जातिवादी के दंश ने डसा एक लाचार गरीब परिवार को : फेसबुक मुहीम बनी मददगार

Gyan Darpan
15

राजस्थान में डीडवाना तहसील के गांव डाबड़ा का मूलसिंह अपंग है वह अपने पैरों पर चलना तो दूर खड़ा भी नहीं हो सकता| एक जगह से दूसरी जगह आने जाने के लिए उसे घसीटते हुए ही आना जाना पड़ता है| उसके परिवार की दूसरी सदस्या है उसकी वृद्ध माँ, जो आँखों से देख नहीं सकती| फिर भी दोनों एक दूसरे का सहारा बन अपना जीवन जैसे तैसे काट रहे है|

इया तरह के गरीब लाचार परिवारों के आवास, खाने पीने व अन्य तकलीफों को कम करने हेतु कई सरकारी योजनाएं बनी है मसलन ऐसे ही गरीब परिवारों के लिए आवास के लिए "इंदिरा आवास योजना" बनी है| फिर भी इस परिवार की ढाणी (गांव से बाहर आवास)में कच्चा झोपड़ा ही बना है| सरकारी "इंदिरा आवास योजना" का लाभ इस परिवार को कभी नहीं मिला| गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को सरकार से जीवन यापन करने हेतु कई सविधाएं मिलती है जिसका गांवों में गांव के सरपंच के नजदीकी कई संपन्न परिवारों को फायदा उठाकर दुरुपयोग करते देखा जा सकता है|

पर इस योजना के लाभ से भी इस गरीब व लाचार परिवार को सिर्फ इसलिए वंचित कर दिया गया कि -ये परिवार सरपंच की जाति का ना होकर राजपूत जाति का है| इस तरह इस लाचार परिवार के लिए गरीबी के साथ राजपूत जाति में जन्म लेना भी अभिशाप बन गया|

चूँकि यह परिवार अपनी लाचारी के चलते सरकारी दफ्तरों में सहायता के लिए आने जाने में भी असमर्थ है इसलिए गांव के ही एक पूर्व सैनिक ने इस लाचार परिवार की मदद के लिए काफी भागदौड़ कर कोशिश की पर उसके सामने भी वही जातिवादी समस्या आ खड़ी हुई| क्षेत्र का एल एल ए रूपाराम राम डूडी भी उसी सरपंच की खास जाति का है सो उसने भी सहायता मांगने पर टका सा जबाब दिया कि- "जिसको वोट दिए उसी से सरकारी सहायता दिलाने को कहो|"

पूर्व सैनिक ने सभी सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए पर कुछ विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि उस क्षेत्र में जब से यह एम् एल ए जीता है उसने सभी जगह अपनी जाति के लोगों की तैनाती करवा रखी है साथ ही राजस्थान में जब से उस खास जाति को OBC में आरक्षण दिया है तब से OBC कोटे की लगभग सभी सीटों पर इस खास संपन्न जाति के लोगों की ही नियुक्त्याँ होने के चलते राजस्थान के सरकारी दफ्तरों में इनका वर्चस्व बढ़ता जा रहा है और ये खासकर अपने दफ्तरों में राजपूत जाति के लोगों का या तो काम नहीं करते या उन्हें बहुत ज्यादा तंग करते है| इसी रणनीति के तहत इस लाचार परिवार को भी किसी तरह की सरकरी योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया गया|

आखिर इस परिवार की स्थिति की जानकारी करणी सेना, सीकर के संयोजक उम्मेद सिंह को हुई तो वे इस परिवार से मिलने गए उनकी हालत देखकर उन्होंने इस परिवार की सहायता का दायित्व निभाने हेतु सबसे पहले फेसबुक पर "सहायता अभियान" चलाया| श्री उम्मेद सिंह ने फेसबुक पर इस लाचार परिवार की आर्थिक मदद करने की अपील की जिसका प्रभाव ये हुआ कि कई लोगों ने इस परिवार के बैंक खाते में रूपये जमा करवाए साथ ही फेसबुक मुहीम देखकर मिडिया को भी इस मामले का पता चला और स्थानीय मिडिया के साथ राजस्थान के टीवी चैनलों ने भी इस मामले को प्रमुखता से दिखाया|

