की रस्म पूजा, तो कभी शादी के फेरों में दक्षिणा| यही नहीं हवन में तो आपने ठीक उसी तरह लूटने का तरीका खोज निकाला जैसे सत्ताधारी लोग घोटाले करने के लिए नित नए तरीके खोज लेते है| पहले आपके पूर्वज हवन में आहुति के साथ पूजा सामग्री ही डलवाते थे पर आपने आहुतियों के साथ नोट डालने का रिवाज शुरू कर दिया और आहुति में डाले गए नोट आपकी झोली में और पूजा सामग्री हवन में| और जब लोग आपके कहे अनुसार आहुति में नोट चढाने लगे तो आपने हवन में आहुतियों की संख्या बेतहासा बढ़ा दी| अब ये आहुति घोटाला नहीं है तो और क्या है ?”

सरकार की बात तो छोड़ो आप तो व्यक्ति के मरने के बाद भी श्मशान तक पूजा पाठ करने के बहाने अपनी लुट जारी रखते है| यही नहीं मरने के कई वर्षों बाद तक श्राद्ध के नाम पर वर्षों तक उसके वंशजों से दक्षिणा वसूलते है| और हाँ! किसी की जवानी में अकाल मृत्यु हो गयी तो आपकी दक्षिणा तो “नारायण बलि” नामक एक पूजा करने के नाम पर बढ़ जाती है| क्योंकि आपने लोगों के दिमाग में यह बात पक्का बिठा रखी है कि-“किसी की जवानी में अकाल मृत्यु हो जाती है तो उसकी गति बिना “नारायण बलि” की पूजा व हवन आदि के नहीं होगी और इस नारायण बलि के नाम पर आप उस पीड़ित परिवार से मोटा माल वसूलने से भी नहीं चुकते|”
हाँ सरकार और आपने इतना फर्क जरुर है कि सरकार बेदर्दी से,अपनी मर्जी से जब चाहे तब आम आदमी को लपेट देती है आखिर वो शासक जो ठहरी| और आप बड़े प्यार से, धार्मिक भावनाओं का दोहन करते हुए लपेटते है कि आम आदमी आपसे लुटने खुद चला आता है या लुटने के लिए बड़े आदर के साथ आपको आमंत्रित करता है|

अपने खिलाफ हमारी इस तरह की खरी-खोटी टिप्पणियाँ सुनकर पंडित जी बगलें झाँकने लगे और और ठीक उसी तरह खिसियाते हुए जैसे हर घोटाले के बाद सरकार के नुमायंदे बेशर्मी से विपक्षियों के आरोपों का खिसियाते हुए जबाब देते है, कहते हुए खिसक लिए कि-

“लगता है शेखावत जी आप धर्म भ्रष्ट हो गए है, आप पर नास्तिकता का भूत सवार हो गया है या आप जातिवादी विचारधारा से ग्रसित होकर हम पंडितों पर इस तरह के आरोप लगाकर हमारी पूरी जाति का अपमान कर रहे है| अब तो मुझे आप जैसे लोगों के खिलाफ पुरे पंडित समुदाय को खड़ा करना होगा और आप जैसे लोगों के आरोपों का मुंह-तोड़ आक्रामक जबाब देना होगा ताकि कोई दूसरा आपकी तरह हमारे खिलाफ और हमारे दक्षिणा लेने के अधिकार के खिलाफ बोलने की हिमाकत ना कर सके|”

और इस तरह पंडित जी ठीक उसी तरह मुझ पर आरोपों की झड़ी लागते हुए चलते बने जैसे घोटाला करने के बावजूद सरकारी पार्टी के लोग उल्टा उन पर आरोप लगाकर उन्हें कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करते है जो घोटाले का विरोध करते है|


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7टिप्पणियाँ

  1. सरकार ने इन्हें भी दुखी कर रखा है।

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  2. पंडित जी और सरकार सशक्त व्यंग्य .

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  3. शेखावत जी आपने कलयुग में इस धर्म भूमि पर जन्म लिया है अत: मैं भी कह सकता हूँ, कि आप

    @“लगता है शेखावत जी आप धर्म भ्रष्ट हो गए है,


    जय राम जी की.

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  4. बेचारे पंडीत जी , अब तो उन्हें अपने मंत्रोचार से सरकार के फैसले को रोलबैक कर देना चाहिए.

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  5. ऐसी सरकारें आती रही तो पंडित जी जीभ का स्वाद तो निश्चित भूल जायेंगे।बहुत सुंदर व् सटीक व्यंग्य।

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  6. शेखावत साहब ब्राह्मण किसी से जबरदस्ती पूजा-पाठ का नहीं कहते. लोग खुद आज पंडित के पास जाते हैं और पंडितों की डिमांड की तो क्या कहूँ. पहले के ज़माने में झोम्पड़ा बनाकर खुद बैठ जाते थे लेकिन अब गृह-प्रवेश का प्रचलन आम हो चूका है. आज पंडित नहीं लूटता यजमान लुटाता है.

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