रिश्ते
10:48 pm
20
एक दिन चला था जिंदगी के सफ़र, पर कुछ रिश्तो को लेकर ......
कुछ को कांधे बैठाया कुछ को पलकों पर ..........
चला कुछ को गोद लिए, कुछ दिल मे दबा कर........
चलता रहा एक पहर.........., दो पहर ..........
किसी ने बोला धुप लगी ,बदन से कुरता उतार कर मैने छाया कर दी.....
किसी को भूख लगी ,अपने हिस्से की रोटी दे दी .......
तीसरे पहर थोड़ी थकान सी महसुस की ...,
तो मैं बोला, रिश्तो तुम मेरा ख्याल रखना ,
मैं थोडा सुस्ता लेता हूँ ,एक चैन भरी झपकी पा लेता हूँ ,........
................................................................................... ....................................................... ................................
जब साँझ ढले आँख खुली तो देखा ,
एक झुरमुट सा एक दूजे का हाथ पकडे दूर चला जा रहा था ,......
मैने गौर से अपनी धुंधलाई नजरो से देखा तो ,वो मेरे ही रिश्ते थे .
अब मेरे पास बचे वही जो मेरे दिल मे दबे थे ..............
रिश्तों को दिल से निकल वाणी में आना चाहिये।
जवाब देंहटाएंवाह एक दिन हम सब के साथ यही होना है, अति सुंदर रचना, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंकृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
बहुत बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंbahut
हटाएंbhut
हटाएंNice
जवाब देंहटाएंऊषा जी रिश्तो के बारे में सभी के अपने अपने ख्याल होते है | कुछ के लिए रिश्ते मरहम है तो कुछ के लिए एक टीस है |किसी के लिए लोहे का पात्र है तो किसी के लिए कच्ची मिट्टी का घडा है | किसी के लिए बनाए हुए रिश्ते महत्वपूर्ण है , तो किसी के लिए खून के रिश्ते |आपकी इस रचना में बुजुर्गो के लिए बहुत संवेदनात्मक विचार है जिनके लिए हम आभारी है |
जवाब देंहटाएंरिश्तों के माध्यम से सारी ज़िन्दगी समझा दी…………………यही तो ज़िन्दगी का सच है जिनके लिये हम जीते हैं एक दिन वो ही हाथ छोड चले जाते हैं उम्र के उस पडाव पर अकेला छोडकर्।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बहुत शानदार रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना है बाईसा हुकुम...keep it up.
जवाब देंहटाएंसच्चाई दिखाती हूई बहुत बढीया लेख, उप्पर वाला फोटो देख कर बहुत पुरानी बात याद आ गई...
जवाब देंहटाएंप्रभावित किया इस रचना ने ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ।
मीठे और नजाकत भरे.
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रभावी और सुन्दर रचना......
जवाब देंहटाएंरिश्तों के खूबसूरत मायने बयां करने के लिए आभार
touching lines-----------
जवाब देंहटाएंमै जिंदगी के सफ़र को इस कदर तन्हा रखूंगी ;
ताकि न कसके कभी रिश्तो का
बिखर जाना ,
वाह उषाजी हर बार की तरह बहुत खूब लिखा है,आपके लेख और कविताओं की ख़ास बात ये है की उसमें जो भी लिखा होता है वोह सब वास्तविक जीवन के सुख,दुःख,हाव,भाव,पीड़ा,यातना,दर्द से जुड़ा होता है,जो इन्सान आज के इस दौर में अपनी रोज मर्रा की ज़िन्दगी में होता देख रहा है.भगवान आपको इसी तरह सच्चे और साफ़ दिल से लिखने की प्रेरणा देता रहे हमारी सुभ कम्नैये आपके साथ है.कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती.आपके साथ मैं भी कहानी शेयर करना चाहूँगा जो हकीक़त में किसी के साथ हुई है.धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअमर अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। उच्च शिक्षा के लिए अमरिका जाकर पढने की इच्छा प्रकट की साथ में वादे भी किया कि वह पढ़ाई पूरी करते ही वापस आकर दोनों की देखभाल भी करेगा। दोनों बहुत खुश हुए । उन्होंने तमाम उम्र की जमा पूँजी लगाकर उसे रवाना कर दिया था ।
वहाँ जाकर अमर जल्दी-जल्दी ख़त लिखा करता था पर जल्द ही खतों की रफ़्तार ढीली पड़ गयी। एक दिन डाकिया एक बडा-सा लिफाफा उन्हें दे गया । ख़त में कुछ फोटो भी थे। ये अमर की शादी के फोटो थे । उसने अंग्रेज़ लड़की के साथ शादी कर ली थी । ख़त में लिखा था – ” पिताजी, हम दोनों आशीर्वाद लेने आ रहे हैं । फकत पाँच दिन के लिए । फिर घूमते हुए वापस लौटेंगे। एक निवेदन भी कि अगर हमारे रहने का बंदोबस्त किसी होटल में हो जाये तो बेहतर होगा। और हाँ, पैसों की ज़रा भी चिंता न कीजियेगा……”
दोनों को पहली बार महसूस हो रहा था कि उनकी उम्मीदें और अरमान तो कब के बिखर चुकें हैं । दूसरे दिन तार के ज़रिये बेटे को जवाब में लिखा – ” तुम्हारे खत से हमें कितना धक्का लगा है कह नहीं सकते, उसी को कम करने के लिए हम कल ही तीर्थ के लिए रवाना हो रहे हैं, लौटेंगे या नहीं कह नहीं सकते, अब हमें किसी का इंतज़ार भी तो नहीं । और हाँ, तुम पुराने रिश्तों को तो नहीं निभा पाये, आशा है, नये रिश्तों को जीवन-भर निभाने की कोशिश करोगे….
very nie post..........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पंक्तियां।
जवाब देंहटाएंअब मेरे पास बचे वही जो मेरे दिल मे दबे थे .............. superb
जवाब देंहटाएं