श्री उम्मेद सिंह मिडिया को लेकर स्थानीय सरपंच से मिले तो उसके पास बगलें झाँकने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं बचा| उपखंड अधिकारी भी जो पहले किसी भी तरह की सहायता नहीं दिलवा रहे थे न ही कुछ सुनने को राजी थे, ने भी मिडिया के आगे इस प्रकरण की जानकारी होने से ही मना कर दिया| और अब उस परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने व जांच करवाने की बात कर रहे है| खैर ... इस परिवार को तो श्री उम्मेद सिंह के प्रयासों से आखिर मदद मिल गयी और अब सरकारी योजनाओं के तहत भी मदद मिल जायेगी पर सवाल यह है कि- " उन जातिवादी तत्वों का क्या किया जाय? उन पर कैसे नकेल कसी जाय? ताकि आगे इस तरह बेबस व लाचार परिवारों को यह जातिवादी दंश नहीं डस सके|"

यदि इस तरह आरक्षण की आड़ में कुछ जातियों का सरकारी दफ्तरों में कब्ज़ा होता चला गया और इन्होने जातिवादी रवैया अपनाना जारी रखा तो वो दिन दूर नहीं जब राजस्थान ही क्या पूरा देश जातिवाद के संघर्ष में उलझा नजर आयेगा|

एक टिप्पणी भेजें

15टिप्पणियाँ

  1. भारत में ऐसे लाचार स्वर्णों की संख्या कम नहीं है, जो जातिवाद का दंश भोग रहे हैं। ऊंची जाति में जन्म लेने के कारण उन्हे सहायता प्राप्त नहीं हो पाती। करणी सेना ने उल्लेखनीय कार्य किया है तथा स्थानीय विधायक एवं उसके कब्जे के प्रशासन को सीख दी है। जिसका कोई नहीं होता, उसका भगवान है और इसी भगवान ने करणी सेना के रुप में प्रकट होकर मूल सिंह की सहायता की।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ललित जी,
      राजस्थान में तो जबसे ओबीसी में एक जाति विशेष को आरक्षण मिला है प्रशासन में ये लोग काफी हो गए और गरीब तो क्या? इनके चुंगल में तो पूर्व मंत्री और भाजपा के बड़े प्रभावशाली नेता राजेन्द्र राठौड़ भी फंस गए और जेल में बैठे है| १८ अप्रेल १२ के इंडिया टुडे के अंक में इस जातिय गुट के षड्यंत्र का पूरा पर्दाफाश किया गया है|
      हो सकता है आने वाले समय में इस तरह के कृत्यों के चलते राजस्थान में जातिय संघर्ष बढ़ जाए|

      हटाएं
    2. Ratan singh Ji,
      Ager aap ke pass India Today ka woArticle hai to kripya usko scan ker ke upload kijiye. so that we can share on FB or G+ with our friends

      Jai Mata Ji Ki

      हटाएं
  2. शर्म आती है ऐसे जातिगत बदले की भावना रखने वाले अफसरों और नेताओं की सोच पर,,चलिए इनके लिए तो कुछ भाई आगे आये ऐसे न जाने कितने लोगों को परेशान कर रखा होगा इन हुक्मरानों ने

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस तरह के हुक्मरानों को देश की जनता के आगे नंगा करना ही पड़ेगा|

      हटाएं
  3. बदले की भावना को मन से मुक्‍त करना ही होगा। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक ऐसे सक्रिय प्रयास करने बहुत जरूरी हैं। फेसबुक इन सबकी कड़ी को जोड़ रहा है। यह सब सोशल मीडिया का मजबूत असर है।

    जवाब देंहटाएं
  4. Ratan Singh Ji,
    ab ye sochne ki bat hai ki is time rajesthan ka CM ek rajput hai. Or uske sasan kal me bhi rajputo or Sawarno ki durdasa ho rahi hai.

    Ab in sawarno ko apne vote ka upyog ker ne se pahle sochna hoga.

