वीर शिरोमणि महाराव शेखा : पुस्तक समीक्षा

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गोविन्दसिंह मुण्डियावास द्वारा लिखित और श्री क्षत्रिय राजा रायसल संस्थान, खंडेला व श्री राजपूत सभा दांता-रामगढ (सीकर) द्वारा प्रकाशित पुस्तक “वीर शिरोमणि महाराव शेखा” में पूर्व में प्रकाशित इतिहास- ग्रंथो के आधार पर शेखावत वंश व शेखावाटी राज्य प्रवर्तक राव शेखाजी के जीवन चरित्र व कुछ्वाह वंश के साथ शेखावत वंश और राज्यों, जागीरों की जानकारी संजोने का प्रशंसनीय कार्य किया है| जिसकी भूरी भूरी प्रशंसा इतिहासकार डा.हुकुमसिंह भाटी, रघुनाथसिंह जी कालीपहाड़ी के साथ ही राजस्थानी साहित्य संस्थान के विद्वान साहित्यकार डा.उदयवीर शर्मा ने भी अपने संदेशों में की है|

पुस्तक में क्षत्रियों के ३६ राजवंशों की सूची के साथ कछवाह वंश के राजपूतों की प्रमुख शाखाओं का जानकारीपरक वर्णन व सूर्यवंश के राजा विवस्वान से लेकर शेखावाटी व शेखावत वंश के प्रवर्तक राव शेखाजी व उनके उनके बाद की कुछ पीढ़ियों की वंशावली दी गयी है| कछवाहों के राजस्थान प्रदेश में प्रवेश व आमेर पर कछवाह राज्य की स्थापना की संक्षिप्त जानकारी के बाद राव शेखाजी के जन्म, बाल्यकाल में ही राज्यारोहण, राज्य-विस्तार, अमरसर बसा अपनी राजधानी बनाना, पारिवारिक टिकाई राज्य आमेर के साथ विवाद, संघर्ष के बाद आमेर से स्वतंत्रता प्राप्ति, अफगानिस्तान से आये पन्नी पठानों के दल को सर्वधर्म-सदभाव और धर्म-निरपेक्षता का परिचय देते हुए अपने राज्य में बसाना और अपनी सेना में उनकी नियुक्ति कर अपनी ताकत बढ़ाना व शेखाजी के घाटवा युद्ध और उसमें विजय के उपरांत उनकी मृत्यु संबंधी ऐतिहासिक जानकारी का विस्तार से वर्णन किया है|

लेखक ने पुस्तक में शेखाजी की रानियों, पुत्रों व पुत्रों से उत्पन्न शेखावत वंश की शाखाओं व उपशाखाओं के वर्णन के साथ शेखावाटी में शेखावतों की विभिन्न जागीरों, ठिकानों व राज्यों की जानकारी व शेखावत द्वारा आबाद गांव और उनमें निवास करने वालों शेखावत वंश की शाखाओं के वर्गीकरण के आधार पर गावों की सूची लिखी गई है|
लेखक ने शेखावाटी में निवास करने वाले कछवाह वंश की शेखावत शाखा के अलावा अन्य शाखाओं की भी संक्षिप्त जानकारी के साथ जागीरदारी व्यवस्था पर प्रकाश डाला गया है|

कुलमिलाकर लेखक शेखावाटी की शासक जाति शेखावत राजपूतों का संक्षिप्त पर पूरा इतिहास अपनी पुस्तक में समेटने कर पाठकों के लिए सम्पूर्ण शेखावत वंश का इतिहास एक पुस्तक में उपलब्ध कराने में कामयाब रहा है| राजस्थान के मूर्धन्य साहित्यकार, इतिहासकार डा. उदयवीर शर्मा के अनुसार यह पुस्तक- वीरवर वीर शिरोमणि महाराव शेखाजी का यह परिचय हमें गर्व और गौरव की अनुभूति करायेगा और नवयुवकों एवं शोधार्थियों के लिए प्रेरणादायी सिद्ध होगा|

लेखक परिचय :

शेखावाटी के ग्राम मुण्डियावास के ठा. श्री मोहनसिंह जी (रिसालदार) के घर जन्में कृषि कार्य करने वाले गोविन्दसिंह की बचपन से ही ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, शोधपरक अध्ययन और लेखन में रूचि रही है|
मरू भारती, संघ शक्ति, राजपूत एकता, कैवाय संदेश, ख्यात शोध पत्रिका, वरदा आदि अनेक पत्रिकाओं में अनेक शोध लेख प्रकाशित होने के साथ ही लेखक की अब तक दो पुस्तकें “वीर शिरोमणि महाराव शेखाजी” व “लाडाणी शेखावत” प्रकाशित हो चुकी है| साथ ही गिरधर जी का इतिहास, मेड़तिया राठौड़, रावजी के शेखावतों का गौरवमयी इतिहास, बाबा रामदेव, कछवाहों की कुलदेवी श्री जमुवाय माता, महेश्वरी वंश प्रकाश, चौहानों का इतिहास, सम्राट पृथ्वीराज चौहान व राजपूत वंशावली प्रकाशन के लिए इंतजार में तैयार है|

लेखक को २ जुलाई २००८ को खाटू श्यामजी में राजा रायसल जी की जयंती पर आयोजित समारोह में पूर्व राष्ट्रपति स्व.भैरोंसिंह जी शेखावत ने सम्मानित किया| १३ अगस्त २००८ को वीर दुर्गादास स्मृति समिति ने दुर्गादास की २७० वीं जयंती पर सम्मानित किया गया| १२ अप्रेल २००९ को महाराव शेखाजी पुस्तक के लिए राजा रायसल संस्थान व राजपूत सभा दांतारामगढ़ द्वारा आयोजित समारोह में जोधपुर विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति डा. लोकेश शेखावत ने सम्मानित किया और पूर्व उद्योग मंत्री श्री नरपत सिंह जी राजवी और विधायक प्रतापसिंह खाचरियावास के हाथों भी लेखक सम्मानित हो चुके है|

लेखक से इतिहास की पुस्तकें उनके फोन न. 099 50 794617 पर सम्पर्क कर रियायती दर पर डाक द्वारा मंगवाई जा सकती है|


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