राजस्थान के इतिहास और साहित्य में जिस तरह अनगिनत वीरों की वीरता की कहानियां बिखरी पड़ी है ठीक वैसे ही अनगिनत प्रेम कहानियां भी साहित्य व इतिहास के अलावा कवियों की कविताओं, दोहों के साथ जन मानस द्वारा गाये जाने लोक गीतों व कहानियों में अमर है| इन प्रेम कहानियों में ढोला-मारू, मूमल-महिंद्रा, रामू-चनणा, बाघा-भारमली, […]
सिंध के नबाब के दो बेटियां थी| मुमना और बूबना| मुमना सीधी सादी और गृह कार्य में उलझी रहे| बूबना तेज व चंचल, रूप के साथ गुणों का भी खान|सब तरफ उसके रूप और गुणों के चर्चे| नबाब को दोनों बेटियों की शादी की चिंता| पर नबाब चाहता था कि बूबना की शादी उसके माफिक […]
गुजरात का बादशाह महमूद शाह अपने अहमदाबाद के किले में मारवाड़ से आई जवाहर पातुर की बेटी कंवल को समझा रहा था , ” मेरी बात मान ले,मेरी रखैल बन जा | मैं तुझे दो लाख रूपये सालाना की जागीर दे दूंगा और तेरे सामने पड़े ये हीरे-जवाहरात भी तेरे | जिद मत कर मेरा […]
राजस्थान की लोक कथाओं में बहुत सी प्रेम कथाएँ प्रचलित है पर इन सबमे ढोला मारू Dhola Maru प्रेम गाथा विशेष लोकप्रिय रही है| इस गाथा की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आठवीं सदी की इस घटना का नायक ढोला राजस्थान में आज भी एक-प्रेमी नायक के रूप में […]
भाग से-1 आगे …. अपने हिस्से की घोड़ियाँ भीमजी को दे बिलोच युवक ने अपने घोड़े को एड लगाईं और हवा से बाते करना लगा | भीमजी ने अपने साथियों को समझाया तुमने उस युवक से झगड़ा कर ठीक नहीं किया तुम्हारे झगड़े के चलते हमने एक बहादुर दोस्त खो दिया | अब तुम घोड़ियाँ […]
बीस पच्चीस झोंपड़ियों वाले एक छोटे गांव का बूढ़ा बिलोच सरदार कांगड़ा खाट पर पड़ा मौत से जूझ रहा था पर उसकी सांसे निकलते निकलते अटक रही थी उसे एक छटपटाहट ने बैचेन कर रखा था,शिकारपुर के पठान सरदार कांगड़ा की घोड़ियाँ लुट ले गए थे और वह उन्हें न तो वापस ला पाया था […]
मूमल से वापस आकर मिलने का वायदा कर महिन्द्रा अमरकोट के लिए रवाना तो हो गया पर पूरे रास्ते उसे मूमल के अलावा कुछ और दिखाई ही नहीं दे रहा था वह तो सिर्फ यही गुनगुनाता चला जा रहा था –म्हारी माढेची ए मूमल , हाले नी अमराणे देस |” मेरी मांढ देश की मूमल, […]
गुजरात का हमीर जाडेजा अपनी ससुराल अमरकोट (सिंध) आया हुआ था | उसका विवाह अमरकोट के राणा वीसलदे सोढा की पुत्री से हुआ था | राणा वीसलदे का पुत्र महिंद्रा व हमीर हमउम्र थे इसलिए दोनों में खूब जमती थी साथ खेलते,खाते,पीते,शिकार करते और मौज करते | एक दिन दोनों शिकार करते समय एक हिरण […]
ज्ञान दर्पण पर आपने ” मित्र के विरह में कवि और विरह के दोहे” में पढ़ा कि अपने मित्र बाघजी राठौड़ की मौत का दुःख कविराज आसाजी बारहट सहन नहीं कर सके और वे उनके विरह में एक पागल की से हो गए वे जिधर भी देखते उन्हें बाघजी की सूरत ही नजर आती और […]
ज्ञान दर्पण पर “इतिहास की एक चर्चित दासी भारमली” के बारे पढ़ते हुए आपने पढ़ा कि जैसलमेर के रावत लूणकरणजी की रानी राठौड़ीजी ने भारमली को जैसलमेर से ले जाने के लिए अपने भाई कोटड़ा के स्वामी बाघ जी को बुलवा भेजा था | बहन के कहने पर बाघजी भारमली को चुपके से उठाकर अपने […]