Raja Hanuwant Singh Bisen of Kalakankar

Raja Hanuwant Singh Bisen of Kalakankar Freedom fighter अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजाद कराने में कालाकांकर रियासत का भी अपना एक इतिहास है। […]
Raja Hanuwant Singh Bisen of Kalakankar Freedom fighter अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजाद कराने में कालाकांकर रियासत का भी अपना एक इतिहास है। […]
उस दिन जोधपुर का मेहरानगढ़ किला खाली करके अंग्रेजों को सुपुर्द करने का कार्य चल रहा था। किले के बाहर कर्नल सदरलैण्ड और कप्तान लुडलो अपने पांच-सात सौ सैनिकों के साथ किले पर अधिकार के लिए किला खाली होने का इंतजार कर रहे थ। किले के किलेदार रायपुर ठिकाने के ठाकुर माधोसिंह किला खाली करने […]
अगस्त 1942 के एक दिन अहमदाबाद में चारों ओर अग्रेजों भारत छोड़ो के नारे लग रहे थे, नन्हें मुन्नें बालक भी ट्राफिक सिग्नल की ओर पत्थर फैंक रहे थे| तभी वहां आईबारा नाम के एक पुलिस निरीक्षक के नेतृत्व में पुलिस आई और सीधे भीड़ पर गोली चला दी| पुलिस गोली से साईकिल सवार एक […]
सीकर जिले के पटोदा गांव के भूरसिंह शेखावत अति साहसी व तेज मिजाज रोबीले व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे उनके रोबीले व्यक्तित्व को देखकर अंग्रेजों ने भारतीय सेना की आउट आर्म्स राइफल्स में उन्हें सीधे सूबेदार के पद पर भर्ती कर लिया था| भूरसिंह शेखावत जो शेखावाटी में भूरजी के नाम से जाने जाते है […]
अंग्रेजों और उनसे संरक्षित राज्यों के राज्याधिकारों एवं उनका अनुसरण करने वाले गुलाम मनोवृति के बुद्धिजीवियों ने बलजी-भूरजी को डाकुओं की संज्ञा दी है जैसा जैसा कि पहले डूंगजी-जवाहरजी जैसे राष्ट्रीय वीरों के लिये किया जा चुका है किन्तु बलजी और भूरजी के चरित्र का यदि सही और निष्पक्ष रूप से अंकन किया जावे तो […]
Rawat Jodhsingh Chauhan, Thikana Kothariya Mewar राजपुताना के राजाओं को मराठों व पिंडारियों की लूटपाट, आगजनी व आम जनता पर उनकी क्रूरता से त्रस्त शांति की आस में अंग्रेजों से संधियाँ करनी पड़ी| इस तरह मराठों व पिंडारियों के कुकृत्यों ने राजपुताना में स्वत: ही अंग्रेजों को पांव ज़माने का सुनहरा अवसर दे दिया| राजाओं […]
14 अगस्त 1857 का दिन, मेवाड़ आँचल के रुकमगढ़ के छापर में देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद कराने का जज्बा लिए प्रसिद्ध क्रांतिकारी तांत्या टोपे Tantya Tope के मुट्ठीभर सैनिक जनरल राबर्ट्स की अंग्रेज सेना से युद्ध में जूझ रहे थे| उनके पास गोला-बारूद की भारी कमी थी| पास ही स्थित कोठारिया ठिकाने […]
वि सं. 1908 के किसी एक दिन मेहरानगढ़ (जोधपुर दुर्ग) में दरबार लगा था| जिसमें मारवाड़ के सभी सामंत, जागीरदार उपस्थित थे| उनमें गुलर ठिकाने के जागीरदार ठाकुर बिशनसिंह भी शामिल थे| कई अन्य दरबारियों व जागीरदारों से वार्ता के बाद मारवाड़ के तत्कालीन महाराजा तख़्तसिंह (1843-73) ठाकुर बिशनसिंह की ओर मुखातिब हुए और रुष्ट […]
सन 1803 में राजस्थान में जयपुर रियासत की ईस्ट इंडिया कम्पनी से मैत्रिक संधि व कुछ अन्य रियासतों द्वारा भी मराठों और पिंडारियों की लूट खसोट से तंग राजस्थान की रियासतों ने सन 1818ई में शांति की चाहत में अंग्रेजों से संधियां की| शेखावाटी के अर्ध-स्वतंत्र शासकों से भी अंग्रेजों ने जयपुर के माध्यम से […]
लेखक : सौभाग्यसिह शेखावत भारतीय स्वतन्त्रता के लिए संघर्षरत राजस्थानी योद्धाओं में शेखावाटी के सीकर संस्थान के बठोठ पाटोदा के ठाकुर डूंगरसिंह (Dungji), ठाकुर जवाहरसिंह शेखावत (Jawaharji), बीकानेर के ठठावते का ठाकुर हरिसिंह बीदावत, भोजोलाई का अन्नजी (आनन्दसिंह), ठाकुर सूरजमल ददरेवा, जोधपुर के खुशालसिंह चांपावत, ठाकुर बिशनसिंह मेड़तिया गूलर, ठाकुर शिवनाथसिंह प्रासोप, ठाकुर श्यामसिंह बाड़मेरा […]