उदयपुर (शेखावाटी) तहसील मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर खोह- गुड़ा ग्राम के पहाड़ो में मनसा माता Mansa mata पीठ स्थित है| मनसा देवी का मंदिर जीवन के तामझाम व कोलाहल से दूर प्रकृति माँ की गोद में “खोह“ से लगभग 5 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में गगन चुंबी पर्वत श्रंखलाओं की गोद में विराजमान […]
राजस्थान की जोधपुर जिले की बिलाड़ा तहसील में एक छोटा सा गांव है रावणियां | अब इस गांव का नाम गांव की प्रख्यात सुपुत्री बाला सती रूपकंवरजी के सम्मान में रूप नगर रख दिया गया | विभिन्न जातियों व समुदायियों के निवासियों वाला यह गांव कभी जोधपुर राज्य के अधीन खालसा गांव था | इसी […]
राजस्थान के लोक देवता ,सर्व धर्म समभाव व जन-जन की आस्था के प्रतीक रुणेचा के बाबा रामदेव पीर के अब श्रद्धालु ऑनलाइन दर्शन कर सकते है | रामदेव दर्शन नाम से बनी वेब साईट पर आप बाबा व मंदिर से सम्बंधित सभी जानकारी ले सकते है |ऑनलाइन दर्शन के लिए यहाँ चटका लगाएं |बाबा का […]
पाबू भाग १ का शेष ……………..कौन जनता था कि विवाह के ढोल-धमाकों में भी कर्तव्य की क्षीण पुकार कोई सुन सकता है | मादकता के सुध बुध खोने वाले प्यालों को होटों से लगाकर भी कोई मतवाला उन्हें फेंक सकता है , वरमाला के सुरम्य पुष्पों को भी सूंघने के पहले ही पैरों तले रोंद […]
भाद्रपद मास की बरसात सी झूमती हुई एक बारात जा रही थी | उसकी बारात जिसने विवाह पहले ही सूचना दे दी थी कि- ‘ मेरा सिर तो बिका हुआ है , विधवा बनना है तो विवाह करना !’ उसकी बारात जिसने प्रत्युतर दिया था – जिसके शरीर पर रहने वाला सिर उसका नहीं है […]
राजस्थान के लोक जीवन में लोक कलाकारों का बड़ा महत्व है लोककलाकार कटपुतली के खेल के रूप में जहाँ लोकगाथाओं का सजीव नाट्य रूपांतरण कर प्रस्तुत करते है वहीँ जोगी व भोपा लोगों द्वारा फड बांचने की परम्परा सदियों से चली आ रही है जिसमे भोपा लोग एक विशालकाय कपडे के परदे पर जिस पर […]
मंडोर जोधपुर से 9km दूर उत्तर दिशा में स्थित है, मंडोर पुराने समय में मारवाड़ राज्य की राजधानी हुआ करती थी | अब मंडोर में एक सुन्दर बगीचा बना हुआ है और इस बगीचे में देवताओं की साल व वीरों का दालान, अजीत पोल, एक थम्बा महल ,संग्राहलय,विभिन्न राजा महाराजाओं की छतरियां व देवल (स्मारक) […]
Bhupendra Singh Chundawatबलिदानों की धरती मेवाड में वीरों के पूजन की परंपरा रही है। उदयपुर में सगसजी सुल्तानसिंहजी से लेकर अन्य कई क्षत्रिय वीरों को सगसजी के रूप में पूजा जाता है। ये लोक देवता के रूप में मान्य हैं। श्रावण के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार को एक साथ सगसजी के जन्मोत्सव मनाया जाता […]