कानून के जानकर व उच्च शिक्षित होने के बावजूद देश भर में वकील अनुशासनहीन होते जा रहे है इनकी अनुशासनहीनता व अभद्र व्यवहार के शिकार अक्सर ट्रेफिक पुलिस कर्मी होते रहते है ऐसी खबरे अक्सर अख़बारों में छपती रहती है कल भी दिल्ली में दो वकीलों द्वारा रेड लाइट जम्प करने पर उन्हें पकड़ने के लिए पीछा कर रहे पुलिसकर्मियों की वकीलों ने अपने साथियों के साथ मिलकर जमकर धुनाई कर दी वो तो शुक्र है उन कुछ महिलाओं का जिन्होंने इन पुलिस वालों को उग्र वकीलों के चुंगल से छुड़वा दिया |
चूँकि पुलिस वालों का व्यवहार भी आम जनता के साथ कोई ज्यादा अच्छा नहीं होता अतः जब भी ये कहीं वकीलों के हाथों पिटते है इन्हें जनता की कभी सहानुभूति नहीं मिलती | लेकिन कल दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में तो कुछ वकीलों ने उदंडता की हद ही पार करदी जब कोर्ट के एक न्यायाधीश द्वारा एक केश की सुनवाई वकील साहब के अनुसार करने से मना करने पर वकील साहब ने अपने साथियों सहित न्यायाधीश महोदय के साथ मारपीट तक करदी |
एक पढ़े लिखे और सभ्य समझे जाने वाले वर्ग द्वारा इस तरह की उदंडता करना क्या सही सभ्यता कहलाती है ? वकालत के पेशे में घुस आये ऐसे तत्वों पर यदि बार एसोशियन नकेल नहीं कस सकती तो आने वाले समय में जनता की नजरों में वकीलों की साख गिर जायेगी आमजन वकीलों को भी गुंडा बदमाश ही समझेगा | वकील के भेष में ऐसे असामाजिक तत्व पूरी वकील बिरादरी को ही बदनाम कर देंगे | इस तरह के कृत्यों की जितनी भर्त्सना की जाए कम ही है |
अपने खिलाफ एक शब्द भी न सुनने व अवमानना का डंडा दिखाने वाला न्यायालय देखते है इन उदंड वकीलों को के खिलाफ क्या कदम उठाता है |
एक टिप्पणी भेजें
15टिप्पणियाँ
निश्चित ही कुछ सख्त कदम उठाने चाहिये.
जवाब देंहटाएंआप सही कह रहे है क्योंकि मैं तो खुद ही भुगतभोगी हूं। मेरे परिवार में ही एक वकील है जो सबको दुखी कर रहे है और परिवार वालों को भी चैन से नहीं रहने देते। वैसे वकील शब्द ही अपने आप में बदमाशों का सरदार कहां जा सकता है।
जवाब देंहटाएंइन्तजार करते हैं, न्यायालय न्याय करेगा ही.
जवाब देंहटाएंउद्दंडता का बोल बाला समाज के हर वर्ग में पनप रहा है. हमारी नयी पीढी को भी यह विरासत में मिल रही है. जो कानून बनाते हैं, उनका (सांसद) संसद के अन्दर का हाल भी हम सब देख रहे हैं. देखें हम कब तक सुधर पाते हैं.
जवाब देंहटाएंकानुन के रखवाले खुद को कानुन से उपर मानने लगे हैं..
जवाब देंहटाएंएक पढ़े लिखे और सभ्य समझे जाने वाले वर्ग द्वारा इस तरह की उदंडता करना क्या सही सभ्यता कहलाती है ? वकालत के पेशे में घुस आये ऐसे तत्वों पर यदि बार एसोशियन नकेल नहीं कस सकती तो आने वाले समय में जनता की नजरों में वकीलों की साख गिर जायेगी आमजन वकीलों को भी गुंडा बदमाश ही समझेगा | वकील के भेष में ऐसे असामाजिक तत्व पूरी वकील बिरादरी को ही बदनाम कर देंगे | इस तरह के कृत्यों की जितनी भर्त्सना की जाए कम ही है |
जवाब देंहटाएंआप की उक्त पंक्तियों से सहमति है। बार कौंसिलों को सख्त होना चाहिए। इस का एक कारण न्याय-व्यवस्था में अदालतों की बेहद कमी होने से इस में फैलती अराजकता भी है। जिस के लिए शतप्रतिशत सरकार जिम्मेदार है।
अजी आप कहां सिर्फ़ वकीलो की बात कर रहे है, भारत मै तो आज सब आजाद है, वो चाहे वकील हो, एक डाकटर हो, या फ़िर एक पुलिस वाला या फ़िर बस का कंडकटर सब आजाद है अपनी मनमरजी करने के लिये....ओर इन सब का बाप है एक मजबुत डंडा...लट्ठ जिस के सामने कोई नही बोलता.
जवाब देंहटाएंशरीफ़ वो है जो मजदुर है, गरीब है, जिस के पास खाने के लाले पडे है, या फ़िर जो अपने ्सिंद्धांतो का पक्का है, जो सत्य का साथ नही छोडता
सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का?
जवाब देंहटाएंरामराम.
वकील, पुलिसवाला,नेता,डाक्टर सब के सब मौसेरे भाई हैं!!!!
जवाब देंहटाएंआजकाल सभी वर्गो पर मानसिक दबाव बढ गया है इसी के परीणाम स्वरूप ये घटनाएं देखने मे आ रही है ।
जवाब देंहटाएंइस धींगामुश्ती में जो वकील जज से जीते, मुकदमा भी वही जीते.
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने। देखते है क्या होता है?
जवाब देंहटाएंवकीलों द्वारा मार पीट की कई घटनाएं सुनने में आने लगी हैं.यह नई बात नहीं रही.
जवाब देंहटाएंवकील तो वकील ही ठहरे मुझे इनसे ईमानदारी या किसी अच्छी आदत की उम्मीद कभी नहीं रही !
जवाब देंहटाएंअंधेर नगरी चौपट राजा है भाई |
जवाब देंहटाएं