39.3 C
Rajasthan
Tuesday, June 6, 2023

Buy now

spot_img

खेटां रौ खावंद-राव मालदेव

मूर्धन्य साहित्यकार, इतिहासकार श्री सौभाग्यसिंह शेखावत की कलम से……….

नौकूंटी मारवाड़ री गौरव पूजा में बढौतरी करबा वाळा सूर वीर नर नाहरां में मारवाड़ रा धणी राव मालदेव (Rao Maldeo Rathore Jodhpur) रौ नांव सिरै गिणीजै। जोधपुर रै माटै जितरा राजा बिराजिया, जितरा खळ खैटा हुवा उण में सगळां सूं टणका, ठाढ़ा, लूठा नै जबरा जुद्ध राव मालदेव रै जुग में हुवा।

राव मालदेव मारवाड़ रौ इज नीं महाराणा संग्रामसिंघ मेवाड़ रै पछै आखा राजस्थान रौ अेकलो अैड़ौ राजा हुवौ जिकौ दिल्ली रा बादसा सेरसाह सूं खंवांठौरी किवी। भटभेड़ी लिवी। राव मालदेव रौ संवत 1568 में जळम हुवौ नै 1588 में जोधपुर री गादी माथै बैठियौ। उण समै जोधपुर रै हेटै सोजत अर जोधपुर दो इज पड़गना हा। मारवाड़ रा पौकरण, फळोधी, बाड़मेर, कोटड़ा, खेड़, महेवा, सिवाणा, मेड़ता, नागौर आद आखा पड़गनां में आपरै आपेधापे रा राजा, राव, नबाब राजा हा। मालदेव रौ राज उण समै जाबक छोटौ-सौ हुंतौ। सगळा आपैथापै राजा बणिया राज करता। कोई किणी रौ ग्यान गिंनार नीं करतौ। केन्द्रबळ रै रूप में कठैई सकती रौ जोड़-तोड़ नीं हौ। राव मालदेव नै मारवाड़ रा बीजा भाई बंध सासकां रो मनमता पणौ अबखौ लखायौ। नै गादी पर बैठतां ई मालदेव सगळां सूं पैली आपरा गोतर भाई राठौड़ां में जिका री थोड़ीघणी लोळ उणा रै साथ लखाई सांकड़ा लिया। आप री सेना रौ संगठण कियौ। विरोध राखण वाळां माथै सनी दीठ पड़ी। सगळां सूं पैली भादराजूण पर धावौ मार उण नै जोधपुर नीचे घाली। पछै कांकड़ सींवाळी रा अड़सगारा मेड़ता रा दूदावतां रै लार हुवौ। मेड़ता रौ धणी राव वीरमदे भी आग रौ पूळौ, बूंदी रा झाड़ां रौ बाघ, इंदर रौ बजराक, संकर रौ तीजौ नेतर, दु्रवासा रौ कोप नै भीम रा आपांण रौ सांपरत मूरत हो। रहणी-कहणी रौ खरौ नै खारौ। पछै कांई ढील। पाथर सूं पाथर भिड़ै जद तौ आग इज निकलै। जोधपुर नै मेड़तौ बेहूं कैरव पखधारी करण नै पांडूपूत अरजण रै लगैढगै। जैड़ा राव वीरमदेव रा जोधा रायमल, रायसल, ईसरदास, जयमल्ल, वीठळदास, सांवळदास नै अरजण उणी भांत रा राव मालदेव रा पखधर राव जैतौ, कूंपौ, रतनसी, पंचायण, अखैराज, प्रथीराज, देईदास, मेघराज अेक सूं अेक आगळा। रण रा रसिया। काळी रा कळस। जमराज रा जेठी जिका औसर माथै नीं तांणै हेटी। जमदूत रै इज ठोकै भेटी। सांस रा सहायक। सैणां रा सैण। खळां रा खोगाळ। रण भारथ रा भोपाळ। सिंघ री झपट, बाराह री टूंड री टक्कर। संपा रा सळाव री भांत दुसमणां रै माथै बजराक गैरबा में सैंठा।

मेड़ता री रणभौम में हजारां जोधारां री मुंडकियां थळी रा मतीरां ज्यूं गुड़ी। हजारां घोड़ां हाथियां रौ कचरघांण हुवौ। राव मालदेव जीतिया। मेड़़तिया हारिया। पछै राव मालदेव री सेना मेड़ता सूं धकै बध नै अजमेर माथै भी आपरौ हांमपाव कियौ। मारवाड़ में नागौर पर जद खानजादां रो राज हुंतौ। राव मालदेव नागौर नै जीतण रा ताका मौका जोवै इज हौ। नागौर रौ खान राव मालदेव रा भावंडा रा थाणायत माथै धावौ मार नै उणनै मार लियौ। पछै कांई हौ। ऊंधे ही नै बिछायो लाधौ। आपरा सेनापति कूंपा नै मेल नै खान नै पछाड़ अर नागौर दाब लिधी। सीवाणा रा धणी डूंगरसी नै तौ आघौ ताड़ियौ नै सीवाणा रा किला नै पड़गना नै भी मारवाड़ रै दाखल कियौ। सीवाणा पछै जालौर री सायबी भी सिकन्दरखां नै खोड़ा में घाल खोस लिवी।

