एक वोटर का पत्र : सेकुलर नेता जी के नाम

Gyan Darpan
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प्रिय सेकुलर नेता जी

मैं आपका वोटर| जो आपको सादर चरण स्पर्श तो करना चाहता है पर आपके चरण पृथ्वी पर हों तो कर पाये ना ? रही बात भारतीय संस्कृति में प्रचलित आम दुसरे अभिवादनों की जैसे- राम-राम, जय राम जी की, नमस्कारम, जय ठाकुर जी की आदि आदि, वे आपके आगे प्रयोग में करने में भी डर लगता है कहीं आप इस तरह के अभिवादन स्वरुप वचन सुनकर मुझे साम्प्रदायिक समझ अछूत ही ना समझ लें| इसलिए बिना किसी अभिवादन के ही मैं आगे बढ़ता हूँ|
प्रिय नेता जी! देश के आजाद होते ही आप सत्ता पर काबिज हो गए| मैंने व मेरे जैसे तुच्छ वोटरों ने अपना अहो भाग्य समझा कि सत्ता की कुर्सी आपको मिली| क्योंकि सत्ता मिलने से पहले ही आपने मेरा ब्रेनवाश कर दिया था कि -"इस देश में आपके सिवाय मेरा कोई दूसरा शुभ-चिन्तक हो ही नहीं सकता|" जो कुछ देशी लोग उस वक्त सत्ता में थे उनके खिलाफ तो आपने मुझे उसी वक्त ये समझाकर कर दिया था कि -"इन्होने तेरा बहुत शोषण किया है| ये तेरे शोषक है|" बस इसी बात पर मैं आजतक उनके तो क्या उस देशी शासक वर्ग की जाति के आम व्यक्ति जिनका शासन में कोई दखल नहीं था के भी खिलाफ हो गया और अभी तक हूँ| हालाँकि आजतक मुझे यह बात पता नहीं चली कि उन शासकों ने मेरा या मेरे पूर्वजों का शोषण किया कैसे था ? पर आपके द्वारा शोषण वाली बात समझाने पर मैं आजतक उनके खिलाफ हूँ जबकि मेरे पूर्वज अक्सर मेरे सामने उन देशी शासकों की प्रशंसा करते थकते नहीं थे|

खैर ....मैंने आजादी के बाद से ही आपकी नीतियाँ और देश भक्ति से प्रेरित होकर चुनावों में आपको व आपकी पार्टी को वोट देना चालु रखा| पर बीच-बीच में कई ऐसे लोग आये जिन्होंने मुझे आपको वोट न देने के लिए बहुत बरगलाया| ये लोग कई रूपों में आये जैसे-"जयप्रकाश नारायण, चौधरी चरणसिंह, वी.पी.सिंह आदि आदि| कई बार मैं ऐसे लोगों के बहकावे में आ भी गया और आपके खिलाफ वोट दे भी दिए| इन लोगों ने मेरे जेहन में पक्के तौर पर बिठा दिया कि -आप भ्रष्ट है, साम्प्रदायिक दंगे कराते है, वोट के लिए धार्मिक उन्माद फैलाते है, वोट बैंक बनाने के लिए अवैध घुसपैठ कराते है,घोटाले करते है,जातिवाद फैलाते है आदि आदि| और मैंने इनकी बातों में आकर इन्हें वोट दे सत्ता भी सौंप दी| पर आप भी महान है आपने फिर मुझे अपने पक्ष में कर लिया| कभी आपने मेरे वोट का मेरी धार्मिक भावनाएं भड़काकर दोहन कर लिया तो कभी जब मैं आपके खिलाफ था मेरे क्षेत्र में आपने मेरी जाति का उम्मीदवार खड़ा कर आपने अपनी हार-जीत को मेरी जाति की प्रतिष्ठा का प्रश्न बना मेरा वोट मेरी जातिय भावनाओं का दोहन कर झटक लिया | कहीं कहीं आपने मेरा वोट हमेशा झटकने का पक्का जुगाड़ करने के लिए मुझे आरक्षण का झुनझुना पकड़ा दिया| एक ऐसा झुनझुना जिसे देखकर मैं आपके सारे कुकृत्य अनदेखा कर देता हूँ |और आपके विरोधियों के लाख समझाने पर कि -"आप भ्रष्ट है ,देश को लूट रहे है घोटाले कर रहे है |' वोट आपको ही देता हूँ आखिर वो आरक्षण वाला झुनझुना मुझे इन सबके लिए सोचने ही नहीं देता|

