शेखावाटी

Gyan Darpan
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लेखक : ठा.सौभाग्य सिंह शेखावत

लोक जीवन और लोकमानस में वे ही पात्र गरिमामय स्थान प्राप्त कर सकते है जिनमें सामान्यजन से कुछ विशिष्टताएँ होती है अथवा अतिमानवीय गुण होते है। ऐसे चरित्र समाज में वंदनीय बनकर युग-युगान्तर तक अजर-अमर बने रहते है। वे लोकादर्श, लोक स्मरणीय और जनमानस के प्रेरणा स्त्रोत बन जाते है। ऐसे ही क्षत्रिय इतिहास के मर्मज्ञ, विद्वत विभूति थे ठाकुर देवीसिंह मंडावा।

मुद्राशास्त्र व इतिहास के श्रेष्ठ विद्वानों की सूची में शूमार ठा. देवीसिंह, मंडावा का जन्म शेखावाटी आँचल के मंडावा ठिकाने के यशस्वी ठाकुर जयसिंह की ठकुरानी गुलाबकँवर चांपावत जी की कोख 19 मार्च 1922को हुआ था। आपने अजमेर की प्रसिद्ध मेयो कालेज से आपने आधुनिक शिक्षा ग्रहण की। मसूदा ठिकाने की राजकुमारी सज्जनकुमारी के साथ आप दाम्पत्य जीवन में बंधे। राजनीति में भी आपकी आरम्भ से रूचि रही। आपके क्षेत्र में किसान आन्दोलन की आड़ में जागीरदारों की छवि बिगाड़ने की भरपूर कोशिश के बावजूद भी प्रथम आम चुनाव 1952 ई. में राम राज्यपरिषद के प्रत्याशी के रूप में आपने गुढा (उदयपुर) निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता। जो जागीरदार के रूप में जनता के बीच आपकी लोकप्रियता का सबूत था। 1964.1970 तक आप राज्यसभा के सदस्य भी रहे। राजपूत सभा जयपुर के लम्बे अर्से तक आप अध्यक्ष रहे। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रदेश अध्यक्ष के साथ आप राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे। मेयो कालेज कौंसिल बोर्ड के आप उपाध्यक्ष के साथ हैरिटेज होटल्स एसोसिएशन, भवानी निकेतन शिक्षण संस्था के संस्थापक सदस्य, शार्दुल एजूकेशन ट्रस्ट झुंझनु के ट्रस्टी रहे है।

राजनीति के साथ आपकी सामाजिक कार्यों व इतिहास शोध व लेखन में भी विशेष रूचि रही और इन कार्यों में आप जीवन पर्यन्त सक्रीय रहे। धरातल पर काम करने के साथ ही राजपूत संस्कृति और समाज सुधार पर आपकी कलम कभी नहीं रुकी। इस विषय के लेख नियमित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहते थे। “रणबांकुरा” के नाम से आपने एक मासिक पत्रिका भी पप्रकाशन व संपादन भी किया. आपकी शोध साधना की ज्योति के प्रकाशपुंज से परिपूर्ण ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पत्रिका रणबंकुरा ने क्षत्रिय समाज को ही नहीं बल्कि राष्ट्र के सम्पूर्ण जन मानस को दैदीप्य किया।

राजनीति, समाज सुधार के साथ आपने अपनी जीवन यात्रा में श्रम, लगन और सतत-साधना से भारतवर्ष के गरिमामय इतिहास पर सम्यक चिंतन कर कई शोध इतिहास शोध ग्रंथ प्रस्तुत किये। भारतीय इतिहास के विभिन्न काल-खण्डों के विलुप्त और विस्मृत हुए तथ्यों को गहराई तक पहुंचकर नवीनतम शोध के साथ उजागर कर विद्वानों तथा शोध छात्रों के लिए प्रस्तुत किया। जो आज भी विभिन्न शोधार्थियों व क्षत्रिय समाज के इतिहास जिज्ञासू युवाओं के लिए अमृत वरदान स्वरूप है। आपने भारतीय व विदेशी इतिहासकारों के विभिन्न ग्रंथों का अध्ययन करके समीक्षात्मक तथ्यों को समाहित कर कई महत्वपूर्ण इतिहास ग्रंथों की रचना की। यथा- क्षत्रिय, क्षत्रिय शाखाओं का इतिहास, भारत और भारतीयता के रक्षक, प्रतिहार और उनका साम्राज्य, मालव नरेश भोज परमार, भरतेश्वर पृथ्वीराज चैहान, राजस्थान के कछवाह, स्वतंत्रता के पुजारी महाराणा प्रतापसिंह, देशभक्त दुर्गादास राठौड़, शार्दुल सिंह शेखावत आदि लिखकर इतिहास जगत को उपकृत किया। आप तीक्षण दृष्टि वाले तलस्पर्शी अध्येता थे।

