एक बनिया अपने इकलौते पुत्र से बहुत दुखी था | लड़का न तो दुकान पर कार्य करता न पढाई बस सारा दिन फिल्मे,टी .वी देखने व अपने दोस्तों के साथ मटरगस्ती करने में ही समय जाया करता था | बनिए द्वारा धमकाने व समझाने का उस पर कोई असर नहीं होता था | एक दिन जब ताऊ बनिए की दुकान पर खरीददारी करने पहुंचा तो बनिए ने अपना दुखडा रोते हुए ताऊ से अपने लड़के को सही रास्ते पर ला सुधारने का उपाय बताने का आग्रह किया | अब ताऊ तो ठहरा ताऊ | अपना ताऊ तो अच्छो-अच्छो को सुधार दे यह तो सिर्फ बच्चा था | सो अपने कई आइडियों में से ताऊ ने एक आइडिया बनिए को कान में चुपचाप बता दिया | और अगले हफ्ते गांव से फिर आकर मिलने के वादे के साथ अपने गांव चला गया |
अब बनिया अपने पुत्र द्वारा कहा नहीं मानने पर पुत्र को धमकाने लगा कि " बेटे सुधर जा वरना अठन्नी कर दूंगा " | इस अपनी प्रकार की नई धमकी का मतलब बनिए पुत्र को समझ नहीं आ रहा था | अतः परेशान बनिए पुत्र ने इस धमकी का अर्थ अपने कई पडौसी दूकानदारों से भी पूछा लेकिन कोई नहीं बता सका कि नहीं सुधरने पर बनिया अठन्नी कैसे कर देगा और इसका पुत्र पर क्या असर पड़ेगा | और यही बात सोच लड़का भी परेशान कि बापू मेरे न सुधारने पर अठन्नी कैसे कर देगा और इसका मुझे क्या व कैसे नुकसान पहुंचेगा |
अब बनिया अपने पुत्र द्वारा कहा नहीं मानने पर पुत्र को धमकाने लगा कि " बेटे सुधर जा वरना अठन्नी कर दूंगा " | इस अपनी प्रकार की नई धमकी का मतलब बनिए पुत्र को समझ नहीं आ रहा था | अतः परेशान बनिए पुत्र ने इस धमकी का अर्थ अपने कई पडौसी दूकानदारों से भी पूछा लेकिन कोई नहीं बता सका कि नहीं सुधरने पर बनिया अठन्नी कैसे कर देगा और इसका पुत्र पर क्या असर पड़ेगा | और यही बात सोच लड़का भी परेशान कि बापू मेरे न सुधारने पर अठन्नी कैसे कर देगा और इसका मुझे क्या व कैसे नुकसान पहुंचेगा |
अगले हफ्ते ताऊ को दुकान की तरफ आते देख बनिया पुत्र दौड़ कर ताऊ के पास पहुंचा और पैर छूने के बाद बाप द्वारा दी गई धमकी " सुधर जा वरना अठन्नी कर दूंगा' बता इसका मतलब समझाने का आग्रह किया |
ताऊ तो इसी बात के इंतजार में ही था और आज तो शहर आया भी इसी मकसद से था सो ताऊ ने बनिए पुत्र को अठन्नी करने का मतलब इस तरह समझाया |
ताऊ - अरे छोरे अभी तो तू अपने बाप का इकलौता पुत्र है और उसकी संपत्ति का इकलौता वारिश | यदि तू अपने बाप का कहा नहीं मानेगा व उसके कामो में हाथ नहीं बटाएगा तो वो एक और पुत्र पैदा कर लेगा जो तेरे बाप की उस सम्पत्ति का आधा हकदार होगा जिसका अभी तक तू अकेला वारिश है | यानि तुझे रुपए में से सिर्फ अठन्नी मिलेगी |
ताऊ की बताई परिभाषा अब बनिया पुत्र समझ चूका था और चुपचाप दुकान पर बाप की इच्छानुसार मन लगा कर काम करने लगा |
ताऊ तो इसी बात के इंतजार में ही था और आज तो शहर आया भी इसी मकसद से था सो ताऊ ने बनिए पुत्र को अठन्नी करने का मतलब इस तरह समझाया |
ताऊ - अरे छोरे अभी तो तू अपने बाप का इकलौता पुत्र है और उसकी संपत्ति का इकलौता वारिश | यदि तू अपने बाप का कहा नहीं मानेगा व उसके कामो में हाथ नहीं बटाएगा तो वो एक और पुत्र पैदा कर लेगा जो तेरे बाप की उस सम्पत्ति का आधा हकदार होगा जिसका अभी तक तू अकेला वारिश है | यानि तुझे रुपए में से सिर्फ अठन्नी मिलेगी |
ताऊ की बताई परिभाषा अब बनिया पुत्र समझ चूका था और चुपचाप दुकान पर बाप की इच्छानुसार मन लगा कर काम करने लगा |
interesting.....!!
