कल कई दिनों बाद खेतों में जाने का समय मिला| खेतों में जाने का एक फायदा यह भी है कि अपने खेत के रास्ते में पड़ने वाले खेतों के किसानों से भी मुलाक़ात हो जाती है| और चर्चा के दौरान ही उनसे भी बहुत कुछ सीखने को भी मिल जाता है आखिर उनके पास अनुभव जो ठहरा|
कल अपने खेत से वापस आते समय रास्ते में चौ.रामलालजी मिल गए, उनका दूर से चेहरा देखने से ही पता चल रहा था कि वे आज किसी बात से भन्नाये हुए है| औपचारिक अभिवादन के बाद हमने पूछ ही लिया कि- “रामलाल जी आज ये गुस्सा किस पर ?
वे बोले- “अब गुस्सा नहीं करें तो क्या करें? आप जानते नहीं? जबसे डीजल महंगा हुआ है ट्रेक्टर खड़ा ही है| कहीं जुताई पर भेजें तो डीजल का खर्च भी नहीं निकलता| अपने खेत में भी कोई कार्य करें तो अब डीजल खरीदना भी जेब के बस का नहीं रहा| ऊपर से सुना है सरकार सब्सिडी खत्म करने के नाम पर यूरिया व अन्य खाद आदि भी महंगा करने के चक्कर में है|
हमने कहा- रामलाल जी सिर्फ डीजल,खाद ही क्यों इस सरकार ने तो रसोई गैस भी महंगी कर दी| साथ ही गैस सिलेंडरों की संख्या कम कर दी|
रामलाल जी बोले- गैस महंगी करने से तो जी कोई फर्क नहीं पड़ेगा| खेत में बहुत लकड़ी होती है उससे काम चला लेंगे पर डीजल खाद …भाईजी ये सरकार तो किसानों के लिए कसाई बन गयी है इनका बस चले तो किसानों की चमड़ी भी उधेड़ ले|
हमने कहा- रामलाल जी! आप तो शुरू से ही जानते है इस दल की सरकार हमेशा महंगाई बढ़ाती है, जमाखोरी कर माल बाजार में महंगा बिकवाती है, किसानों को समय पर बिजली नहीं देती, किसान विरोधी नीतियां बनाती है फिर भी इनकी सरकार तो आपने ही वोट देकर बनवाई थी| आपको याद है चुनावों में हमने आपको चेताया भी था कि इस दल को वोट मत दो, पर आपने तो यह कहते हुए इस दल को वोट दिया कि इस पार्टी ने हमारी जात वाले को खड़ा किया है और ये हार गया तो हमारी जात की बदनामी होगी|
रामलालजी बोले- वो तो है भाई जी! पर हमारी भी मज़बूरी थी अब देखिये न कि विपक्षी दल ने हमारी जाति के उम्मीदवार को टिकट देने के बजाय उस ठाकुर को टिकट दे दी| जिनके पूर्वजों के बारे में सुना है कि उन्होंने हमारी जात वालों का शोषण किया था? फिर इस दल ने हमारी जात वाले को टिकट दी जीतने के बाद उसे मंत्री पद भी दिया| और हमारी जात वाले उस मंत्री ने हमें आरक्षण दिलवाने और हमारे खेतों में नहर लाने का वादा भी कर रखा है| साथ ही हम अपनी जात वाले के खिलाफ कैसे जा सकते थे? क्योंकि हमारी जात में तो ये कहावत प्रचलित है कि “वोट और बेटी अपनी जात वाले को ही|”
हमने कहा- फिर काहे महंगाई के लिए इस बेचारी सरकार को कोस रहे है? इसने तो अपना चरित्र आजतक किसी के सामने छुपाया ही नहीं कि वो ईमानदार है, जन-हितेषी है| फिर भी आप कह रहे है कि आपने उसको वोट दिया और उसकी सरकार बनवाई पर आपने तो दरअसल उसको वोट दिया ही नहीं जो आपका वो ख्याल रखे| आपने तो अपना वोट चुनावों में अपनी जात की साख बचाने के लिए दिया था जो आपने बचा ली| और आपकी जात वाले जिस व्यक्ति ने आपके वोट लेकर जीतने का वादा कर टिकट ली थी और जीतकर सरकार बनाने में उस दल की मदद की उसके बदले उस दल ने उसे मंत्री बना दिया तो वह दल कहाँ गलत है? उस दल ने तो कोई वादा खिलाफी भी नहीं की|
रही बात आपके जात वाले मंत्री के वादे की तो जब से वह राजनीति में आया है तब से आपको उसने आपके इलाके शेखावाटी में नहर बनवाने के नाम पर खूब सब्ज बाग दिखा आपके वोट ठगे है और आजतक सत्ता का स्वाद ले रहा है| अब आप ना समझे तो वह क्या करें ?
