समानता की सोच को निगल गया आरक्षण

Gyan Darpan
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देश की आजादी के बाद देश के राजनेताओं ने आजादी पूर्व सामंती शासन में कथित जातिय भेदभाव व असमानता को दूर कर देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार व अवसर देने हेतु लोकतांत्रिक शासन प्रणाली अपनाई| साथ ही पूर्व शासन काल में जातिय भेदभाव के शिकार पिछड़े लोगों को आगे बढ़ने के अवसर देने के लिए देश में आरक्षण व्यवस्था की| जो निसंदेह तारीफे काबिल थी (यदि समय के साथ उसमें बदलाव किये जाते या वह एक यह व्यवस्था एक निश्चित समय के लिए की जाती)| आखिर पिछड़े वर्गों को नौकरियों में आरक्षण दे आर्थिक रूप से सुदृढ़ कर ही समानता का अवसर दिया जा सकता था| लेकिन हमारे नेताओं व कर्णधारों ने जिस समानता के लिए आरक्षण की व्यवस्था की आज वही आरक्षण व्यवस्था देश के नागरिकों के समानता के अधिकार को निगल असामनता को बढाने के साथ साथ जातिय संघर्ष व भेदभाव को बढ़ाने का कारक बन लोकतांत्रिक मूल्यों का उपहास उड़ा रही है| एक और इस व्यवस्था का आर्थिक रूप से सुदृढ़ और अयोग्य लोग फायदा उठा रहे है वहीं दूसरी और कथित गरीब स्वर्ण योग्यता के बावजूद सरकारी नौकरियां से वंचित हो रहे है|

इस असमानता के कुछ शानदार उदाहरणों की चर्चा करें तो पायेंगे कि राजस्थान के सबसे ज्यादा चढ़ावा पाने वाले १६ मंदिरों की गिनती में आने वाले श्रीनाथ जी के मंदिर के पुजारी के वंशज जातिय आधार पर आरक्षण प्राप्त करने के अधिकारी है पर एक गरीब ब्राह्मण आर्थिक आधार पर आरक्षण का कहीं अधिकारी नहीं|

राजस्थान के १९ राजाओं में में से १६ राजा राजपूत जाति के थे अत: हमारे देश के कर्णधारों ने यह मानते हुए कि राजस्थान के सभी ५० लाख राजपूतों ने राज किया है अत: वे किसी भी तरह के आरक्षण के अधिकारी नहीं है| जबकि राजस्थान के ही दो पूर्व राज्यों धोलपुर व भरतपुर के राजपरिवार आरक्षण में शामिल है| ये ही क्यों देश में वर्तमान में सतारूढ़ मंत्री, सांसद, विधायक लोग जिनका शासन में सीधा दखल रहता है के वंशज जातिय आधार पर आरक्षण के अधिकारी है, देश के पूर्व राष्ट्रपति की पोती ने सरकारी नौकरी में आरक्षण पाया, पर जिस जाति के सिर्फ १६ परिवारों ने राज किया उस जाति के गरीब को आरक्षण व्यवस्था में यह कह कर दूर कर दिया गया कि इस जाति ने राज किया था| तो क्या देश के उपरोक्त पूर्व राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति रहते देश पर शासन नहीं किया ?

इस तरह की व्यवस्था क्या लोकतंत्र में नागरिकों के समानता के अधिकार के विरूद्ध में नहीं ? क्या इस तरह की व्यवस्था जो देश के नागरिकों को समानता के मूलभूत अधिकार से वंचित कर लोकतंत्र की भावनाओं के खिलाफ नहीं ? आजादी के इतने वर्षों बाद तक इस व्यवस्था को कायम रखना क्या आजादी पूर्व शासन में असमानता का बदला लेने के लिए तो नहीं ?