जवाब देंहटाएंमजेदार तरकीब ताऊ की। अच्छा पोस्ट।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
पर आगे बाप ने अठन्नी तो नहीं कर दिया।
जवाब देंहटाएंbhai kammaal hai
जवाब देंहटाएंye atthanni khoob chlegi ha ha ha ha ha ha ha ha ha
बहुत खूब। ताऊ की अट्ठनी ने लड़के को चकरघ्घनी बना कर रख दिया।
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी ताऊ की ताऊगिरी!
जवाब देंहटाएंमजेदार और सुन्दर कथा. ताऊ जिंदाबाद.
जवाब देंहटाएंइसी लिए कहते है लालच बूरी बला है, अब खामखा काम करना पड़ेगा ना :) :)
जवाब देंहटाएंताऊ तो अब ब्राण्ड हो गया है :)
शायद ताऊ का दिमाग लठ्ठ से भी तेज चलता है.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत खुब... हमें भी समझ आ गया मतलब...
जवाब देंहटाएंदिलचस्प!
जवाब देंहटाएंआज पता चला अठन्नी की ताकत का....... रुपया भी हिल गया .......अठन्नी के चक्कर में.
जवाब देंहटाएंमजेदार भाई जी.
जवाब देंहटाएंभई अच्छी सीख है।
जवाब देंहटाएंताऊ को सुपर हिट बना दिया है । छा गये गुरू । आभार इस कहानी के लिये ।
जवाब देंहटाएंहा हा... मजेदार तरकीब है.
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंवीनस केसरी
dilchasp kissa
जवाब देंहटाएंरतन जी, टॉप टेन लिस्ट में स्थान प्राप्त करने पर हार्दिक बधाई। मेरी त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
नमस्कार साहब,
जवाब देंहटाएंसमस्या ब्लाग पर लोगों के आने या न आने की नहीं है। समस्या है लोगों के रचनात्मक रूप से न जुड़ने की। हम चाहते हैं कि लोग अधिक से अधिक अपनी रचनायें भेजें। इसलिए यह सब करना पड़ रहा था।
फिलहाल आपके आने का शुक्रिया...
Dear Ratansa,
जवाब देंहटाएंI am very new on Blogging,anyway,thanks for visiting my blog,ate jate rahen,achha lagega.
काफी दिलचस्प.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंनिखिल जी आपके प्रश्नों का उत्तर आपको मेल कर दिया है |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर है हमरे बुज़ुरग हमेशा हमे दिल्चस्प तरीके से समझाते थे बहुत अच्छी रचना आभार्
जवाब देंहटाएंरतन जी मैं आपका ब्लॉग हमेशा पढती हूं। मैंने अभी अभी अपना ब्लॉग भी बनाया है। कृपया बताने का कष्ट करें कि मैं उसका ट्राफिक कैसे बढा सकती हूं। मेरा ईमेल है katkiduniya@gmail.com
जवाब देंहटाएंbahut badhiya post
जवाब देंहटाएंअदभुत !
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