और ये नेता जी ही क्यों? जब से एक बाहरी नेताजी को, जिनकी अपने इलाके में दाल नहीं गली, पता चला कि आप नहर जैसी लोकप्रिय मांग व जाति के नाम पर वोट देते है, वे भी आपके इलाके में आपकी जातिय व नहर के प्रति भावनाओं का दोहन कर संसद में पहुंचने का सपना ले कर आ धमके है और आपकी भावनाओं को भुनाने के लिए ताल ठोक रहे है|
हमारी इतनी कड़वी व खरी बातें सुनकर रामलालजी ताड़ गए कि- इनके आगे ज्यादा देर खड़े रहे तो पता नहीं कितनी कड़वी व खरी बातें और सुननी पड़ेगी| सो रामलालजी भैंस को चारा डालने का बहाना बना खिसक लिए|
और हम ये सोचते हुए अपने घर की और चल पड़े कि- जब तक रामलालजी जैसे व्यक्ति जातिय व धार्मिक भावनाओं में बहकर राजनैतिक दलों को वोट देते रहेंगे तब तक राजनैतिक दल भी किसी काबिल व ईमानदार को चुनाव में खड़ाकर कैसे जीता पायेंगे| जबकि हर राजनैतिक दल का पहला निशाना चुनाव जीतना रहता है और इस देश में चुनाव जीतने के लिए राजनैतिक दलों को भी धार्मिक, जातिय, क्षेत्रीय मुद्दों पर पहले गौर करना पड़ता है| इसीलिए हर राजनैतिक दल किसी धर्म, सम्प्रदाय या जाति का तुष्टिकरण करने में लगा रहता है| आखिर वोट न तो विकास के नाम पर मिलते, न सुशासन के नाम पर मिलते| मिलते है तो सिर्फ इन्हीं जातिय व धार्मिक भावनाओं के आधार पर|
फिर राजनैतिक दलों पर ही दोष क्यों? और क्यों किसी सरकार से विकास और सुशासन की उम्मीद ?
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सामाजिक वोटिंग और आर्थिक आस..स्पष्ट विश्लेषण किया है विषय का।
bahut sahi kaha aapne राजनैतिक दलों पर ही दोष क्यों? और क्यों किसी सरकार से विकास और सुशासन की उम्मीद ?
बिल्कुल ठीक फरमा रहे हैं
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केवल जातिगत आधार को ही नहीं, पार्टियों के दोहरे आचरण को भी निरस्त किया जाना चहिए।
ye bat to tay h ki aj k yug me bhi vikas nahi samaj or darm hi havi h mansikta par
ye bat to tay h ki aj k yug me bhi vikas nahi samaj or darm hi havi h mansikta par
कांग्रेस में तो जाट शुरू से ही थे लेकिन अब जाट बीजेपी में भी चौधर जमा रहे हैं. राजस्थान के लिए इस जाती का वर्चस्व खतरा बन चूका है. विजय पूनिया हो या रामसिंह कस्वां राजपूत उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाए क्योंकि वो उन्हीं की पार्टी में थे. अब जाटों को बीजेपी से जूते मारकर बहर कर देना चाहिए.