राजस्थान रो ख्यात साहित्य

Gyan Darpan
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साहित्यकार, इतिहासकार श्री सौभाग्यसिंह जी शेखावत की कलम से.....

राजस्थानी भासा रा पद्य री भांत गद्य भी घणौ सबळौ है। जूनै गद्य में ख्यातां, बातां, वचनिकावां, हकीकतां, विगतां, वंसावळियां पट्टावळियां, आद कई भांत रा गद्य रौ चलण पायौ जावै। अै सगळा गद्य री न्यारी-न्यारी विधावां या प्रकार कहीजै। आं प्रकारां में अठै ख्यात री ओळखाण माथै विचार करीजै। ख्यात रै पर्याय सबद रौ अर्थ इतिहास मानीजै। ख्यात नै इतिहास अर तवारीख कैवै। राजस्थान में ख्यात रौ चलण कद सू चालियौ ? औ तौ बतावणौ अबखौ काम है, पण पैली इतिहास गद्य री ठौड़ पद्य में लिखीजतौ। आ बात प्रमाण प्रगट है। पद्य नै याद राखणौ सोरौ नै सरल काम हो। इण वास्तै जूना इतिहास काव्य में लिखियौड़ा इज घणा मिलै। राजस्थान में भी ख्यातां रा गद्य सूं इतिहास रा पद्य ग्रंथ वत्ता मिळे। भलांई उणांनै इतिहास नांव नी दियौ है पण वां में घटनावां तो घणकरी इतिहास री इज है। जिण तरै कान्हड़दे प्रबंध जालौर रा सोनगिरां रौ, वंसभासकर चौहाण कोटा बूंदी रा धणियां रौ, रायसल जस सरोज सेखावतां रौ, सूरजप्रकास नै अनोपवंस वर्णन जोधपुर बीकानेर रा राठौड़ां रौ अर राणा रासी, राजप्रकास मेवाड़ रा सीसोदियां रौ ग्रंथ इतिहास इज है। इणां रा नांव भलांई प्रकास, विलास, रूपक, सरोज, सुधाकर, महार्णव, विनोद इत्याद चावै जो हुवौ। काव्य री वारनिस कुचर नै कल्पनावां रा रंगै रोगन नै उतारियां पछै लारै सारौ इतिहास इज इणां में बचियोड़ौ मिळै।

इणी रीत गद्य में भी ख्यात, पीढ़ी, वंसावळी, पट्टावळी आद सगळी रचनावां इतिहास-गद्य री गिणत में आवै। इणां में विस्तार में, सार फैलाव में, संकड़ाव में इतिहास बुखाणियौ गयौ है। ख्यात इतिहास में जून राजवंसां अर उण वंसा में बखणवा जोग पुरखा रा बखाणं लिखीजता। आपरा बंडेरां रा बखाण जोग बिड़दाद माथै कुण नी गरबीजै, कुण नी मोदीजै। सो अैड़ी ख्यातां रौ घणौ महत्व गिणीजियौ।

राजस्थान री ख्यातां रै बारा में इतिहासकार आ धारणा राखै कै पातसाह अकबर रा वखत में अबुलफजल सूं ‘अकबरे आईनी’ अर ‘अकबर नामौ’ लिखवायौ जद उण वखत रा राजस्थानी रजवाड़ां रा बडेरां रौ इतिहास भी लिखण री प्रथा ई चाली। पछै ख्यातां रौ लिखीजणों चालू हुवौ। इण बात में इतरौ तौ सार हैई कै अकबर इतिहास रौ प्रेमी हो। मुगलां रै दरबार री कई बातां राजस्थानी चलण में ई आई। पण इण कथण रौ कोई पकाऊ सबूत नीं मिलै। राजस्थान में जिकी ख्यातां मिलै उणा रौ समै बादसाह साहजहां रै समै रै औळी दौळी धूमतौ निजर आवै। राजस्थान रौ टणकैल ख्यातकार नैणसी मोहणोत, उदैभाण चांपावत, गुरां नारायणदास, तिलोकचंद आद लेखक इणी बखत में हुया। नैणसी री ख्यात तौ फगत राजस्थान री इज नी राजस्थान रा अड़ौसी पड़ौसी प्रदेस गुजरात, माळवा माथै भी पुरसळ प्रकास न्हांख नै जूनै इतिहास नै उजागर करै।