    Maine ek news papper ke lekh padha ji ke anusar. NCR me jayada tar riksa chalak sawarn hai.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रवीण सिंह जी
      पहली बात तो ये कि राजस्थान का सीएम राजपूत नहीं है| राजस्थान के सीएम "अशोक गहलोत" जाति से माली है न कि राजपूत| जोधपुर के मालियों में ज्यादातर टाइटल राजपूतों वाले ही लगते है जैसे- गहलोत, सोलंकी,कुशवाह आदि इससे कई लोग भ्रम से इन्हें राजपूत समझ लेते है|
      दूसरा लेख में लिखी आरक्षण प्राप्त जाति भी स्वर्ण ही है| आजादी से पहले राजस्थान के कुछ हिस्सों में इस जाति का भी राज्य था फिर भी इस संपन्न जाति को वोट बैंक के चलते आरक्षण दे दिया गया|

      हटाएं
    2. Ratan Singh Ji,
      aap ka matlab mai samajh gaya aap kis jati ki bat ker rahe hai. aap ne apne lekh me kisee jati ka Naam na leker badhi hi paripakvata ka parichaya diya hai.

      Ha ye Jati bhut hi Dhanadhay hai kintu sawarno me aati hai ya nahi isper kafi logo me mat bhed hai abhi.

      Rahi Bat Gehlot ji ki to hamare MP me bhi aaj kal kuch aise hi hal hai

      Jai Mata Ji Ki
      Praveen Singh Bisen

      हटाएं
  5. [co="red"][si="4"]आजकल के नेता लोगों का कोई भरोसा नही हमे ही आपस मे आगे आना होगा आपका लेख बहुत ही ज्ञानप्रद है मेरे ब्‍लाग पर आकर हमे मार्गदर्शित करे yunik27.blogspot.com [/si] [/co]

    जवाब देंहटाएं
  6. अपने को जाति और Rक्षण के आधार पर मिलने वाली सहायता से दूर रखने वाला स्वर्ण वर्ग आज भुखमरी के कगार पर पहुँच चूका है , क्या अब की Rक्षण का आधार जाति ही रहेगी ? एक दिन ये जातिवाद का राक्षस इन्ही सरकारों के लिए भस्मासुर साबित होगा .

    जवाब देंहटाएं
  7. Dear Bnna, thanks for your effort. i request you and other rajput brothers to be together. because union is power in existing era.

    thanks again

    जवाब देंहटाएं
  8. अभी कुछ महीने पहले मैनें गीता और वेदान्त दर्शन से जुड़ी कुछ पुस्तकें पढ़ी थी..
    लेकिन गीता को लेकर एक बात मैं अक्सर सोचता हूँ... कि क्या महाभारत एक युद्ध था? या हमारे आज के जीवन का परिवेश दर्शाता है.. कौरव सौ थे और पांडव पाँच... सबसे ज्यादा यातना पांडवों ने ही झेली...
    तब समझ में आता है कि यह धर्म और अधर्म का युद्ध तो कभी समाप्त हुआ ही नहीं... यह अब भी चल रहा है... अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक के रूप में... वोटिंग सिस्टम... जिसमें यह तय नहीं होता कि ज्यादा संख्या के लोगों की मानसिकता क्या है?
    आप जरा कल्पना करिए.. कि श्री कृष्ण बैलट बाक्स लेकर हस्तिनापुर पहुँचे और सभी परिवारजनों में वोटिंग कराये.. कि सत्ता किसके हाथ होनी चाहिए... कौन जीतेगा?? दुर्योधन या युधिष्ठिर??
    रतन जी!! क्या जवाब है आपका? सिर्फ आज को ही सुधारे.. इस आज में पिस रहे सिर्फ एक को उबारे? या कुछ और किया जा सकता है?? क्योंकि ऐसी संख्या तो अनगिनत है.. आज समस्या का निदान हुआ कल फिर ऐसी समस्या आ खड़ी होगी...

    जवाब देंहटाएं
  9. ईसका उपाए एक ही है, पढाई

    सिर्फ वोट के लिए आपस मे फुट डालते हैं ताकी वोटों का बैंक बना सकें और एसा करने वाले नही जानते की एक दिन बारी उनकी भी आएगी...

    जवाब देंहटाएं
एक टिप्पणी भेजें