मानव उत्पति के प्रति विश्व में प्रचलित नाना प्रकार की मान्यताओं और अदभुत आर्य जाति के उदगम जैसे विषय पर आपने गहन अध्ययन किया। डॉ. हाइसन, जोसफ बरेल, कीथर, मैक्समुलर, लाथम, डॉ. पन्निकर, मजुमदार, अबुलफजल, नैणसी, ओझा, टॉड आदि कई इतिहासकारों, साहित्यकारों, ज्योतिषियों, कलाविदों और गणितज्ञों तथा भ्रमणकारी विदेशी यात्रियों व व्यापारियों के यात्रा संस्मरण विवेचनों व मान्यताओं पर शोध-मंथन कर आर्यों के उदगम के प्रति प्रचलित मिथ्या धारणाओं और आर्यों को भारत के मूलवासी न होकर विदेशी मानने वाले तर्कों का निराकरण किया। आपकी कृति “क्षत्रिय” में आपने इस विषय में सविस्तार लिखा है।

आपने जिस लगन से बचपन से लेकर जीवनपर्यन्त अपने अपने आपको इतिहास शोध साधना में रत रखा, उसका मूल्यांकन तथा शब्दांकन करना सहज नहीं है। बिरला ही ऐसा विषय होगा जिसकी जानकारी आपके स्मरण में ना रही हो। आपने मुद्राओं पर भी गहन अध्ययन कर कई लेख प्रकाशित किये। आपका दस हजार से ज्यादा पुराने सिक्कों का मुद्रा संग्रह और भी महत्त्व का था जिस पर आपका अध्ययन जारी था और राठौड़ शासक एवं उनकी मुद्राओं पर आप अपने जीवन के अंतिम दिनों में शोध कर रहे थे। आपके संग्रह में मुद्राओं के साथ देश विदेश के ख्याति प्राप्त इतिहासकारों, साहित्यकारों की रचनाओं, ऐतिहासिक चित्रों का समृद्ध व बेजोड़ संग्रह शामिल है।

ऐतिहासिक चित्रों का संग्रह कर उन्हें प्रकाशित कराना तो आपका विशेष गुण था। आपने अपने अमर लेखन में शिलालेखों, प्राचीन ख्यातों, लोक-कथाओं, लोक मान्यताओं और परम्पराओं के सारगर्भित तथ्यों को समाहित कर शोध छात्रों के लिए प्रेरणा-पथ का निर्माण किया। विदेशी इतिहासकार व उन्हीं के पदचिन्हों के अनुगामी कुछ भारतीय इतिहासकारों द्वारा विकृत किये गए भारतीय इतिहास को परिष्कृत करने में आप द्वारा रचित शोधपूर्ण ग्रंथ शोधकर्ताओं के लिए गवाह का प्रतिरूप है। अपने इतिहास शोध के साथ ही राजपूत इतिहास के अन्य शोधार्थियों की शोध रचनाओं के प्रकाशन में आपका सहयोग स्मरणीय है। 15 जनवरी, 1999 को हमेशा के लिए इहलोक छोड़कर स्वर्ग के लिए विदा लेने के बाद यद्यपि आज हमारे बीच आप नहीं है, इस रिक्तता से हृदय विह्लल हो उठता है और आपके वरदहस्त से हम वंचित भी है। तदापि आपने क्षत्रिय समाज और इतिहास जगत को जो प्रेरणास्पद लेखन दिया है, वह हमारे लिए अजर अमर निधि है। आप जैसी विभूति के पद पंकज का सानिध्य पुनः मिले यही हमारे श्रद्धासुमन है।

नोट: लेखक राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार व इतिहासकार है और ठाकुर देवीसिंह, मंडावा के साथ इतिहास शोध में साथ रहे है|

Thakur Devi Singh, Mandawa

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11टिप्पणियाँ

  1. बहुत उत्सुकता थी, पर पूछ नहीं पाया था यह सच है । धन्यवाद इस जानकारी के लिये ।

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  2. आपकी नजर से शेखावाटी को देखकर अच्छा लगा..

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  3. हर बार की तरह इस बार भी..........सुंदर अति सुंदर ........
    शुक्रिया

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  4. बहुत विस्तृत जानकारी दी आपने शेखावाटी के बारे मे. बहुत धन्यवाद.

    रामराम.

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  5. आपने अपने शब्दों के माध्यम से शेखावाटी प्रदेश की बहुत सुन्दर तस्वीर बयान की है । इतिहास से लेकर वर्तमान तक को आपने इस पोस्ट मे समेट लिया है, धन्यवाद आपका ।

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  6. शेखावटी की बारे में बहुत रोचक जानकारी इकट्ठा की आपने... बधाई..

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  7. pahali baar apka blog padha.chitra kafi akarshak aur manmohak hai.amulya jankari hetu dhanyavad.Ratan Jain,Parihara
    The Editor, Marwari Digest Monthly

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  8. ज्ञान दर्पण पर अपनी जन्म भूमि तथा अपने पूर्वजों के बारे में पढ़ कर बहुत संतुष्टि होती है | नई पीढ़ी के लिये यह site, अपने पूर्वजों को जानने के लिए बहुत उपयोगी है |

    Rajpal Singh Rathore, Chandigarh

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  9. in baat par aapne ghani r ghani bhadai.................app ne maharo mokalo denywadb saa........................hu rajendra singh shekhawat

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  10. i am very happy to learn about my birth place its great Rajasthan

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