राव मालदेव इण भांत जोधपुर रा आड़ौस-पाड़ौस रा सासकां नै ठौड़ ठिकाणै लगा, उणा रौ राज खोस अर पछै बीकानेर माथै घोड़ा खड़िया। घणा जबरा राटाका रै पछै बीकानेर रा धणी जैतसी नै रण सैज पौढ़ाय बीकानेर माथै भी आपरौ कबजौ जमायौ।

अठी नै तो राव मालदेव मारवाड़ माथै एक छत्र राज जमा रियौ ही अर उठी नै दिल्ली में मुगल पातसाह हुमायूं नै रणखेत में पछाड़नै अफगान सेरसाह सूर दिल्ली में तप रियौ हौ। सेरसाह सूरवीरता में सम्रथ। न्याव में नौसेरवां रौ औतार। पाणी पैली पाळ बांधै जैड़ौ। मालदेव रै प्रताप री बातां सांभळ नै मालदेव रा दोखी राव वीरमदेव अर राव कल्याणमल बीकानेरिया नै छाती लगाया। पछै अस्सी हजार घोड़ां री, हाथियां री, तोपखानां री फौज सजा मारवाड़ पर धारोळियौ। राव मालदेव भी आपरी रण बंकी सेना रा साठ हजार घोड़ा लेय नै सांमै चढ़ियौ। अजमेर री पाखती गिरी समेल कनै दोना फौजां रा डेरा हुवा। म्हीनै खांड ती फौजां आमनै-सामनै डेरा रोपियां पड़ी रैयी। पछै अेक दिन आखतौ व्हैने वीरवर कूंपै राव मालदेव नै राड़ रा चौगान सूं काढ़ नै जोधपुर भिजवा दियौ। कैंणगत है- लाख मरौ पण लाख नै पोखाणियौ नीं मरौ। सो, जबरा-जबरी राव मालदेव नै कूंपै समेल सूं जोधपुर भेज दियौ। साख रौ दूहौ है-

कूंपौ कैवै-
तूं ठाकर दीवाण तूं, तो ऊभै सोह कज्ज।
राज सिधारौ मालवे, करण मरण बळ लज्ज।।

राजा जी थां जीवै सारा थोक है। थां राठौडां रा धणी हौ। इण वास्तै राड़ सूं निकळ परा जावौ नै जुद्ध री लाज नै भरभार कूंपा पर छोड़ो।
पछै राठौड़ जैतो, राठौड़ कूंपौ, राठौड़ ऊदौ जैतावत, खींवौ ऊदावत, पंचायण करमसोत, जैतसी ऊदावत, जोगौ अखैराजोत, वीदौ भारमलोत, भोजराज पंचायणोत, अखैराज सोनगिरौ, हरपाळ जोधावत आद राव मालदेव रा बतीस उमराव आपरी बीस हजार फौज साथ ले सेरसाह री अस्सी हजार सेना सूं जाय भेटी खायी। पातसाही फौज नै रोदळ नै कण-कण री बखेर दिवी। राव मालदेव रा घना जोधार काम आया। अेक बीजो सौ महाभारत हुवौ। मिनखां, घोड़ां नै हाथियां रा धड़ां, पिंडा, चुळियां, नळियां, मुंडा, कबंधा रा पंजोळ लाग गया। राठौड़ रण सागर नै मचोळ नै काम आया। दिल्ली मंडळ रौ धणी रण रौ चकाबौ देख नै कैयो- अेक मूठी बाजरी रै खातर दिल्ली री सायबी खोइज ही।

राव मालदेव रा जोधारां रै रण रा चित्राम कवीसरां घण कोरिया है। राव अखैराज सोनगरा रै जुद्ध नै धाकड़ कबड्ड़ी री संग्या देवतै थकै कैयौ है-
फुरळंतां फौजांह, ढालां गयंद ढढोळतां।
रमियौ सर रौदांह, धाकड़ कबड्डी धीरउत।।
राठौड़ नगौ भारमलोत तौ सांप्रत काळौ नाग इज हुंतौ। उण री तरवार रौ डंक लागै पछै जीवणौ दूभर, फेर भी वौ दुसमण रूपी गारुड़ी रै बंधाण में नी आयौ-
देव न दांणव दीठ, अरक कहै भड़ अेहवौ।
नगियौ काळौ नाग, गारूड़वां ग्रहिजै नहीं।।
धावां सूंछक नै नगौ रण पड़ियौ, पण जीवतौ बचियौ।

