राजस्थान का ज्यादातर इतिहास कवियों व साहित्यकारों द्वारा काव्य रचनाओं में लिखा गया है| चारण कवियों ने इतिहास की प्रत्येक घटना, प्रत्येक इतिहास पात्र पर डिंगल भाषा में अपनी कलम चलाई है| अत: राजस्थान का इतिहास समझने के लिए डिंगल भाषा सहित राजस्थानी साहित्य का अच्छा ज्ञान आवश्यक है| यही नहीं जो साहित्यकार राजस्थान के इतिहास की जानकारी नहीं रखता वह राजस्थान का साहित्य भी नहीं समझ सकता| क्योंकि राजस्थान का साहित्य ऐतिहासिक घटनाओं का संदर्भ लिए होता है अत: जो व्यक्ति उस घटना की जानकारी नहीं रखता वह उस रचना को भी ढंग से नहीं समझ सकता| “शेखावाटी के वीर गीत” पुस्तक भी महज गीतों के संग्रह की पुस्तक नहीं है, इस पुस्तक में जो गीत है वे अपने आप में शेखावाटी जनपद का इतिहास समेटे हुए है जो किसी भी इतिहास शोधार्थी के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है|
राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार, इतिहासकार श्री सौभाग्यसिंह शेखावत, भगतपुरा द्वारा लिखित ‘शेखावाटी के वीरगीत’ नामक इस संकलन में शेखावाटी जनपद के शेखावत शासकों, वीरों, दातारों और आदर्श पुरुषों पर उनके जीवनकाल में घटित घटनाओं, उनकी चारित्रिक विशेषताओं तथा देश और समाज के लिए उनकी देन पर चरित्र नायकों के समकालीन कवियों द्वारा रचित गीतों को लिया गया है।
गीत राजस्थानी साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है। यह लोकगीतों से सर्वथा भिन्न प्रकार की है। लोकगीत जहाँ गेय काव्य है वहाँ वीरगीत पाठ्य काव्य है। वीरगीतों में मुख्यत: गीतनायकों की यशोगाथा वर्णित है। परन्तु इनमें काव्यत्व की प्रधानता होने से कवियों की कल्पनाओं और वर्णन वैशिष्टय का अनूठा प्रयोग तो दिखाई देता ही है, पर साथ ही इतिहास के लिए भी इनका अति महत्व है। अनेकानेक महान पुरुषों और इस देश के लिए बलिदान होने वालों की जानकारी इन गीतों में ही जीवित है। यह गीत राजस्थान के भूतकालीन इतिहास, यहाँ की सांस्कृतिक परम्पराओं और जनमानस के जीवनादशों से ओतप्रोत हैं। किसी भी देश, समाज और व्यक्ति विशेष का जीवन दर्शन काव्य स्रोतों में ही जीवित रह पाता है। देश और समाज की पहिचान त्याग और बलिदान के द्वारा ही की जा सकती हैं। इस दृष्टि से शेखावाटी जनपद और जन-समाज का प्राचीन इतिहास जानने के लिए यह गीत संग्रह महत्व का सिद्ध होगा।
श्री सौभाग्यसिंह जी का विचार था कि शेखावाटी के शेखावतों से पूर्व कालीन तथा समसामयिक तोमरों, कायमखानी चौहानों, शेखावाटी के उदार सेठों और अन्य जातियों के विषय में भी गीत मिलें तो इस संकलन में सम्मिलित करें पर पूर्ण प्रयास के बावजूद भी वे इस में सफल नहीं हो सके।
प्रस्तुत संग्रह की सामग्री राजस्थान, मालवा, बंगाल और गुजरात राज्यों के हस्तलिखित ग्रन्थ भण्डारों तथा निजी संग्रहों से संकलित की गई है। संकलन के चरित्रनायकों की ऐतिहासिक टिप्पणियां तैयार करने में कु. सा. देवीसिंहजी मण्डावा, ठा, सा. सुरजनसिंह जी झाझड़, ठा. सा. लक्ष्मणसिंह जी ऊडूका का पूरा सहयोग रहा है। प्रेस कापी तैयार करने में श्री सौभाग्यसिंह जी की पौत्री कुमारी रजनी शेखावत तथा सोनू शेखावत का सहयोग रहा है।
यह संग्रह श्री शार्दूल ट्रस्ट भूझुनू और राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर द्वारा प्रकाशित किया गया है । पुस्तक का पूफ संशोधन राजस्थानी साहित्य के प्रेमी श्री हरिप्रसादजी पारीक, प्रिंटिंग हाउस, जोधपुर ने किया है। 400 पृष्ठ की यह पुस्तक Rajasthani Granthagar से यहाँ क्लिक कर ऑनलाइन मंगवाई जा सकती है|