" शोक व्यक्त करने के रस्म अदायगी करने को जी नहीं चाहता. गुस्सा व्यक्त करने का अधिकार खोया सा लगता है जबआप अपने सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पाते हैं. शायद इसीलिये घुटन !!!! नामक चीज बनाई गई होगी जिसमें कितनेही बुजुर्ग अपना जीवन सामान्यतः गुजारते हैं........बच्चों के सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पा कर. फिर हम उस दौर सेअब गुजरें तो क्या फरक पड़ता है..शायद भविष्य के लिए रियाज ही कहलायेगा।"
मुझे शोक करना नहीं आता. कुछ पाया है हमने आज. ख़ुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ. मैं भी उसी भारत माता का लाल हूँ, जिसने करकरे, काम्टे और सालस्कर जैसे वीर पुत्रों को जन्म दिया है. मेरे बड़े थे वे. मेरे बड़े भाई बल्कि चाचा समान थे वे. मैं दुखी क्यों होऊँ, वे मरे नहीं हैं. शहीद हुए हैं, उनकी चिताएं शोक का नहीं गर्व का विषय हैं. यह शरीर तो एक दिन नष्ट होना ही है, जरूरी है कि हम अपनी मान से प्यार करना न भूलें. मन शांत है, पर दुखी नहीं और कल मन एक नई उमंग से उठेगा और कुछ देश के लिए करने में फ़िर से जुट जाऊंगा इन्हीं लोगों की तरह.
अनुकरणीय कृत्य , हार्दिक श्रद्धांजली उन शहीद भाईयो के लिये जो हमारी ओर हमारे देश की आबरु की रक्षा करते शहीद हो गये।
जवाब देंहटाएंशहीदों को श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंजो हमारी देश के लिये शहीद हुये उनको हार्दिक श्रद्धांजली, इसके अलावा कुछ नही
जवाब देंहटाएंशहीदों को श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंचित्र का मूल स्रोत जोगलिखी नामक चिट्ठा है। वैसे क्या फर्क पड़ता है, अब यह हम सब का है।
श्रद्धांजलि..
जवाब देंहटाएंशहीदो को श्रद्धांसुमन अर्पण करते है
जवाब देंहटाएं" शोक व्यक्त करने के रस्म अदायगी करने को जी नहीं चाहता. गुस्सा व्यक्त करने का अधिकार खोया सा लगता है जबआप अपने सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पाते हैं. शायद इसीलिये घुटन !!!! नामक चीज बनाई गई होगी जिसमें कितनेही बुजुर्ग अपना जीवन सामान्यतः गुजारते हैं........बच्चों के सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पा कर. फिर हम उस दौर सेअब गुजरें तो क्या फरक पड़ता है..शायद भविष्य के लिए रियाज ही कहलायेगा।"
जवाब देंहटाएंसमीर जी की इस टिपण्णी में मेरा सुर भी शामिल!!!!!!!
प्राइमरी का मास्टर
मुझे शोक करना नहीं आता.
जवाब देंहटाएंकुछ पाया है हमने आज. ख़ुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ. मैं भी उसी भारत माता का लाल हूँ, जिसने करकरे, काम्टे और सालस्कर जैसे वीर पुत्रों को जन्म दिया है.
मेरे बड़े थे वे. मेरे बड़े भाई बल्कि चाचा समान थे वे.
मैं दुखी क्यों होऊँ, वे मरे नहीं हैं. शहीद हुए हैं, उनकी चिताएं शोक का नहीं गर्व का विषय हैं. यह शरीर तो एक दिन नष्ट होना ही है, जरूरी है कि हम अपनी मान से प्यार करना न भूलें.
मन शांत है, पर दुखी नहीं और कल मन एक नई उमंग से उठेगा और कुछ देश के लिए करने में फ़िर से जुट जाऊंगा इन्हीं लोगों की तरह.