एक तरफ हमारे राजनेता, कथित समाज सुधारक जातिय समानता व जातिवाद ख़त्म करने की बड़ी बड़ी बातें करते है, सेमिनारों, सभाओं में भाषण झाड़ते है और आरक्षण का समर्थन कर जातिवाद को बढ़ावा देते है| पिछड़ी या दलित जातियां एक तरफ जाति व्यवस्था से त्रस्त है और जातिय समानता के ख्वाब देखती है वही आरक्षण रूपी मलाई चाटने के चक्कर में जातिवाद से चिपकी पड़ी है और इस व्यवस्था की और कोई आँख उठाकर ना देखे इसलिए इसे बचाने को वोट बैंक बनी हुई है|

ऐसे में जब तक आरक्षण व्यवस्था कायम है जातिवाद ख़त्म कर समानता की बातें करना बेमानी है, ढोंग है, छलावा है, दोगलापन है|


Anti Reservation,

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11टिप्पणियाँ

  1. जब तक आरक्षण व्यवस्था कायम है जातिवाद ख़त्म करना मुशिकल है,,,

    Read more: http://www.gyandarpan.com/2013/10/anti-reservation.html#ixzz2hDyTpVo7

    नवरात्रि की शुभकामनाएँ .
    RECENT POST : अपनी राम कहानी में.

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  2. लोकतंत्र में हो रही इस असमान बंदरबांट के आगे सविधान के अनुछेद ,समानता के अधिकार सब ताक में रख दिए गए । सिर्फ एक ही मकसद है -वोट बैंक सुरक्षित रहे

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  3. समय के कटघरे में एक झूठा आरोप और न्याय वंचित।

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  4. आरक्षण करने का उद्देश्य कुछ और था मार आज रणनीति बनकर रह गया आरक्षण

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  5. "आरक्षण" दिन प्रतिदिन देश के लोगों को अंदर से खोखला कर रहा है। बढ़िया और सार्थक लेख।।

    नई कड़ियाँ : विश्व डाक दिवस (World Post Day)

    चीन का दुर्लभ डाक टिकट

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (10-10-2013) "दोस्ती" (चर्चा मंचःअंक-1394) में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  7. हर बात स्वार्थ की राजनिती की भेंट चढ चुकी है. सशक्त आलेख.

    रामराम.

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  8. रतन सिंह जी आप के मुद्दे हर बार बिलकुल सही और सटीक होते हैं , आपकी विचार धारा बिलकुल भी नहीं बदलती है
    सही मुद्दा उठाने के लिए धन्यवाद .

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  9. जातिवाद ,आरक्षण,तुष्टिकरण, व नेताओं अपराधियों का समन्वय इस देश की राजनीती को कबाड़ बना चुके हैं.समाज को विभक्त करने में इनकी ही अहम् भूमिका रही है, पर अब ये हमारी राजनीती के ऐसे नासूर बन गएँ हैं जिसका इलाज संभव नहीं.भगवन ही कोई रास्ता निकले तो अलग बात है.

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  10. आज की बुलेटिन जगजीत सिंह, सचिन तेंदुलकर और ब्लॉग बुलेटिन में आपकी इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है। सादर .... आभार।।

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  11. Wipro Chairman Aziz Premji's Comment on Reservation

    I think we should have job reservations in all the fields. I completely support the PM and all the politicians for promoting this. Let's start the reservation with our cricket team. We should have 10 percent reservation for Muslims. 30 percent for OBC, SC /ST like that. Cricket rules should be modified accordingly. The boundary circle should be reduced for an SC/ST player. The four hit by an SC/ST/OBC player should be considered as a six and a six hit by a SC/ST/OBC player should be counted as 8 runs. An SC/ST/OBC player scoring 60 runs should be declared as a century. We should influence ICC and make rules so that the pace bowlers like Shoaib Akhtar should not bowl fast balls to our SC/ST/OBC player. Bowlers should bowl maximum speed of 80 kilometer per hour to an SC/ST/OBC player. Any delivery above this speed should be made illegal.

    Also we should have reservation in Olympics. In the 100 meters race, an SC/ST/OBC player should be given a gold medal if he runs 80 meters. There can be reservation in Government jobs also. Let's recruit SC/ST and OBC pilots for aircrafts which are carrying the ministers and politicians (that can really help the country.. ) Ensure that only SC/ST and OBC doctors do the operations for the ministers and other politicians. (Another way of saving the country..) Let's be creative and think of ways and means to guide INDIA forward... Let's show the world that INDIA is a GREAT country. Let's be proud of being an INDIAN.. May the good breed of politicians long live..

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