आधुनिक शिक्षा के साथ जरुरी है भारतीय संस्कार

Gyan Darpan
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अंग्रेजों द्वारा भारतीय शिक्षा पद्धति और प्रणाली नष्ट करने के बाद भारत में एक समय ऐसा भी आया जब भारत में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग अनपढ़ थे. हमारी अधिकांश जनसँख्या अशिक्षा के घोर अंधकार में डूबी थी. और तब अंग्रेजों ने भारत में मैकाले शिक्षा पद्धति से हमें मात्र लिपिक बनाने वाली शिक्षा देना शुरू करने के लिए विद्यालय खोलने शुरू किये. अशिक्षा से डूबे हमारे समाज को तब आशा की किरण दिखाई दी और हमारा समाज मैकाले की शिक्षा पद्धति से शिक्षित होकर अपने आपको धन्य समझना लगा.

आज अंग्रेजों द्वारा थोपी गई उसी मैकाले शिक्षा पद्धति से हमारे देश की 90 प्रतिशत जनसँख्या शिक्षित है. लेकिन उसके बावजूद क्या हमारा समाज आज भी उतना उन्नत है जब हम अशिक्षा के अंधकार में डूबे हुए थे? जबाब मिलेगा नहीं. क्योंकि जब हम अशिक्षा के अंधकार में डूबे हुए थे तब हमारा समाज आज से ज्यादा उन्नत था. इस तरह से हम कह सकते है कि कभी हम अशिक्षा के अंधकार में डूबे थे, आज शिक्षा के अंधकार में अन्धकार में डूबे है. क्योंकि आज की आधुनिक तथाकथित शिक्षा व्यक्ति को स्वार्थी बनाती है. आज का पढ़ा लिखा इंसान सिर्फ अपने बीबी बच्चों तक सीमित है उसे समाज के पिछड़े वर्गों से कोई लेना देना नहीं होता. यही नहीं आधुनिक शिक्षित व्यक्ति को बेवकूफ भी बहुत जल्द बनाया जा सकता है. महान चिंतक देवीसिंह,महार के अनुसार – वर्तमान में बहुराष्ट्रीय कम्पनियां आधुनिक शिक्षा पर पानी की तरह पैसा बहा रही है क्योंकि वे जानती है कि आधुनिक शिक्षा व्यक्ति को स्वार्थी बनाती है और स्वार्थी व्यक्ति को थोड़ा सा लालच दिखावो वो तुरंत बेवकूफ बन जायेगा और इस तरह बहुराष्ट्रीय कम्पनियां आधुनिक शिक्षा का प्रचार प्रसार कर लोगों को स्वार्थी बना लूटती है.

यही नहीं आधुनिक शिक्षा का सबसे ज्यादा असर आत्मीयता और संस्कारों पर पड़ा है. आधुनिक शिक्षित व्यक्ति भारतीय संस्कृति और संस्कारों को पिछड़ेपन की निशानी मान निरंतर छोड़ता आ रहा है. इसी का परिणाम है कि देश में आज अपराध और व्याभिचार बढ़ रहा है, परिवार टूट रहे है, माता-पिता द्वारा अपनी संतानों को पाल पोष कर शिक्षित करने के बाद संताने उन्हें वृद्धावस्था में छोड़कर उनकी बुढापे की लाठी नहीं बनना चाहती. इतनी खामियां होने के बावजूद मेरा कहना यह कतई नहीं है कि इस आधुनिक शिक्षा को छोड़ दिया जाय. वर्तमान युग में आगे बढ़ने के लिए आधुनिक शिक्षा आवश्यक है लेकिन इसे भारतीय संस्कृति व विज्ञान के अनुरूप बदलने की परम आवश्यकता है. शिक्षा प्रणाली ऐसी हो जिसमें आधुनिक विज्ञान का ज्ञान मिले साथ ही साथ बच्चों में संस्कार निर्माण हो, अपनत्व के भाव का विकास हो, ताकि अपराध, व्याभिचार, आर्थिक घोटालों पर अंकुश लगे.
मेरा मानना है किसी भी देश से बेईमानी, भ्रष्टाचार, अनैतिकता, अपराध आदि नागरिकों को संस्कारयुक्त शिक्षा देकर ही दूर किये जा सकते है.

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