पिछले काफी समय से आपके सत्ता में आने के बाद फिर कभी बाबा तो कभी अन्ना ने फिर मुझे आपके खिलाफ भड़काने की पूरी कोशिश की है| और कोशिश भी क्या की ? इन लोग ने तो आपके पुरे चरित्र को ही मेरे सामने नंगा कर दिया है| कई राष्ट्रवादी लड़के सोशल साईटस पर आपकी पोल खोलने में लगे है| जो ख़बरें आ रही है और देश में जो चर्चाएँ हो रही है उन्हें सुनने के बाद तो अब मुझे भी पूरा यकीन भी हो गया कि -आप वाकई भ्रष्ट है, देश को लूट रहे है, लुटा हुआ पैसा विदेश ले जा रहे है, आपने चारा,कोयला, युरेनियम तक खा डाला| ये सब जानने के बाद मैं भी आपके खिलाफ उद्वेलित हूँ और इस बार मैंने भी पक्का निर्णय किया है कि आप को वोट ना दूँ|
पर लगता है आप निश्चिंत है कि मैं आपके कितना ही खिलाफ हो जाऊं आखिर आप मेरा वोट तो झिटक ही लेंगे इसलिए तो इतना सब करने के बाद भी आप निश्चिंत है| बेशर्मों की तरह की निरंकुश होकर कभी बाबा का आन्दोलन कुचल डालते है तो कभी अन्ना के आन्दोलन की हवा निकाल देते है| विपक्षी कितने ही आपके खिलाफ भौंके पर आप पर कोई असर नहीं| कोई आपसे समर्थन ले ले, आप पर कोई फर्क नहीं पड़ता| आप तो हर मुश्किल घड़ी में मैनेज करना जानते है| इसलिए मैं आपके कितना ही खिलाफ होऊं , आप मेरा वोट झटक ही लेंगे|ये आपकी प्रतिभा ही है कि इतने कुकृत्य करने के बावजूद और मुझे आपकी गलत हरकत का पता चलने के बावजूद आप मेरा वोट झटक लेने की सोचे बैठे| और ये बात आपने सार्वजनिक रूप से व्यक्त भी कर दी कि -"जिस तरह मैं आपके पुराने घोटाले भूल गया चुनाव तक ये भी भूल जाऊँगा |"

बेशक आज आपके मैं खिलाफ हूँ पर आपकी प्रतिभा का कायल हूँ| आपने ये सेकुलर रूपी जो खाल ओढ़ रखी है ये भी कमाल की है आपके सारे पापकर्म यह अकेली ही ढक लेती है और आपके लिए सत्ता का रास्ता प्रशस्त कर देती है ,जबकि सबको पता है कि- आप घोटालेबाज है, वोट बैंक के लिए एक खास संप्रदाय का खूलेआम पक्ष लेते है,जमकर तुष्टिकरण करते है, जातिगत आधार पर आरक्षण देकर आप जातिवाद को खुलेआम बढ़ावा देते आयें है| फिर भी आप साम्प्रदायिक नहीं !आपका विपक्षी साम्प्रदायिक| जातिवाद आप फैलाते है पर आरोप विपक्षी पर| साम्प्रदायिक दंगे आपके शासन काल में बहुतायत से होते है पर साम्प्रदायिकता का आरोप आप बड़े आराम से विपक्षी दल पर ठोक देते है| आपके शासन में इतने दंगे हो जाते है उनकी खबर तक आप नहीं आने देते और उस क्षत्रप के राज्य में एक दंगा हुआ था कि आपने ऐसा मैनेज किया कि-लोग व मीडिया आज वर्षों तक उसके खिलाफ छाती पीटकर उसे बदनाम कर अछूत बनाये बैठे है|
ये आपकी प्रतिभा का कमाल नहीं तो और क्या है ? कि आपने साम्प्रदायिकता की परिभाषा ही बदल दी| आज हर वो दल जो खुलेआम किसी सम्प्रदाय विशेष का समर्थन लेता और उसका जमकर तुष्टिकरण करता हुआ साम्प्रदायिकता फैला रहा है अपने आपको सेकुलर कहता है और साप्रदायिकता का आरोप उस दल पर जो किसी का तुष्टिकरण नहीं करता के मत्थे ठोक देता है|

