Rao Shiv Singh, Sikar राव शिव सिंह जी, सीकर

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सीकर शेखावाटी राज्य का महत्वपूर्ण ठिकाना था, राजा रायसल जी शेखावत के पुत्र राव तिरमल के वंशज दौलत सिंह जी थे, दौलत सिंह जी ने सं. 1687 में सीकर को अपनी राजधानी बनाकर गढ़ की नीवं डाली | सं. 1721 में दौलत सिंह के निधन के बाद शिव सिंह जी Rao Shiv Singh सीकर के स्वामी बने | इन्हे पिता से 25 गावं उत्राधिकार में मिले थे शिव सिंह जी सीकर ढंग से बसना आरम्भ किया ओर सीकर के चारों और पकी चार दिवार बना कर सीकर को शत्रु के लिए दुर्जेय बना दिया | राव शिव सिंह जी के सहायता पाकर वि. सं. 1782 में 150 घुड़ सवारों के साथ शार्दुल सिंह जी ने अपने बेर शोधन के लिए फतेहपुर पर आक्रमण कर नबाब सरदार खान को हरा दिया | 
वि.सं.1787 के प्रथम दिन चेत्र शुक्ल 1 से रो शिव सिंह जी ने फतेहपुर वाटी पर पूर्ण अधिकार कर शासन आरंभ कर दिया रो शिव सिंह जी ने अपनविस्तृत राज्य पर सं. 1721 से 1748 ई. तक राज्य किया राव शिव सिंह जी ने जयपुर नरेश सवाई जय सिंह जी के पक्ष मराठों, बूंदी और जोधपुर के राठोरों के साथ ऐसी तलवार बजाई जिसका वर्णन उस समय के इतिहास में अमित लिपि से लिखा हुवा है |कछवाहों की ओर से कोटा बूंदी, मेवाड़ व मारवाड़ पर जो चडाइयां हुई उनमे राव शिव सिंह जी ने अपनी तलवार के जोहर दिखलाये थे |
वि. सं. 1800 में जय सिंह जी के निधन के महाराजा ईश्वर सिंह जी जयपुर के राजा बने,वि.सं. 1805 में जय सिंह जी के अन्य पुत्र माधो सिंह जी जयपुर की गद्दी पाने के पर्यत्न में बूंदी नरेश उमेद सिंह जी व मल्लार राव होलकर को प्रबल सेना के साथ जयपुर पर चडा लाये | लड़ाना नामक स्थान पर पड़ाव दल कर मल्लार राव ने अपने प्रधान सेनापति गंगाधर भट्ट को आठ हजार सेनिकों के साथ जयपुर भेजा जिसने नगर द्वार के कपाटों को तोड़ डाला ओंर अचानक आकर लूटपाट मचा दी, महाराजा ईश्वर सिंह जी इस दुखद उपद्रव को देख दुखी हुए और शिव सिंह जी को शत्रु का सामना करने भेजा,शिव सिंह जी ने शत्रु को 15 k m भगा कर महाराज को अभिवादन किया | इसके बाद मल्लार राव के साथ हाडा,राठोड़ और राणावत जयपुर के विरुद्ध आ डटे घमासान युद्ध हुवा |जयपुर की और से भरतपुर का इतिहास प्रसिद्ध वीर सूरजमल जाट व शेखावतों ने भाग लिया |मुख्य सेनापति के रूप में युद्ध में राव शिव सिंह जी घायल हुए,आहत होने के बाद शिव सिंह जी जयपुर रहे घाव सुकने के बाद एकाएक व्याधि बढ गयी और वीर राव जी ने वि.सं. 1805 में इस असार संसार को त्याग दिया | शिव सिंह जी की इच्छा नुसार चाँद सिंह जी सीकर की गद्दी पर विराजे |राव शिव सिंह जी ने अपने पेत्रिक राज्य को मुसलमानों से फतेहपुर छीन कर विस्तृत कर दिया था |
झुंझुनू में भी कायम्खानी शासन की नीवं उखाड़ने में शिव सिंह जी ने शार्दुल सिंह जी की सहायता की |शार्दुल सिंह जी भोजराज जी का शेखावतों में वीर व भाग्य शाली पुरुस थे अपनी वीरता के कारण वे दुसरे शेखा जी कहलाते थे |शिव सिंह जी व शार्दुल सिंह जी परस्पर सहयोगी थे आपसी सहयोग से ही दौनों ने फतेहपुर व झुंझुनू से कायम्खानी नबाबियाँ का अंत कर वहाँ शेखावत राज्य की स्थापना की,जिस पर इनके वीर वन्सजों का जागीर समाप्ति तकपूर्ण अधिकार रहा |
अपने मुखिया की शक्ति बढाने में इन दोनों ही वीरों ने सवाई जय सिंह जी की भरपूर सैनिक सहायता की और अपनी इहलीला भी अपने पाटवी राज्य जयपुर के लिए ही कुर्बानी देकर ही की |


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