अलाउद्दीन खिलजी के चितौड़ पर आक्रमण के बाद चितौड़ दुर्ग में रानी पद्मिनी के नेतृत्व में हजारों की संख्या में महिलाओं को जौहर की धधकती अग्नि में अग्नि स्नान करना पड़ा था| इतिहासकार यह संख्या 13 हजार बतातें है| एक तरफ महिलाओं को अपनी पवित्रता बचाने के लिए जौहर में अग्नि स्नान करना पड़ा, वहीं चितौड़ के वीरों को शाका कर अपने प्राणों का बलिदान करना पड़ा| एक फलता फूलता राज्य बर्बाद हो गया| पर क्या आप जानते है, चितौड़ की इस बर्बादी के पीछे किस गद्दार की गद्दार थी ? इस गद्दार का नाम बहुत कम लोग जानते है, क्योंकि स्थानीय इतिहासकारों ने जानबूझकर उस गद्दार का नाम नहीं लिखा ना ही इतिहास में हमें उस गद्दार के बारे में पढाया जाता है| अपनी इतिहास शोध के बाद आज उस गद्दार के बारे में बता रहे है, सिंह गर्जना पत्रिका के संपादक सचिनसिंह गौड़..
रत्न सिंह के दरबार में एक गुणी संगीतकार था पंडित राघव चेतन। राघव चेतन तंत्र मन्त्र जादू टोना भी करता था। ऐसा भी कहा जाता है कि रत्न सिंह को पद्मावती के बारे में राघव चेतन ने ही बताया था जिसकी परिणीति रत्न सिंह और पद्मावती के विवाह के तौर पर हुई। रानी पद्मावती एक छोटे राज्य की राजकुमारी थी। पद्मिनी की सुंदरता के बारे में बहुत कुछ कहा एवं लिखा गया है। एक कवि ने अतिश्योक्ति में कहा है कि पद्मिनी जब पानी पीती थी तो उसकी सुराहीदार गर्दन से उतरता पानी भी सामने वाले को महसूस होता था।
एक बार राघव चेतन की किसी हरकत से (तंत्र शक्ति का दुरूपयोग करने को लेकर ) रत्न सिंह राघव चेतन से क्रुद्ध हो गये, लेकिन ब्राह्मण होने के कारण उसका वध नहीं किया बल्कि उसका मुँह काला करके गधे पर बिठाकर उसका पूरे राज्य में उसका जुलूस निकाला। रानी पद्मावती ने रत्न सिंह को ऐसा करने से मना किया था, क्योंकि बुद्धिमान पद्मिनी का मानना था कि राघव चेतन राज्य के बारे में सब जानता है और यदि वो किसी शक्तिशाली दुश्मन से मिल गया तो चित्तौड़ के लिये खतरनाक साबित होगा। लेकिन रत्न सिंह ने अपनी रानी की बात नहीं मानी। अपमान की आग में जल रहे ब्राह्मण राघव चेतन ने रत्न सिंह और चित्तौड़ के समूल नाश करने की ठान ली। राघव चेतन दिल्ली आ गया उसे अल्लाउद्दीन खिलजी की ताकत और कामुकता के बारे में पता था।
राघव चेतन दिल्ली के पास एक जंगल में रहने लगा जहाँ अल्लाउद्दीन शिकार के लिये जाता था। एक दिन अल्लाउद्दीन के कान में अत्यंत सुरीली बांसुरी की धुन पड़ी। अल्लाउदीन के सैनिकों ने ढूंढा तो राघव चेतन को बांसुरी बजाते हुये पाया। अल्लाउद्दीन ने राघव चेतन के हुनर की प्रशंसा की और अपने दरबार में संगीतकार के तौर पर चलने का आग्रह किया। कुटिल राघव चेतन ने अपनी चाल चली और कहा मुझ जैसे मामूली आदमी का आप क्या करेंगे जबकि विश्व की अनेक सुन्दर वस्तुयें आपके पास नहीं हैं। चकित अल्लाउद्दीन ने पूछा ऐसी कौन सी चीज है। राघव चेतन ने तपाक से रानी पद्मावती की सुंदरता का विवरण कामुक सुल्तान के सामने कर दिया। उस दिन से अल्लाउद्दीन पद्मावती को पाने के सपने देखने लगा। यह भी कहा जाता है कि जब कई महीनों तक मेवाड़ के बाहर घेरा डाले डाले अल्लाउद्दीन खीज गया था| तब राघव चेतन ने उसे सुझाव दिया था कि आप रत्न सिंह को सन्देश भिजवाइये कि आप पद्मिनी को अपनी बहिन मानते हैं और एक बार उसके दर्शन करना चाहते हैं रत्न सिंह तुरंत तैयार हो जायेगा और हुआ भी ऐसा ही। असल में पद्मावती के जौहर और चित्तौड़ के अनेकों राजपूत सरदारों की मृत्यु का जिम्मेदार पंडित राघव चेतन था जिसका इतिहास में कोई जिक्र नहीं है और वर्तमान राजपूत भी इससे अनभिज्ञ हैं।
