8 जून के पंजाब केसरी के अंक में विशेष संपादकीय “चारण नहीं नेता बनो” में अश्विनी कुमार ने चारण शब्द का गलत इस्तेमाल किया| चारण समाज द्वारा इस विशेष संपादकीय में चारण शब्द के गलत इस्तेमाल पर रोष व्यक्त करने पर अश्विनी कुमार ने सफाई दी कि उन्होंने उनका चारण से मंतव्य चाटुकार व चापलूस […]
नरेश जयसिंह व जोधपुर के महाराजा अभय सिंह तीर्थ यात्रा पर पुष्कर पधारे थे, दोनों राजा पुष्कर मिले और अपना सामूहिक दरबार सजाया, दरबार में पुष्कर में उपस्थित दोनों के राज्यों के अलावा राजस्थान के अन्य राज्यों से तीर्थ यात्रा पर आये सामंतगण शामिल थे, दरबार में कई चारण कवि, ब्राह्मण आदि भी उपस्थित थे, […]
मारवाड़ राज्य के धुंधल गांव के एक सीरवी किसान के खेत में एक बालश्रमिक फसल में सिंचाई कर रहा था पर उस बालक से सिंचाई में प्रयुक्त हो रही रेत की कच्ची नाली टूटने से नाली के दोनों और फैला पानी रुक नहीं पाया तब किसान ने उस बाल श्रमिक पर क्रोधित होकर क्रूरता की […]
राजस्थान में राजपूत शासन काल में चारण जाति के एक से बढ़कर एक कवि हुए है,इन चारण कवियों व उनकी प्रतिभा को राजपूत राजाओं ने पूर्ण सम्मान व संरक्षण दिया | पर ज्यादातर लोग इन कवियों द्वारा राजाओं के शौर्य व उनकी शान में कविताएँ बनाने को उनकी चापलूसी मानते है पर ऐसा नहीं था […]
सर प्रतापसिंह जी जोधपुर के महाराजा तख़्तसिंह जी के छोटे पुत्र थे,वे जोधपुर के राजा तो नहीं बने पर जोधपुर राज्य में हुक्म,प्रतिष्ठा और रोबदाब में उनसे आगे कोई नहीं था | उनके जिन्दा रहते जोधपुर के जितने राजा हुए वे नाम मात्र ही थे असली राज्य सञ्चालन तो सर प्रताप ही करते थे थे […]
संवत १७४० के आसपास मेवाड़ के सूळवाड़ा नामक गांव में चारण जाति के कविया गोत्र में कवि करणीदान जी का जन्म हुआ वे राजस्थान की डिंगल भाषा के महाकवि तो थे ही साथ ही पिंगल,संस्कृत व ब्रज भाषा के भी विद्वान थे इन भाषाओँ में उन्होंने कई ग्रन्थ लिखे | उनके लिखे “सुजस प्रकास” व […]
मानव जीवन में जिन लोगों ने समाज और राष्ट्र की सेवा में अपना सर्वस्व समर्पित किया ऐसे बिरले पुरुषों का नाम ही इतिहास या लोगो के मन में अमर रहता है | सूरमाओं,सतियों,और संतो की भूमि राजस्थान में एक ऐसे ही क्रांतिकारी,त्यागी और विलक्षण पुरुष हुए कवि केसरी सिंह बारहट kesri Singh Barhat| जिनका जन्म […]
नीति सम्बन्धी राजस्थानी सौरठों में “राजिया रा सौरठा” सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है भाषा और भाव दोनों द्रष्टि से इनके समक्ष अन्य कोई दोहा संग्रह नही ठहरता | संबोधन काव्य के रूप में शायद यह पहली रचना है | इन सौरठों की रचना राजस्थान के प्रसिद्ध कवि कृपाराम जी ने अपने सेवक राजिया को संबोधित करते […]
अमरता शरीर से नही अच्छे कर्म से प्राप्त होती है आज कितने ही देश भक्त वीरों का नाम मातृभूमि के लिए बलिदान करने से अमर है कितने ही शासक, जननायक,वैज्ञानिक,साधू महात्मा और अच्छे इन्सान अपने अच्छे कार्यों के लिए जाने जाते है वे मर कर भी अमर है, लेकिन अमरता प्राप्त करने लिए जरुरी नही […]