महाराणा प्रताप एक बार फिर विस्थापित

Gyan Darpan
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दिल्ली के बादशाह अकबर के साथ अपने स्वातंत्र्य संघर्ष के दौरान महाराणा प्रताप (Bharat Mata ke veer saput maharana pratap) को चितौड़गढ़ छोड़कर वर्षों तक जंगलों व पहाड़ों में विस्थापित जीवन जीना पड़ा| उनके उसी संघर्ष से आजादी की प्रेरणा लेकर भारत के लोगों ने अंग्रेज सत्ता से मुक्ति पाई| आज भी महाराणा प्रताप राष्ट्र में स्वाधीनता के प्रेरणा श्रोत व राष्ट्र नायक माने जाते है| स्वाधीनता संघर्ष के लिए जब भी किसी वक्ता को कोई उदाहरण देना होता है तब राष्ट्र नायक महाराणा प्रताप का नाम सर्वोपरि लिया जाता है|

स्वाधीनता के बाद राष्ट्र नायक महाराणा को कृतज्ञ राष्ट्र ने आदर देने हेतु देश के विभिन्न स्थानों पर उनकी प्रतिमाएं लगाईं| उन प्रतिमाओं से आज भी देश की नई पीढ़ी राष्ट्र के स्वातंत्र्य के संघर्ष व मर मिटने की प्रेरणा ग्रहण करती है| देश की राजधानी दिल्ली में इस राष्ट्र गौरव को सम्मान देने व उनकी स्मृति बनाये रखने हेतु कश्मीर गेट स्थित अंतर्राज्य बस अड्डे का नामकरण महाराणा प्रताप के नाम पर किया गया| साथ ही अंतर्राज्य बस अड्डे के साथ लगे कुदसिया पार्क में महाराणा की एक विशाल प्रतिमा स्थापित की गई| जो उधर से आते जाते हर व्यक्ति को दिखाई देती थी|

पर कश्मीरी गेट के पास बन रहे मेट्रो रेल के निर्माण के बीच में आने की वजह से उस मेट्रो रेल ने जिसने एक खास समुदाय की भावनाओं का ख्याल रखते हुए अपना निर्धारित रेल लाइन का रूट तक बदल दिया था ने महाराणा प्रताप की इस प्रतिमा को उखाड़ कर एक कोने में रख विस्थापित कर दिया जिसे राजस्थान व देश के अन्य भागों के कुछ राजपूत संगठनों व दिल्ली के ही एक विधायक के विरोध करने के बाद मूल जगह से दूर कुदसिया पार्क में अस्थाई चबूतरा बनाकर अस्थाई तौर पर स्थापित किया| पर आज प्रतिमा को हटाये कई वर्ष होने के बावजूद मेट्रो रेल प्रशासन ने इस प्रतिमा को सम्मान के साथ वापस लगाने की जहमत नहीं उठाई|

जबकि मेरी एक आर.टी.आई. के जबाब में मेट्रो रेल ने प्रतिमा वापस लगाने की जिम्मेदारी भी लिखित में स्वीकार की है साथ ही निर्माण पूरा होने के बाद प्रतिमा सही जगह वापस स्थापित करने का वायदा भी किया पर इस कार्य के लिए मेरे द्वारा पूछी गई समय सीमा का गोलमाल उतर दिया| शहर के विकास कार्यों के बीच में आने के चलते प्रतिमा हटाने में किसी को कोई आपत्ति नहीं पर उसे वापस समय पर न लगाना चिंता का विषय तो है ही साथ ही राष्ट्र गौरव के प्रतीक महाराणा प्रताप का अपमान भी है| पर अफ़सोस राष्ट्र गौरव के प्रतीक के अपमान के खिलाफ देश के कुछ राजपूत संगठनों के अलावा किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई| अपने आपको राष्ट्रवादी कह प्रचारित करने वाले संगठन भी इस मुद्दे पर मौन है| लज्जाजनक बात तो यह है राष्ट्रवाद का दम भरने व अपने कार्यक्रमों में महाराणा प्रताप के चित्रों का इस्तेमाल करने वाली भाजपा जो दिल्ली के स्थानीय निकाय दिल्ली नगर निगम में काबिज है और जो इस प्रतिमा के लिए उपयुक्त जगह का इंतजाम कर सकती है एकदम निष्क्रिय है|

क्या भाजपा व राष्ट्रवादी संगठन सिर्फ अपने कार्यक्रमों में महाराणा का चित्र लगाकर और उनकी वीरता का बखान करने तक ही सीमित है ?

क्या राष्ट्र गौरव के सम्मान की चिंता सिर्फ राजपूत समुदाय को ही करनी चाहिए ?

क्या महाराणा की प्रतिमा को मेट्रो रेल की सुविधानुसार व उसकी मर्जी से पुन: स्थापित करने तक उसे कुदसिया पार्क में विस्थापित स्थित में ही छोड़ देना चाहिए ?





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15टिप्पणियाँ

  1. आप की चिंता और कारण दोनों वाज़िब हैं .....
    महाराणा वीर प्रताप की वीरता और बलिदान हर सच्चे
    भारतवासी के लिए एक प्रेरणा है !
    शुभकामनायें!

