उनके मुख्यमंत्री काल व उनके साम्प्रदायिक सदभाव का वर्णन राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार श्री सौभाग्य सिंह, भगतपुरा ने राजस्थानी काव्य में इस तरह किया है-
आप दिवाणी काल में, कदैन पडियों काल |
सोरो सगलो मानखो, सदा प्रान्त सुकाल ||१
सुखी रियो सो मांनखो, गायो राग मल्हार ||२
निपज उपज व्ही मोकली, मिनखां मेल मिलाप |
निबल निजोरा नार नर, रुलतां दिय रुजगार ||३
राम रेवाड़ी ताजिया, होली ईद त्योंहार ||४
मेल भेल सू मन्न्वी, बिना खार घण प्यार |
लूट खोस अर जेब कट, चाम चोर घर फोड़ ||५
धरणां आंदोलण नहीं, भूख हड़तालां बंद ||६
रोजगार रोटी मिली, मिटगा सारा फंद |
ढहता राख्या देवला, दुड़ता कोट कंगूर ||७
कार कार सहकार कह, कार कार सहकार ||८
कार बिना बेकार कह, कार कार सहकार |
मुल्ला हिन्दू मोलवी, पठाण पन्नी पिरवार ||९
डुलतो ढाब्यो जवन दल, आगै दियो न जांण ||१०
सेखा रै दरबार में, भ्रात रूप भेलाह |
हिन्दू मुस्लिम साथ सह, भोजन सम्मेलाह ||११
सेखा सेन समाज में, चालत इक जाहीह ||१२
मान म्रजादा मोकली, मन अन्तर नाही |
सेखा घर चालत अजै, परांपरी सूं वाही ||१३
राव सिखर ध्रम धारणा, उपज्यो आप विचार ||१४
दरगाह ख्वाजाजी अर, नगर नागौरी मांह |
सुधराई सुन्दर करी, मजहब भेद भुलाह ||१५
आपणड़ो ही गांवड़ो, आपणलो रुजगार ||१६
गांव काम अर लार रिया,आगै ल्याणा उठार |
तीनां ही सुभ योजना, दिवी दाद संसार ||१७
काल तमां तो आज हमां, पलटंती पालीह ||१८
मील फैक्टरी कामगर, ज्यूँ सगलो संसार |
पाली रै वै पलटती, समझ कहण रो सार ||१९
दादामह नामी सिखर, सदभावी मन साथ |
हिन्दू मुस्लिम धरम सह, नजर नर नाथ ||१
सिखर पुरस धन भैरवसी, जस खेती लाटीह ||२
समन्वय सम्प्रदाय सह, मठ महजित गिरजाह |
मंदिर टिम्पिल भेद नह, द्वारा सिख दरगाह ||३
जैनी वैष्णव शैव सिख, सदमती मन प्याराह ||४
छत्रिय धरम पालण प्रजा, दूज धरम ज्ञान प्रसार |
वेस धम हट विंणज रो, क्यार खेत स्रमकार ||५
राज धरम पालै परम, अभेद भाव उर धार ||६
काबर टीड कमेड़ीयां, करत नाज खोगाल |
म्रगलां डांगर रोझाड़ा, कीधी खेत रुखाल ||७
गोफ फेंक फटकार फट, देता टीड उडाय ||८
सांझी बेलां सुरभियां, चरा घास पय पाय |
न्याणो दै बाछड़ चुंगा, लेतौ दूध कढाय ||९
प्याली चायां पी रिया, आज तणी विरियांह ||१०
भावी भारत रा भडां, गौधन देस कर गौर |
पालौ बछड़ा बाछियां, मिटे गरीबी रौर ||११
अबखी बेलां साथ दै, आप बणे हमगिर ||१२
थोथा थूक बिलोवणा, लाभ किणी न होय |
बहस सारथक करण सूं, लाभ मिलै सह कोय ||१३
वचन मुंहड़े काढणों, होठ तराजू तोल ||१४
सभा राज अर लोक सदन, प्रतिनिधि क्रोड़ नरेह |
जन मन री आकांक्षा, आदर करै उरेह ||१५
चांद सूर तारा मंडल, थिरा नीर निवांण ||१६
रचना रघुपत री रची, नाना विध न्यारीह |
कठे कंटीली किटकली, कठे फूल क्यारीह ||१७
ठाठ गुवाडां गांवडां, धान पात साराह ||१८
बहौ जनतां गांवां घरां, उण उर कियो उजास |
ग्यान चिरागां बीजल्या, पेखो निजर प्रकास ||१९
मन बुद्धि निरमल रहै, मिटे बदन आजार ||२०
सबल आधार पालण सुरभि, दूध दधि घ्रत अहार |
घास चरै इम्रत श्रवै, करै महा उपगार ||२१
गायत्री चौथी गिणों, जण जीवन आधार ||२२
विनम्र श्रद्धांजलि...
जवाब देंहटाएंसुन्दर काव्य, विनम्र श्रद्धांजलि..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि!
स्व.भैरोंसिंह जी की द्वितीय पुण्य तिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर काव्य रचना,..
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,
बाबो सा की प्रतिमा बनाने का सु-अवसर मेरे को मिला ये मेरा सोभाग्य रहा है ...शत-शत नमन
जवाब देंहटाएं:) :)
हटाएंसुन्दर प्रस्तुती शेखावत जी को हमारा नमन यहा भी पधारे yunik27.blogspot.com
जवाब देंहटाएंISLIYE TO TO IS DESH KE RASTPATI NHI BAN SAKE ,
जवाब देंहटाएंhttp://blondmedia.blogspot.in/
स्वर्गीय आत्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि...सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंaapka rajasthani sahitya ka evam hindi ka gyan bahut achha v kaphi adhik hai.....apka ye gyan darpan khafi agge tak jayega....aaj kal teji se aage bad raha hai.
जवाब देंहटाएंapp barabar likhte rahiye....
hamari taraf se bahut bahut badhai v shuphkamnaye.....khas tor par baisa ko....
I read this article, it is very interesting
जवाब देंहटाएंGreetings from Indonesia