सोशियल मीडिया का दुरूपयोग : इन्टरनेट सेवा के प्रसार के बाद आपसी मेल-जोल बढाने के लिए ऑरकुट व फेसबुक जैसे वेब साइट्स बनी, जिनका मुख्य उद्देश्य लोगों को आपसी मित्रता बढाकर लोगों में दूरियां कम करने के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध कराना था| शुरू में लोग इन वेब साइट्स पर अनजान व दूर चले गए परिचितों से सम्पर्क बनाये रखने के उद्देश्य ही इन वेब साइट्स से जुड़े| इन सोशियल वेब साइट्स ने निश्चित ही व्यक्ति का सामाजिक दायरा बढाया है यह मानने में कोई अतिश्योक्ति नहीं| मैं अपनी व्यक्तिगत बात करूँ तो मुझे सोशियल वेब साइट्स के माध्यम से ढेरों अच्छे मित्र मिले हैं, मेरा सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक दायरा बढ़ा है| ठीक इसी तरह वाट्सएप आने के बाद हमें त्वरित व कम खर्च में सूचनाएं साझा करने की सुविधा मिली है| इससे पहले हम पत्र, ईमेल आदि पर निर्भर थे|
पर वर्तमान में क्या इन सुविधाओं का सही उपयोग हो रहा है? जबाब मिलेगा नहीं| आज सोशियल साइट्स पर अच्छे उद्देश्य वाले लोग बहुत कम उपलब्ध है, ज्यादातर लोग अपनी राजनीतिक विचारधारा का प्रसार करने, अपने प्रतिद्वंदियों का चरित्रहनन करने, धार्मिक उन्माद फ़ैलाने, झूठ व अफवाहें फ़ैलाने, लोगों को फंसाने के लिए प्रयोग कर रहे हैं| कुछ महीने पहले इसी सोशियल मीडिया के माध्यम से भारत बंद होना इसकी ताकत को दर्शाता है और साबित करता है कि इन सोशियल साइट्स का उपयोग अब विध्वंसकारी गतिविधियों में लेने वाले तत्वों की कमी नहीं है| फेसबुक और वाट्सएप के प्रयोगकर्ताओं की बढ़ी संख्या ने राजनीतिज्ञों, धार्मिक कट्टरपंथियों, व्यापारियों को खूब आकर्षित किया है|
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की जीत में फेसबुक डाटा की महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के बारे में कई ख़बरें पढने को मिली है वहीं भारत में भी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद तक पहुँचने में उनकी सोशियल मीडिया सैल की भूमिका जगजाहिर है| आज सोशियल मीडिया की ताकत को किसी भी सूरत में नाकारा नहीं जा सकता| चुनावों को प्रभावित करने के साथ ही कई संगठन आन्दोलन खड़े करने में भी सोशियल मीडिया का भरपूर उपयोग कर रहे हैं| लेकिन सबसे चिंता की बात है कि आज सोशियल मीडिया का दुरूपयोग करने वाले तत्व खासे सक्रीय हैं| इन्हीं तत्वों की सक्रियता से देश के संवेदनशील लोग व सरकारें सोशियल मीडिया के दुरूपयोग से खासी चिंतित है| देश के कई प्रबुद्ध नागरिक सोशियल मीडिया के बढ़ते दुरूपयोग पर चिंता जाहिर करते हुए इसके सही उपयोग के लिए युवाओं में जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता बताते हैं| सरकारें अक्सर फेसबुक, गूगल, वाट्सएप आदि पर दबाव बनाती है कि वो ऐसा सिस्टम बनाये कि उन्माद, घृणा फ़ैलाने वाला, किसी को निशाना बनाने वाला कंटेंट सेंसर हो सके| पर यह तो ठीक उसी तरह होगा जैसे एक चाक़ू बनाने वाले को कहा जाय कि ऐसा चाक़ू बनाईये जो सब्जी-भाजी काटने तक काम करता रहे पर यदि कोई किसी गला काटने या घोंप कर हत्या का प्रयास करे तो चाक़ू अपने आप रुक जाए| क्या ऐसा चाकू बनाना संभव है ? जो सिर्फ सब्जी ही काटे और गला काटने के समय स्वत: रुक जाए !