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  2. अपने देश में प्रतिमाओं और मूर्तियों के साथ ऐसा व्यवहार अशोभनीय है ।
    मेरी नयी पोस्ट "10 रुपये के नोट नहीं , अब 10 रुपये के सिक्के" को भी एक बार अवश्य पढ़े ।
    मेरा ब्लॉग पता है :- harshprachar.blogspot.com

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  3. राणा प्रताप की जगह अगर बाबर या अकबर का बूत होता तो सायद इज्जत के साथ किसी मंत्री के बंगले पे आराम फरमा रहा होता .

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    उत्तर
    1. सही कह रहें है! फिर सबको धर्मनिरपेक्षता याद आती|

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  4. ye kewal mahaaraana pratap ka apman hi nahi ye hindu samaaj aur bhartiyata kaa apman hai wastaw me hindu samaj ke sone rahne ke karan yah sab ho raha hai.

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  5. देश के वीरों को तब भी अपमान झेलना पड़ा था।

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  6. इस तरह का सौतेला व्यवहार तो हिंदू वीरों के साथ आजादी के बाद से ही चला आ रहा है जरुरत है तो इसका मुहंतोड़ जवाब देने की !

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  7. क्या भाजपा, क्या कांग्रेस और क्या वाम दल..... इन्ही की पद चिन्हों पर आज मल्टी नेशनल और नेशनल कम्पनियाँ भी चल पड़ी हैं, मुस्लिम समुदाय का नाख़ून नहीं कटना चाहिए बेशक हिंदुओं का सर कट जाए.


    सलाम आपके जज्बे को - जो आपने आर टी आई के माध्यम से मेट्रो पर दबाव बनाया.

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  8. देश का इतिहास बदलने का षड्द्यंत्र तो चल ही रहा था अब प्रतिमाओं का निरादर भी आरम्भ हो गया है ,,जिसका पुरजोर विरोध करना है हमें

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  9. इस तरह के व्यवहार की जितनी भी निंदा की जाये कम है ...आभार

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  10. इस सबकी जड काँग्रेस पार्टी हैँ जो मुल्लो के लिए कुछ भी कर सकती हैँ

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  11. मोहनदास गांधी के नाम से करीब
    985475 स्मारक, अस्पताल, सड़क,
    योजनायें है!
    नेहरु के नाम से करीब 746185 योजनायें
    स्मारक है!
    इंद्रा गांधी के नाम से करीब 652864
    सड़कें, इमारत, योजनायें है!
    राजीव गांधी के नाम से करीब 695824
    योजनायें, भवन, अस्पताल, स्कूल है!
    लेकिन इस देश में बाकी के 7 लाख
    क्रांतिकारी जिन्होंने इस देश के लिए अपने
    प्राणों की आहुति दी उनके नाम से मात्र
    80000 योजनायें, भवन, स्मारक, स्कूल,
    अस्पताल आदि है!
    कांग्रेसी कीड़े ये भूल जाते है की आदमी अमर दिल
    बसने से होता है ना की भवनों और योजनाओं के
    नाम रखने से!