आपकी इसी तरह की प्रतिभा का कायल होकर मैं एक वोटर भले ही आज आपके खिलाफ होऊं पर चुनाव के वक्त वोट आपको ही दूंगा क्योंकि मुझे पता है आप मेरी भावनाओं का दोहन करना अच्छी तरह से जानते है | कहीं आप धार्मिक आधार पर मेरे वोट झटकेंगे तो कहीं जातिगत आधार पर मेरी भावनाओं का दोहन करेंगे| कहीं तुष्टिकरण का झुनझुना तो कहीं आरक्षण का झुनझुना मुझे पकड़ा ही देंगे| और इसके बाद भी मैं आपको वोट ना भी दूँ तो आपका क्या बिगाड़ लूँगा ? सत्ता तो आपके ही लोगों के पास आनी है जो देखने में तो आपके विरोधी लगते है पर है आपके अपने| ऐसे लोग जो दिखाने के लिए आपसे कुश्ती लड़ते रहते है पर जब भी आपको उनकी जरुरत पड़ती है वे आपकी सहायता के लिए आपके साथ खड़े होते है|
साथ ही मैं यह भी जनता हूँ कि -बहुत से वोट आप चुनाव की पहली रात में ही अपने पक्ष में करना जानते है| उस रात आप जो खेल खेलेंगे और खिलायेंगे उसके बाद वो वोटर आपके खिलाफ कुछ सोच ही नहीं पाएंगे| तो फिर मैं फालतू में ही आपके खिलाफ अपना दिमाग क्यों ख़राब करूँ ?

इसलिए हे सेकुलर नेता जी ! आप निश्चिंत रहिये, भले मेरे जैसे वोटर आज आपके खिलाफ चूं चूं कर रहे हों आखिर वोट आपको ही देंगे| शायद ये बात आप भी समझते है इसीलिए हाथी की तरह मद-मस्त हो आप सत्ता का स्वाद लेकर चट्खारे करते हुए देश को, देश की जनता को, देश के संसाधनों को चाट रहे है !

आपका एक पक्का वोटर




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12टिप्पणियाँ

  1. रोचक, वोटर पर कितना याद रखने का भार डाल देते हैं लोग..

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  2. वाह!
    आपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 24-09-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1012 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ

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  3. भारतीय राजनीति का सूत्रधार है यह शब्द .अब तो लोग इस शब्द का इस्तेमाल गाली के स्थान पर करने लगें हैं -मेरा बाप तेरे बाप की तरह सेकुलर नहीं है .बहुत गन्दी गाली होती है सेकुलर भले किसी को आम गली दे लेना लेकिन सेकुलर भूल के भी न कहना .खा गया यह एक शब्द हिन्दुस्तान को .इसे ज़मीन पे लिखके जितने जूते मार सकते हो मारो .इस एक शब्द ने गोल मोल बात करना सिखा दिया है -एक वर्ग के लोग नाराज़ हो जायेंगे ,एक वर्ग की भावना भड़क जायेंगी ....

    एक वोटर का पत्र : सेकुलर नेता जी के नाम
    9/23/2012 08:17:00 AM RATAN SINGH SHEKHAWAT 1 COMMENT
    प्रिय सेकुलर नेता जी

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  4. सटीक और धारदार व्यंग्य
    बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट

    प्रणाम

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  5. क्या मज़ाल कि अगर हर वोटर आप जितना जागरूक हो तो कोई हमारे संसाधनों को चट कर पाए!

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. बहुत अच्छा, हकीकत से रूबरू कराता यह पत्र

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  8. वास्तव में एक बात सही है ये कुंठित वामपंथी कहते हैं कि राजपूत शोषक हैं अगर शोषक हैं तो फिर जनता रजवाड़ों को थोक के भाव वोट ना देती असल में सिर्फ इनसे जाट और दलित समुदाय की ही जलती है. हमारे दादाजी बताते हैं कि बीकानेर में सांसद के चुनाव की चर्चा होती ही नहीं थी. लोग कहते थे की ये वोट तो राजाजी का है ही सिर्फ तथाकथित आर्यसमाजी सुधारक कुम्भाराम(जो कभी रजवाड़े का चापलूस राजस्वमंत्री था) और उसके जाट समर्थक जाति के आधार पर वोट मांगते थे. "जाट की बेटी जाट को जाट का वोट जाट को" का नारा भी लगता. करणीसिंहजी कभी वोट नहीं मांगते लोग अपने आप वोट देते.

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