स्व.कन्हैयालाल सेठिया की कालजयी रचना " जलम भोम " (जन्म भूमि)

Gyan Darpan
13
स्व.कन्हैयालाल सेठिया की कालजयी रचना " जलम भोम "
जलम भोम
आ धरती गोरा धोरां री, आ धरती मीठा मोरां री
ईं धरती रो रुतबो ऊंचो, आ बात कवै कूंचो-कूंचो,
आं फ़ोगां मे निपज्या हीरा, आं बांठा में नाची मीरा,
पन्ना री जामण आ सागण , आ ही प्रताप री मा भागण,
दादू रैदास कथी वाणी ,पीथळ रै पाण रयो पाणी,
जौहर री जागी आग अठै, रळ मिलग्या राग विराग अठै,
तलवार उगी रण खेतां में, इतिहास मंड्योड़ा रेतां में,
बो सत रो सीरी आडावळ, बा पत री साख भरै चंबळ,
चूंडावत मांगी सैनाणी, सिर काट दे दियो क्षत्राणी,
ईं कूख जलमियो भामासा , राणा री पूरी मन आसा,
बो जोधो दुर्गादास जबर, भिड़ लिन्ही दिल्ली स्यूं टक्कर,
जुग- जुग मे आगीवाण हुया, घर गळी गांव घमसांण हुया,
पग-पग पर जागी जोत अठै, मरणै स्यूं मधरी मौत अठै,
रुं-रुं मै छतरयां देवळ है, आ अमर जुझारां री थळ है,
हर एक खेजडै खेडां में , रोहीडा खींप कंकेडा मे
मारु री गूंजी राग अठै, बलिदान हुया बेथाग अठै,
आ मायड संता शूरां री, आ भोम बांकुरा वीरां री,
आ माटी मोठ मतीरां री, आ धूणी ध्यानी धीरां री,
आ साथण काचर बोरां री, आ मरवण लूआं लोरां री,
आ धरती गोरा धोरां री, आ धरती मीठा मोरां री |

एक टिप्पणी भेजें

13टिप्पणियाँ

  1. आ मायड संता शूरां री, आ भोम बांकुरा वीरां री,
    आ माटी मोठ मतीरां री, आ धूणी ध्यानी धीरां री,

    इस रचना ने तो आज ठॆठ गांव मे पहुंचा दिया. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  2. स्व.कन्हैयालाल सेठिया की कालजयी रचना " जलम भोम " (जन्म भूमि) को प्रस्तुत करने के लिए भाई रतन सिंह शेखावट जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. भले ही बहुत से शब्द हमारी समझ के परे थे परन्तु ठेठ बोली में अच्छी लगी.

    जवाब देंहटाएं
  4. म्हार सातवीं कलास मं चाल्या करती ही आ कविता

    जवाब देंहटाएं
  5. shekhavat saheb.the toh nihal kar diyo............
    sethiya ji ri kalam nai naman
    aap ree maatrubhakti nai naman
    badhai sa

    जवाब देंहटाएं
  6. भई हमे पुरी समझ मै तो नही आई, लेकिन सुबह सुबह हम ने आरती के रुप मै इसे पढ लिया, बहुत अच्छी लगी आप की यह रचना.
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. ये कविता/गीत बहुत सुनी और गाई स्कुल कोलेज के दिनों में... अच्छा लगा फिर से पढ़.. बहुत आभार..

    जवाब देंहटाएं
  8. एक बहुत बढ़िया और सुन्दर रचना है । इस रचना मे राजस्थान का मान झलकता है । इस छोटी सी कविता के माध्यम से कवि ने राजस्थान के इतिहास और संस्कृति से रूबरू करवाया है आभार इस रचना के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  9. समझने की काफी कोशिश की ....कुछ हाथ लगा ....कुछ नहीं ....कुछ कठिन शब्दों ने रास्ता रोक दिया......लेकिन कोशिश जारी है.

    जवाब देंहटाएं
एक टिप्पणी भेजें