अै ख्यातां दोय प्रकार री गिणीजै । अेक तौ सलंग वर्णन जिकी में सिलसिलावार खांपां रौ वर्णन अर पीढ़ियां रा पुरखां रौ क्रमवार इतिहास हुवै। जियां दयाळदास सिंढायच री बीकानेर री ख्यात। इण में बीकानेर रा राठौड़ वंस रौ विगतवार वर्णन है। अठै दयाळदास री ख्यात रौ मेड़ता रा राव वीरमदे मेड़तिया रौ वर्णन देखीजै -

‘‘तद वीरमदेजी रायमल सेखावत कनै गया नै रायमल (सगा जाण) वरस अेक बडा हीड़ा किया। पछै वीरमदेजी उठै सूं सीखकर विदा हुवा सूं गांव बंवळी लिवी नै बणहटौ वरवाड़ौ लियौ नै अठै बसग्या।’’

इण तरै औ ऊपरलौ उदाहरण सलंग ख्यात रौ है। इणी’ज भांत नैणसी मोहणोत री ख्यात में न्यारी-न्यारी छूटक बातां है। नैणसी री ख्यात दूजी प्रकार री गिणती में आवै। सलंग ख्यातां में नैणसी री ख्यात रै सिवाय उदैभांण चांपावत री, भंडारियां री पोथी, राठौड़ां री ख्यात, कछवाहां राजावतां री ख्यात, पातलपौतां री ख्यात, वणसूर महादान री जोधपुर राज री ख्यात सिरै गिणीजण जैड़ी ख्यातां है। नैणसी री ख्यात में तौ ठौड़-ठौड़ साख नै प्रमाण रा दोहा, सोरठा, कवित छंदां रै अलावा ख्यात री घटनावां रा बताबावाळा नै लिखण वाळां रौ भी नांव-ठांव दियौ है। खींचीवाड़ा री बादसाही चढाई रा प्रसंग में लिखियौ है-‘अकबर पातसाह खींचीवाड़ा ऊपर कछवाहा मानसिंघ भगवंत दासोत नूं कंवर पदै फौज दै मेलियौ हुतौ। तद मानसिंघ खींची रायसल वेढ़ हुई। मानसिंघ वेढ़ जीती। रायसल वेढ़ हारी। राव प्रथीराज हरराजोत रायसल रौ चाकर राव देवीदास सूजावत रौ पोतरौ काम आयौ।’

नैणसी री ख्यात में गद्य री बड़ी कसावट नै खूबी आ है कै फालतू री लांबी बरणाव शैली नीं है। फीटौ-फिट बात चूड़ी उतार तरै ज्यूं नैणसी लिखी है। नैणसी पछै उदैभाण चांपावत रै संग्रह री ख्यात राठौड़ां रा इतिहास लेखै घणी माहिती देवण वाळी है। इण में राव सीहाजाी संू महाराजा जसवंतसिंघजी पैलड़ां तांई रौ इतिहास देयनै पछै राठौड़ां री समूची खांपां रौ ब्यौरावार बखाण दियौ है। इणमें खास-खास साखावां रा प्रधान पुरसां रौ उल्लेख जोग बखाण कियौ है।

गुरां नारायणदास री ख्यात अधूरी मिळी है। पण इणमें राठौड़ां री जोगावत खंगारोत खांप, करमसोतां नै बीका बीदावत बीकानेर रा धणियां रौ आछौ बरणन है। जोगावत, बाला, करमसोतां री खांपां रौ इण ख्यात में ठावौ इतिहास मिळे। अठै जोगावत खंगारोत राठौड़ खांप रा चन्दरभाण रा वर्णन इण भांत है-

