पिछले सप्ताह शेखावाटी से नरेश सिंह जी राठौड़ ने वीणा कैसेट द्वारा जारी एक कवि सम्मलेन की विडियो सी डी भेजी थी जिसमे कार्यकर्म संचालक ने एक बड़ा मजेदार किस्सा सुनाया | जो यहाँ प्रस्तुत है |
बाबा ताऊ आनंद के आश्रम में अक्सर भंडारे का आयोजन होता रहता है जिसका नियम यह है कि भंडारे में किसी को निमंत्रण नहीं दिया जाता , जो भी आस-पास के ग्रामीण आ जाते है उन्हें भंडारे का खाना खिला दिया जाता है और जब रसोई में भोजन सामग्री कम पड़ जाती है तब बाबा ताऊआनंद शंख बजा देते है जिसे सुनकर आने वाले लोग समझ जाते है कि भोजन सामग्री कम पड़ गयी है अतः जिसने जितना खा पाया उतना ही खाकर उठ जाता है | एक दिन आश्रम में पांच सौ लोगो के खाने के इंतजाम के साथ भंडारा किया गया लेकिन खाने वाले पांच हजार लोग पहुँच गए जाहिर है भोजन सामग्री तो कम पड़ ही गयी अव्यवस्था और फ़ैल गयी |
बाबा ताऊ आनंद के आश्रम में अक्सर भंडारे का आयोजन होता रहता है जिसका नियम यह है कि भंडारे में किसी को निमंत्रण नहीं दिया जाता , जो भी आस-पास के ग्रामीण आ जाते है उन्हें भंडारे का खाना खिला दिया जाता है और जब रसोई में भोजन सामग्री कम पड़ जाती है तब बाबा ताऊआनंद शंख बजा देते है जिसे सुनकर आने वाले लोग समझ जाते है कि भोजन सामग्री कम पड़ गयी है अतः जिसने जितना खा पाया उतना ही खाकर उठ जाता है | एक दिन आश्रम में पांच सौ लोगो के खाने के इंतजाम के साथ भंडारा किया गया लेकिन खाने वाले पांच हजार लोग पहुँच गए जाहिर है भोजन सामग्री तो कम पड़ ही गयी अव्यवस्था और फ़ैल गयी |
अव्यवस्था फैलने पर बाबा के चेले तुंरत बाबा ताऊ आनंद को सुचना देने दौडे पड़े और बाबा से बोले |
चेला -- - बाबा जी पॉँच सौ की जगह पांच हजार आ गए ,खाना ख़त्म हो गया और अव्यवस्था फ़ैल रही है शंख बजाओ |
बाबा ताऊ आनंद :-- बेटा आज शंख बजाने से कुछ नहीं होगा ! आज तो लट्ठ बजाओ |
कवि सम्मेलन ताऊ आश्रम में..और हम गायब?? गज़ब हो गया!!
जवाब देंहटाएंकभी कभी ताऊ लोग ऐसै ही फंसते हैं।
जवाब देंहटाएंवाह शेखावत जी, आपने तो ताऊ बाबा से अच्छे लठ्ठ चलवाये. आज सुबह पहले ही महाबाबा आगये ताऊबाबा की खबर लेने.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
Sundar katha !
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ha ha ha ha
जवाब देंहटाएंtaau, latth pai tel lagaakai taiyaar raakh....
khaane waale hazaaron sai.......ha ha ha ha
यह तो सचमुच कमाल है
जवाब देंहटाएं---
मानव मस्तिष्क पढ़ना संभव
आपने इस लठ्ठ वाली बात को सबको बता कर बहुत अच्छा किया, वरना तो यह सी डी मे ही दबी रह जाती ।
जवाब देंहटाएंवाह सरकार! एक कहावत याद आ गई मारवाड़ी में है, अपने शेखावाटी की 'ताऊ सैन कैदे, ताऊ न कुण कै'। लट्ठ तो बजने की नौबत आनी ही थी। मजा आ गया।
जवाब देंहटाएंबजाओ भाई... जोर से बजाओ..
जवाब देंहटाएंमजेदार है जी। कभी ऐसा भी करना पड़ता है।
जवाब देंहटाएंताऊ के खेल तो निराले हैं!
जवाब देंहटाएंमजेदार प्रसंग्!
फिर क्या हुआ ?
जवाब देंहटाएंदो चार टपके ?
जय हो ...इन ताऊ जी की ..
जवाब देंहटाएंअब तो शंख नहीं लट्ठ बजाओ
जवाब देंहटाएंहा,,,हा,,,हा,,,हा,,हा,,
बेहद मजेदार मजा आ गया
आभार
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