वीर दुर्गादास राठौड़ : भारत के इतिहास से एक से बढ़कर एक योद्धा हुए है, जिनके नामों की लम्बी श्रंखला है| यदि मैं सबका नाम यहाँ लिखना शुरू करूँ तो यह लेख उन्हीं के नामों से भर जायेगा| पर हम भारत के मध्यकाल के योद्धाओं की बात करें तो पृथ्वीराज, आल्हा-उदल, महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप, राजकुमार पृथ्वीराज मेवाड़, राजा मानसिंह, शिवाजी महाराज, वीर शिरोमणि दुर्गादास राठौड़ के नाम इतिहास में प्रमुखता से लिए जाते हैं| प्रात: स्मरणीय महाराणा प्रताप व जोधपुर के राव चन्द्रसेन ने पहाड़ों में रहकर अकबर के साथ वर्षों संघर्ष किया और जिंदगीभर उसके आगे झुके नहीं| वहीं धार्मिक रूप से कट्टर औरंगजेब के साथ शिवाजी महाराज व वीर दुर्गादास राठौड़ ने लम्बा संघर्ष किया| लेकिन इन सब वीरों की वीरता में मुझे वीर दुर्गादास राठौड़ की वीरता, साहस और कूटनीति सबसे ज्यादा प्रभावित करती है|
महाराणा प्रताप, राणा सांगा, कुम्भा, शिवाजी महाराज, राव चंद्रसेन आदि सब अपने अपने राज्यों के शासक थे| उनकी शिक्षा-दीक्षा, सैन्य प्रशिक्षण व राजनीति की पढ़ाई अच्छी तरह से हुई थी| इसके विपरीत दुर्गादास राठौड़ का बचपन कृषि कार्य के साथ पशुपालन करने में ज्यादा व्यतीत हुआ| वे एक साधारण राजपूत परिवार से थे, हालाँकि उनके पिता मारवाड़ राज्य के अच्छे ओहदे पर थे, पर पिता ने उन्हें माता सहित अपने से दूर रखा हुआ था| इसके बावजूद जब दुर्गादास को मारवाड़ की सेना में सेवा का मौका मिला, उन्होंने अपनी बहादुरी, साहस और समझदारी के बल पर जोधपुर महाराजा की नजर अपनी स्थिति सर्वोच्च बना ली| महाराजा की नजर में वे सबसे बड़े स्वामिभक्त थे| दुर्गादास ने भी महाराजा जसवंतसिंह के मन में बैठे विश्वास कभी नहीं तोड़ा और आज इतिहास में एक स्वामिभक्त के रूप में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा है जो सब जानते है| दुर्गादास राठौड़ के पास ऐसा कोई पद नहीं था न ही वो मारवाड़ राज्य के बड़ा सामंत थे फिर भी उस वक्त मारवाड़ में उसकी भूमिका और अहमियत सबसे बढ़कर थी| पर मैं उनसे इसलिए प्रभावित हूँ कि सामान्य जीवन जीने, शिक्षा से दूर रहने, कृषि व पशुपालन का कार्य करने वाले वीर दुर्गादास राठौड़ ने वो कर दिखाया जो उपरोक्त वर्णित राजा नहीं कर पाए|
वीर शिरोमणि दुर्गादास राठौड़ में मेरे प्रभावित होने के पीछे जो कारण है, उन्होंने ऐसा किया जो अन्य योद्धा नहीं कर सके इसके लिए मेरा एक पूर्व लेख “वीर दुर्गादास राठौड़ : स्वामिभक्त ही नहीं, महान कूटनीतिज्ञ भी थे” पढने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें |