Tapkeshwar Mahadev Mandir Dham राजस्थान की अरावली पर्वतमाला की सुरम्य घाटियों में स्थित है| यह स्थान शेखावाटी आँचल के सीकर जिले के नीमकाथाना तहसील मुख्यालय से लगभग 27 किलोमीटर दूर है| यहाँ एक गुफा में शिव लिंग स्थापित है| वर्षा ऋतू में गुफा की सभी चट्टानों से देहरादून की सहस्त्र धारा की पानी टपकता है, जिससे शिव लिंग का अभिषेक होता रहता है| चट्टानों से पानी टपकने के कारण ही इस स्थान का नाम टपकेश्वर महादेव Tapkeshwar Mahadev पड़ा|
गुफा के बाहर पास ही बाबा योगेन्द्रनाथ रहते है, उनके रहने के लिए एक कमरा व एक चारदीवारी वाला बड़ा सा आँगन बना है, आँगन के मुख्यद्वार पर बड़ा और सुन्दर द्वार बना है| द्वार के सामने एक छतरी भी बनी है| गुफा तक पहुँचने के लिए पक्की सीढियां बनी है| गुफा तक श्रृद्धालुओं व बाबा के पीने की पानी की सुविधा के लिए ट्यूबवेल से पानी की व्यवस्था की गई है| श्रृद्धालुओं की सुविधा के लिए पहाड़ी की तलहटी में जहाँ से गुफा का मार्ग शुरू होता है, वहां दो दुकाने बनी है, जहाँ चाय पानी व प्रसाद आदि खरीदने व सुस्ताने की सुविधा उपलब्ध है|
Tapkeshwar Mahadev की तलहटी में एक बरसाती नाला है| इसी नाले में एक गुलर का पेड़ है, जिसकी जड़ों से बारह मास पानी निकलता रहता है| गुलर की जड़ों से निकले पानी से बनी छोटी सी तलैया में वन्य जीव अपनी प्यास बुझाते है| बंदरों की यहाँ बहुतायत है| कभी कभार यहाँ बघेरा भी दिखाई दे जाता है, उसी के डर से शाम के बाद क्षेत्र के लोग बाहर नहीं निकलते| बघेरों द्वारा स्थानीय निवासियों के पालतू पशुओं के शिकार अक्सर अख़बारों की सुर्खियाँ बनती रहती है|
Tapkeshwar Mahadev अक्सर आने वाले एक भक्त बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि गुफा से कुछ दूर एक किले के अवशेष है, जो कभी अचलगढ़ के नाम से जाना जाता था और तोमर राजा अचलेश्वर इस किले पर राज करते थे| शास्त्री के अनुसार इस गुफा में स्थित Tapkeshwar Mahadev के ज्योतिर्लिंग की सबसे पहले पूजा अर्चना राजा अचल ने ही की थी| राजा अचल देवी के भक्त भी थे, गुफा से कुछ दूर देवी का मंदिर भी बना है| बाद में किसी समय मुस्लिम आक्रमण के समय देवी की प्रतिमा को तोड़ा गया और किले को भी ध्वस्त कर दिया गया| आज सिर्फ किले के अवशेष नजर आते है|
यदि आप इस मनोरम जगह घूमने व Tapkeshwar Mahadev के दर्शन करने की इच्छा रखते है तो नीमकाथाना से यहाँ सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है| नीमकाथाना बस व रेल यातायात से जुड़ा है| नीमकाथाना से टेक्सी या ऑटो से यहाँ पहुंचा जा सकता है| यहाँ तक आने के लिए 27 किलोमीटर लम्बा रास्ता भी अरावली पर्वतमाला के प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है| कुल मिलाकर घुमक्कड़ों व धार्मिक आस्था वाले लोगों के लिए यह एक शानदार जगह है|