वीर क्षत्राणी पन्ना मेवाडी़ सिहंनी

Gyan Darpan
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बलीदान हाेने वालाे की,
अमर ज्याेत जलती है ।
पुरे विश्व में एेसी मिसाल,
कहीं नहीं मिलती है ।।

वतन पर मर कर जिन्दगी,
युं देखाे फक्र करती हैं ।
दुनिया पन्ना ओर बेटे का,
तभी ताे जिक्र करती हैं ।।

ना पुत्र बली पर आंसु बहाया,
ऐसा उद्दाहरण कहीं नहीं पाया।
राजवंश का अन्स बचाया,
उच्चकाेटि का फर्ज निभाया ।।

यह सबसे ऊंचा मर्ज रहेगा,
इतिहास में नाम दर्ज रहेगा ।
जब तक सुरज चांद रहेगा,
इस धरा पे तेरा कर्ज रहेगा ।।

देश के लिए न्याेछावर करना,
ऐसे पुत्र पर सभी गर्व करना ।
इस वतन की खातीर वार देना,
यु बालपन में अमर कर देना ।।

तुने मां जगदम्बे का रूप पाया,
केसरिया रंग गगन में छाया ।
जगत जननी का मान बढा़या,
ऐसा चरम साहस दिखाया ।।

ये पन्ना धाय नहीं सिंहनी है,
ये आज भी जिन्दा शेरनी है ।
मेवाडी़ सुरज बुझ नहीं पाया,
बब्बर शेरनी दिल तुने पाया ।।

अमर हाे गयी कैसी मुक्ति,
ओ पन्ना तेरी देश भक्ति ।
नारी हाे गयी ऐसी शक्ति,
देख तेरी ये स्वामी भक्ति ।।

यूँ कर्त्तव्य से ना पीछे हटना,
चाहे चढा़ना पड़े पुत्र अपना ।
सर्वोच्य सेवा देश की करना,
सभी मां पन्ना पे गर्व करना ।।

बनवीर जैसे बने कसाई,
गद्दाराे से ना डरना भाई ।
एक लाल नहीं लाखाे वार दूं,
काट काट कर सिर चढा़ दूं ।

अपना देश धर्म है सबसे ऊचां,
आसमान में तेरा नाम गुजां ।
पन्ना ताे बन गयी हीरा माेती,
जय हाे अमर जवान ज्याेति ।।

विश्वास देकर विष दे देते,
राज देकर बनवास दे देते ।
भारत माता जय हाे तेरी,
युं क्याें परिक्षा लेते मेरी ।।

देश के दुश्मनाे काे जान लाे,
ओर गद्दाराे काे पहचान लाे ।
"महेन्द्र जाखली "कहता भाई,
क्याें युं लड़ते हाे भाई भाई।।

वीरक्षत्राणी पन्ना मेवाडी़ सिहंनी काे बारम्बार प्रणाम करता हूँ|
कवि महेन्द्र सिंह राठौड़ "जाखली"

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