पुरानी के बावजूद क्यों खुश है नेता जी ?

Gyan Darpan
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जब से एक बड़े मंत्री जी का बयान आया कि –“मजा नई जीत और नई शादी में ही है”, तब से हमारे शहर के सबसे पुरानी पार्टी के नेता जी असमंजस में है| और हो भी क्यों नहीं ? एक तो पार्टी इतनी पुरानी और ऊपर से सत्ताधारी नेताओं और मंत्रियों ने एक से बढ़कर एक घोटाले करके बेचारी पार्टी को इतना बदनाम कर दिया कि अगले चुनावों में नेता जी को जीतना भी बहुत मुश्किल लग रहा है| बढ़ी महंगाई के चलते देश में उनकी पुरानी पार्टी के खिलाफ असंतोष भी बहुत बढ़ा हुआ है| और ऊपर से अन्ना, बाबा और केजरीवाल सरीखे लोग आग में घी डालने में लगे है| इसलिए इन सब बातों से बेचारे नेताजी वैसे भी दुखी थे और जब से मंत्रीजी का “नई जीत और नई बीबी” वाला बयान सुना तब से और भी दुखी हो गए थे|

पिछली मुलाकात के समय हमने उनके चेहरे पर चिंता के भाव एकदम साफ़ साफ़ पढ़ लिए थे कि- नेताजी अपनी पुरानी पार्टी में रहते हुए चुनाव हारने की आशंका से बहुत आतंकित है और उनके साथ बातों बातों में हमने ताड़ भी लिया था कि “ऐसे प्रतिकूल हालातों में नेताजी किसी नई पार्टी में घुसकर अपनी जीत पक्की कर फिर सत्ता का स्वाद चखते रहने की योजना बना रहें है|

पर आज अचानक जब नेताजी मिले तो उनका चहकता हुआ चेहरा देख हमने अनुमान लगाकर कि लगता नेताजी को नई बीबी मतलब नई पार्टी मिल गयी लगती है, तो क्यों न नेताजी को बधाई ही दे दी जाय|
सो हमने नेताजी को औपचारिक अभिवादन कर कहा- आज तो बड़े खुश नजर आ रहे है नेताजी! क्या नई बीबी मतलब नई पार्टी मिल गयी क्या?

नेताजी बोले- “ नहीं जी! हम तो अभी भी पुरानी के ही साथ है और रहेंगे|

हमने कहा- “ये क्या? कल तक तो आप पुरानी से बहुत दुखी थे!और नई पाने के जुगाड़ में लगे थे, आज अचानक पुरानी अच्छी कैसे लगने लगी ?

नेताजी बोले-“हम तो उन मंत्रीजी की बात सुनकर फालतू ही उलझन में पड़ पुरानी से डर अपना मन और मूढ़ खराब किये बैठे थे और मजा लेने के लिए नई की कामना कर रहे थे| पर.. आज अचानक फेसबुक पर हमने एक ब्लॉगर पद्म सिंह की टिप्पणी “जींस कितनी भी पुरानी हो, फटी हो,घिसी हो फिर भी लोग उसे फैशन के चलते पहने घूमते है ठीक इसी तरह राजनीति में भी चुनाव जीतने के लिए सेकुलरता की फैशन का चलन है” पढ़ ली और वो पढ़ने के बाद पता चला कि भले पुरानी में मजा नहीं है पर देश की वर्तमान राजनीति में हमारी पुरानी पार्टी की सेकुलर विचारधारा का ही फैशन है| और आपको तो पता है न ? कि इस सेकुलरता वाली फैशन के आगे विकास, जन-हित, रोजगार, सुशासन आदि के लिए किये कितने ही काम फीके रहते है| चुनाव जीतने के लिए इससे बढ़िया नारा कोई नहीं| बेशक घोटाले करो, देश लूटो, वोट बैंक के लिए विदेशी घुसपैठियों को देश में बसावो, साम्प्रदायिकता फैलावो, बेरोजगारी बढाओ, अपने खिलाफ हुए आन्दोलनों को बेशर्मी से कुचल दो, जब मर्जी आये महंगाई बढ़ा दो, कर बढ़ा दो, अपने लिए 35 लाख के टॉयलेट बनवाओ, साम्प्रदायिक दंगे करवा दो पर सेकुलरता व आरक्षण का राग अलापते रहो, बस चुनावों में जीत आपकी ही होगी| क्योंकि देश की राजनीति में फैशन सेकुलरता का ही है|
और हमारी पार्टी भले पुरानी हो, भ्रष्ट हो पर सेकुलरता वाले फैशन में सबसे ज्यादा डूबी है इसलिए जीत उसकी ही होगी और हम भी इसीलिए इस पार्टी से चिपके है|

सेकुलरता के नाम पर जीत के पक्के आत्मविश्वास के साथ कहते हुए नेताजी तो आगे बढ़ गए| पर हम तब से इस फैशन के चलते सत्ता हासिल करने वालों के क्रियाकलापों और उनका देश पर पड़ने वाले साइड इफेक्ट्स के बारे में सोचकर ही सहमे बैठे कि–“अभी तक इस सेकुलर फैशन के चलते देश ने इतना भुगत लिया तो भविष्य में इस फैशन के चलते देश के क्या हालात होंगे?



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6टिप्पणियाँ

  1. समझ नहीं आता ये लोग इतनी जिम्मेदारी वाली पोस्ट पर बैठकर भी ऐसी घटिया बात क्या सोचकर बोल देते हैं. अभी और एक नेता ने शौचालयों को मंदिरों से बेहतर बता दिया .

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  2. कबिरा इस संसार में भाँति भाँति के लोग..

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  3. हा हा हा , और उपर से तुर्रा ये कि ना किसी की सुनने को तैयार ना मानने को ये कांग्रेस वाले

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  4. अरे साहब यह लोग बेहद चिकना घड़ा है ... इन पर कोई फर्क न पड़ने का !


    दुर्गा भाभी को शत शत नमन - ब्लॉग बुलेटिन आज दुर्गा भाभी की ११० वीं जयंती पर पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और पूरे ब्लॉग जगत की ओर से हम उनको नमन करते है ... आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !

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  5. नेता लोग हैं, देश चलाने से फ़ुर्सत हो तो ढंग से सोचने की बात करें ... चलो जाने दो

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