RTI आपका ब्रह्मास्त्र

Gyan Darpan
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भ्रष्टाचार, सरकारी कर्मचारियों द्वारा काम में लापरवाही, घटिया सार्वजनिक निर्माण, योजनाओं का समय पर पूरा ना होना आदि कोई भी समस्या हो, हम सरकार व लोगों को कोस कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते है। समस्याएँ अपनी जगह वैसे से खड़ी रहती है, जैसे पहले थी। लेकिन क्या कभी हमनें मन में सोचा है कि इन समस्याओं को खत्म करने या कम करने में हमारा भी कोई कर्तव्य है। शायद नहीं सोचा होगा। जैसा कि क्षत्रिय चिंतक देवीसिंह, महार अपने भाषण में अक्सर कहते है कि "वर्तमान आधुनिक शिक्षित लोगों को अपने अधिकार तो याद है पर कर्तव्य नहीं।" ठीक इसी तरह हम अपने अधिकारों के प्रति तो सजग है, उन्हें पाने के लिए लालायित रहते है, पर अपने कर्तव्य की और ध्यान नहीं देते।

केंद्र व राज्य सरकारें जनहित में विभिन्न योजनाएं चलाती है। पर सरकारी दफ्तरों में अधिकारीयों व बाबुओं की निष्क्रियता, लापरवाही, कामचोरी के चलते इनमें से बहुत सी योजनाएं फाइलों में दबकर पड़ी रह जाती है, या फिर अधिकारी व कर्मचारी मिलीभगत कर कागजों में उन योजनाओं को पूरी कर बजट डकार जाते है। कई जनहित के कार्यों के ठेकों में भ्रष्ट नेता, अधिकारी, ठेकेदार मिलकर जमकर सरकारी माल उड़ाते है और जनता को पता तक नहीं चलता।

हमारे अपने सरकारी काम भी बिना रिश्वत दिए या फिर सरकारी दफ्तरों के कई चक्कर लगाने के बावजूद समय पर पुरे नहीं होते। जबकि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में हम देश के नागरिक लोक है और एक सरकारी बाबू, अफसर, मंत्री, प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक लोकसेवक है। जो हमारे दिए कर से वेतन प्राप्त कर सेवा कार्य करने के लिए मनोनीत या निर्वाचित किये गए होते है। जिनका कर्तव्य अपने स्वामी लोक यानी जनता के लिए काम करना होता है। लेकिन हो उल्टा रहा है। लोकसेवक अपने स्वामी लोक (जनता) से शासक की तरह पेश आते है और समझते है कि सरकारी कुर्सी मिलते ही वे अंग्रेजों की तरह हाकिम बन गए है, और जनता उनकी गुलाम। ज्यादातर अधिकारी, मंत्री, नेता जनता के साथ इसी तरह का व्यवहार करते है।


पर ऐसा नहीं है। आप लोकसेवकों के स्वामी है और लोकसेवकों द्वारा किये जाने वाले किसी भी कार्य का सूचना का अधिकार कानून Right to Infomartion Act 2005 के तहत निरिक्षण कर सकते है। जागरूक नागरिक 2005 में संसद द्वारा पारित इस कानून द्वारा मिले अधिकार का इस्तेमाल करते हुए किसी भी सरकारी योजना की जानकारी हासिल करते है। योजनाओं से जुड़े दस्तावेजों व पत्रावलियों का समय समय पर निरीक्षण कर, उन पर नजर रख भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा देश व समाज हित में अपना योगदान दे सकते है।

आपका अपना कोई काम किसी दफ्तर का बाबू या अधिकारी रोक कर बैठा है तो आप सूचना के अधिकार RTI द्वारा उससे संबंधित कार्य के लिए जबाब तलब कर सकते है, कार्य की प्रगति के बारे में जान सकते है। सूचना के अधिकार से जबाब मांगते ही बाबू अपने आप आपकी फाइल आगे बढ़ाना शुरू कर देगा, अधिकारी आपकी फाइल कभी भी दबा कर नहीं बैठेगा। लेकिन इसके लिए आवश्यकता है आप अपने इस अधिकार का इस्तेमाल करें।

उपयोग का तरीका
किसी भी सरकारी कार्यालय से किसी भी तरह की सूचना (सुरक्षा से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों व सूचनाओं को छोड़कर) पाने के लिए संबंधित विभाग के लोक सूचना अधिकारी को पत्र भेजें। पत्र के साथ बतौर फीस दस रूपये (कई राज्यों में फीस अलग भी हो सकती है) का पोस्टल आर्डर Postal Order भेजें। यदि आवेदन डाक से भेजने की जगह सीधे विभाग में दे रहे है तो फीस नकद भी जमा करवाई जा सकती है। सूचना या दस्तावेजों की छायाप्रतियाँ पाने के लिए विभाग द्वारा 2 रूपये प्रति फीस ली जाती है। किसी भी विभाग द्वारा 30 दिन के भीतर सूचना नहीं देने पर आप उसी विभाग के प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपील कर सकते है। अपीलीय अधिकारी द्वारा भी सूचना मुहैया कराने में नाकाम रहने के बाद आप सूचना आयोग में अपील कर सकते है। सूचना आयोग आपको सूचना उपलब्ध करवाने के साथ संबंधित अधिकारी पर जुर्माना भी लगाता है। इस अधिनियम के अनुसार सूचना पाने हेतु किसी तरह का कोई प्रारूप तय नहीं है। आवेदक अपनी भाषा में लिखकर सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांग सकता है।

आप भी जहाँ रहते है उस राज्य को अभिनव बनाने के लिए, अपने आस-पास विकास की गंगा बहाने के लिए, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए, सरकारी काम में पारदर्शिता लाने के लिए, अपने मन में यह अहसास करने के लिए कि इस लोकतंत्र में चपरासी से लेकर राष्ट्रपति तक लोक सेवक है, और मैं इस लोकतंत्र का लोक हूँ और मैं लोक सेवकों मतलब अपने नौकरों पर इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इनके कार्य पर निगरानी रख रहा हूँ, के लिए सूचना के अधिकार के तहत विभिन्न सरकारी विभागों से सूचनाएं मांगे। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ आपके सक्रीय होते ही आपके क्षेत्र में भ्रष्टाचार की दर में कमी आनी शुरू हो जायेगी।

तो आईये और हम अपने इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत को विकसित भारत, भ्रष्टाचार मुक्त भारत, अभिनव भारत बनाने के अपने कर्तव्य पालन की दिशा में कदम बढायें।

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2टिप्पणियाँ

  1. सूचना के अधिकार के महत्व और उपयोगिता का सुन्दर और सारगर्भित लेख है। बधाई और धन्यवाद।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (08-06-2015) को चर्चा मंच के 2000वें अंक "बरफ मलाई - मैग्‍गी नूडल से डर गया क्‍या" (चर्चा अंक-2000) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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