‘चंदरमाण दुवारिकादासोत वडौ ठाकुर हुवौ। महाराजा जसवंतसिंघजी घणी मया करता। वडौ उमराव। पाटण रै सोबे वीरमगांव घणा दिन फोजदार रह्मा। पहिलां हजूर रह्मा तद गाढ़ेराव हाथी सूं मालौ औरंगाबाद रा डेरा वडौ पराक्रम कियौ। हाथी नाठौ तिण रौ गीत छै। पछै महाराजा सुरग पधारिया तद दिल्ली पातसाही फौजां औरंगसाही विदा किवी। सातौ चौकी। तद पहिलां अजीतसिंघजी नै मारवाड़ पहुंचाया। वडी बुद्धी किवी। पछै काम आया।’ कविराज बांकीदास आसिया री ख्यात तौ साव छोटा छोटा टिप्पण ज्यूं। अेक-अेक दो-दो ओळियां री छोटी छोटी जानकारी इण में दियोड़ी। अेक दो नमूना जोइजै- ‘‘लाडणंू डाहळियां रजपूत बसायौ। पछै, जोहिया मालक हुवा। जोहियां कनां मोहिलां, मोहिलां कनां सूं रावजी मालदेवजी लाडणंू ठिकाणौ लियौ।’’

‘‘मेड़तै चतुर्भुजजी रा मंदिर कनै मंदिरां रा कोट मांहै सोनगरौ सूरजमलजी पूजीजै है। चतुर्भुजजी रै भोग लागोड़ौ थाळ सूरजमलजी रै भोग लागै। पछै अै थाळ ठाकुरजी रा रसोवड़ा दाखळ हुवै।’’

इण भांत अै जूनी ख्याातां खाली राजा, जागीरां रा धणियांरा बिड़द बखाणं री बात नीं है परंतु देस-समाज में समय-समय माथै घटी घटणावां नै उणां घटनावां रौ प्रभाव परतख ख्यातां में मिळै। लोक समाज, मिनख, राज काज री विधां तरीका, मिनखां री माली हालत, काळ-दुकाळ, सदी-ब्याव, राज-दुराजी, लड़ाई-झगड़ा, कोट-कचेड़ी, गढ़ा परकोटां रा निरमाण, कूवा बावड़ियां खिणावण री विगत आद कितरी इज महताऊ जाणकारी ख्यातां में मिळै। राजस्थान रा मानखां री नै समाज री रीत-नीत रा घणा प्रसंग ख्यातां में गुंथीजियोड़ा मिळै। समाज रा साख-सीर, रिश्ता-नाता, खाण-पाण, रहवास, पैरवास, जात-पांत पांत पंच-पंचायत न्याव-थपाद रा सूत्र ख्यातां में घणा मिळै। भोजन में मुंजाई न्याव में बह झलाणौ, रहवास में कोट संवराणौ, जान सजाय नै जावणौ, तरवार या भाल रै साथ फेरा देयनै परणीजणौ, डोल आवणौ पींजस री सवारी, अै सगळी बातां इतिहास बण सकै है।

इण भांत ख्यात रौ महत्तव खाली राजा-रजवाड़ां रा इतिहास इज नीं है। आम समाज री बात भी बतावै। पुराणा समाज री, राज री, धरम री, व्यौहार री, व्यापार री, जीविका री, अर रहण रै तरीका अै सगळी ही बातां ख्यातां में मिळै। निखालिस इतिहास रै साथै अैतिहासिक भूगोल भी ख्यातां में पायी जावै। नैणसी री विगत जिकी मारवाड़ रा राजनैतिक इतिहास रै सागे-सागे मारवाड़ रा भौगोलिक अर आर्थिक जूना इतिहास री अजोड़ पोथी है। इतिहासकारां उणनै गजेटियर रौ नाम दियौ है।

यां ख्यातां नै लोग प्रमाणित मानै, इण खातर जूनी साख रा पद भी ठौड़-ठौड़ दिया जाता। कारण पैली गद्य री ठौड़ इतिहास कंठों पर चलण रै तांई पद्य में लिखीजतौ ही। पीढ़ियां रा दूहा, साख रा दूहा, सायदी रा दूहा, बखांण रा दूहा अै सगळा बतावै के छंदां में इतिहास बणाय नै याद राखियो जावतौ। अब आ परंपरा खतम सी व्हैगी है। बड़वा, बहीबंचां री पौथियां इज ख्यात रै नांव सूं लिखीजै है। आगै ख्यातां रौ लिखण बंद सौ इज हुय गयौ है।

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