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  12. क्या आप जानते हैं कि....."पाकिस्तान"शब्द ­
    का जनक....सियालकोट का रहने वाला 'मुहम्मद
    इकबाल' था..... जो कि... जन्म से एक
    कश्मीरी ब्राह्मण था. परन्तु बाद में मुसलमान
    बन गया था ...!
    ये वही मुहम्मद इकबाल है.... जिसने प्रसिद्द
    गीत "सारे जहाँ से अच्छा हिदोस्तान
    हमारा" .. लिखा है...!
    इसी इकबाल ने अपने गीत में एक जगह लिखा है
    कि..... ""मजहब नहीं सिखाता ....आपस में बैर
    रखना"
    परन्तु .......इसी इकबाल ने अपनी एक किताब "
    कुल्लियाते इकबाल " में अपने बारे में लिखा है....
    "मिरा बिनिगर कि दर हिन्दोस्तांदीगर
    नमी बीनी ,बिरहमन जादए रम्जआशनाए रूम औ
    तबरेज अस्त "
    अर्थात... मुझे देखो......... मेरे जैसा हिंदुस्तान में
    दूसरा कोई नहीं होगा... क्योंकि, मैं एक
    ब्राह्मण की औलाद हूँ......लेकिन, मौलाना रूम और
    मौलाना तबरेज से प्रभावित होकर मुसलमान बन
    गया...!
    कालांतर में यही इकबाल....... मुस्लिम लीग
    का अध्यक्ष बन गया....
    और, हैरत कि बात है कि...... जो इकबाल "सारे
    जहाँ से अच्छा हिदोस्तान हमारा" ..
    लिखा ...और,""मजहब नहीं सिखाता ....आपस में
    बैर रखना"..... जैसे बोल बोले थे...
    उसी इकबाल ने ....... मुस्लिम लीग खिलाफत
    मूवमेंट के समय ...... 1930के इलाहाबाद में
    मुस्लिम लीग के सम्मलेन में कहा था .....
    "हो जाये अगर शाहे
    खुरासां का इशारा ,सिजदा न करूं
    हिन्दोस्तां की नापाक जमीं पर "
    यानि.... यदि तुर्की का खलीफा अब्दुल हमीद
    ( जिसको अँगरेजों ने 1920 में गद्दी से उतार
    दिया था ) इशारा कर दे...... तो, मैं इस"नापाक
    हिंदुस्तान" पर नमाज भी नहीं पढूंगा...!
    बाद में...... इसी " नापाक" शब्द का विपरीत
    शब्द लेकर "पाक " से"पाकिस्तान "
    बनाया गया ...... जिसका शाब्दिक अर्थ है .....
    ( मुस्लिमों के लिए ) पवित्र देश...!
    कहने का तात्पर्य ये है कि..... हिन्दू बहुल क्षेत्र
    होने के कारण.... मुस्लिमों को हिंदुस्तान
    ""नापाक"" लगता था....इसीलिए... मुस्लिमों ने
    अपने लिए तथा कथित पवित्र
    देश ..."पाकिस्तान"... बनवा लिया...!
    अब इस सारी कहानी में.... समझने की बात यह है
    कि....... जब एक कश्मीरी ब्राह्मण के .... धर्म
    परिवर्तन करने के बाद.... अपने देश और
    अपनी मातृभूमि के बारे में सोच ...
    इतनी जहरीली हो सकती है.... तो, आज....
    हिन्दुओं की अज्ञानता और उदासीनता का लाभ
    उठा कर ... जकारिया नाईक जैसे..... समाज के
    दुश्मनों द्वारा हजारो -लाखो हिन्दुओं
    का धर्मपरिवर्तन करवाया जा रहा है.....
    उसका परिणाम कितना भयानक
    हो सकता है...????
    ऐसे में मुझे एक मौलाना की वो प्रसिद्द
    उक्ति याद आ रही है.... जिसमे उसने
    कहा था कि....
    देखिये हमारे तो इतने इस्लामी देश हैं ....
    इसीलिए , अगर हमारे लिए जमीन तंग
    हो जाएगी तो ,,,हम किसी भी देश में जाकर कहेंगे
    " अस्सलामु अलैकुम " और वह कहेगा "वालेकुम
    अस्सलाम " ..... साथ ही....हमें भाई समझ कर
    अपना लेगा .
    लेकिन मैं... हिन्दुओं एक मासूम सा सवाल
    पूछना चाहता हूँ कि....... उनके राम-राम
    का जवाब देने वाला कौन सा देश है...... ????
    इसलिए, जो यह लेख पढ़ रहे हैं , उन सभी हिन्दू
    भाइयों-बहनों से निवेदन है कि....,
    जकारिया नायक जैसे क्षद्म जिहादी और इस्लाम
    का पर्दाफाश करने में हर प्रकार का सहयोग
    करें ...... !
    याद रखें कि.... अगर धर्म नहीं रहेगा तो देश
    भी नहीं रहेगा !
    क्योंकि.... देश और धर्म का अटूट सम्बन्ध है ....
    जिस तरह.... धर्म के लिए देश की जरुरत
    होती है ... ठीक उसी तरह..... देश की एकता के
    लिए भी धर्म की जरूरत होती है ...!
    इसीलिए, अगर हमारे हिन्दुस्थान को बचाना है
    तो...... जाति और क्षेत्रवाद का भेद भूलकर .....
    कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी... और कच्छ से लेकर
    असम तक के सारे हिन्दुओं को एक
    होना ही होगा...!
    जय हिंदुत्व... जय हिन्दुराष्ट्र.. .!
    .जय परशुराम जी .!!!
    नोट: यह लेख किसी प्रकार
    कि दुर्भावना या विद्वेष फ़ैलाने के लिए नहीं.....
    बल्कि इतिहास की सच्ची जानकारी देने के
    उद्देश्यसे लिखी गयी है....ताकि इतिहास
    को दुहराने से रोका जा सके.

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  13. Ladies And Gentlemen,
    India हमारी Country है,
    और हम है इंडिया के Citizen,
    इसलिये हिंदी बोलना हमारी Duty है,
    पर बेचारी हिंदी की किस्मत ही फूटी है,
    आज कि Young Generation Whenever
    माउथ खोलती है,
    Only And Only English ही बोलती है,
    Person कि Ability को English से
    तौलती है,
    तब हमारा सिर Shame से झुक जाता है,
    And Heart Deep वेदना से भर जाता है,
    ये सब Very Wrong है,
    In Reality देशद्रोह है, ढोंग है,
    हमे अपनी Daily Life में हिंदी Language
    को लाना है,
    Worldwide फैलाना है,
    Then And Only Then,
    हमारी भारत माता के,
    Dreams होंगे सच,
    Thank You All Very Very Much.
    ये सिर्फ cool dudes को समजाने लिए है
    क्योकि मेरा देश india नहीं भारत है||

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  14. शेखावत जी,
    मेट्रो वालों को महाराणा की प्रतिमा मूल स्थान पर स्थापित करनी ही चाहिये और करेंगे भी। आपके प्रयास के लिये आपको साधुवाद।

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