समेळ रौ झगड़ौ मारवाड़ में वड़ी लड़ाई रै नांव सुं ओळखीजै। इण राड़ में राव मालदेव रा घणा जोधार काम आया। पछै सेरसाह समेळ सूं कूचकर मेड़ता अर जोधपुर माथै आयौ। जोधपुर रा किला नै फतै कर पाछौ गयौ। पण मालदेव निचलौ बैठणियौ नीं हौ। सेरसाह रै फोत हुंवतांई पाछौ जोधपुर आय दाबियौ। आप री फौज पाछी बणाई। जुद्ध रा साज सामान, घोड़ा रजपूत सिलह बणाय नै अजमेर पर काटकियौ। अजमेर माथै हाजीखां पठाण राज करै। हाजीखां आपरै बळू मेड़ता रा धणियां अर मेवाड़ रा राणा उदैसिंघ नै बुलायौ। अठी नै प्रथीराज जैतावत नै सेनानायक बणाय राव मालदेव अजमेर माथै फौज मेली। अैड़ै समै में प्रथीराज नै अजमेर पर मोकळती वेळां कैयौ-

पीथा पांणेजेह, आळोजे कहियौ इसौ।
भुइ ताहरे भुजेह, जैत तणा जोधां तणी।।
राव मालदेव विचार करती थकौ कैयौ- हे प्रथीराज जैतावत ! जोधां री औलाद री आ मारवाड़ री भौम थांरै इज भुजपांण माथै है।
एक दळ आहाड़ांह, दळ एक दुरवेसां तणा।
मांही भेड़तियाह, कळि करतां त्रीजोइ कटक।।

अजमेर में प्रथीराज घणौ पराक्रम दिखायौ। राव मालदेव री बात राखी। पछै वि. सं. 1610 में मेड़ता में राव जयमल रै साथ रै जुद्ध में बाज मुवौ।
प्रथीराज रै काम आयां पछै राव मालदेव आपरौ सेनापत पणौ प्रथीराज रा छोटा भाई देईदास जैतावत नै सौंपियौ। देईदास राव मालदेव रौ सेनापत बण घणां-घणां धौंकळ किया। सं. 1616 में जाळौर माथै फौजकसी करी। जालौर रा पठाण धणी मलिक बूढण ‘मलिकखां बिहारी नै हराय नै जाळौर नै जोधपुर नीचे घाली। पछै बादसाह अकबर आपरा सेनानायक सरफुदीन हुसैन मिर्जा नै राव जैमल री मदत मेड़ता माथै मेलियौ। देईदास, मेड़तिया जैमल अर उण री पक्ष री बादसाही सेना सूं भिड़ गयौ। महाभयांणक राड़ी हुवौ। घणा लड़ेता खेत रैया। कह्यौ है-

विगतौ करे व्रहास, ढालां मुडै ढोईयौ।
दुसासण दहु चहु दळे, दीठौ देवीदास।।
कळळियौ कविलास, समहर किरमाळां सरस।
जैत समोभ्रम जागियौ, दणियर देवीदारा।।
तूं तेजीयै सपताास, भीड़ै जुध करिबा भणी।
सातै हींसारव हुवै, दीपै देवीदास।।

दुसासण रै समान वीरता प्रगट करतौ देईदास वैरियां रा दळां में ओपियौ। राव जैता रौ कुळोधर देईदास सत्रु सेना रूपी अंधेरा नै नासतौ सूरज री भांत दीखियौ। देईदास रै घोड़ा रै हींसारव री हणहणाट सातौं दीपां में सुणीजी। अैड़ौ पराक्रम धणी देईदास जैतावत राव मालदेव निमत मेड़तै काम आयौ।
राजस्थान में राव मालदेव एक अजोड़ राजा हुवौ। दिल्ली रा अफगान नै मुगल पातसाहां री सेना सूं लोह रटाका लिया। मरु देस री सीमावां रो घणौ विस्तार कियौ। रात दिन खेड़-खेटा करतौ थकौ भी कदै निरास नै उदास नीं हुवौ।

राव मालदेव जुद्ध इज नीं लड़िया मारवाड़ में ठौड़-ठौड़ गढ़-कोटां, जीवरखां रा भी घणा निर्माण किया। प्रजा रै खातर कूवा-बावड़ियां खिंणाई। उण री सखरी प्रत पाळणा किवी। जद ई तौ राजस्थान रा ख्यातकारां राव मालदेव नै मंडळीक राजा, हिन्दुवां रौ पातसाह कैय नै चितारियौ है। कवि आसौ बारहठ राव मालदेव रै पुरसारथ रौ वरणन करते थकै कैयौ है-

कवण क्रिसन पति सबळ, काळ पति कवण अंगजित।
प्रिथीपत कंुण बाणपत, सुरपत कवण सतेजति।।
कवण नाथपति जीत, कवण केसवपति दाता।
सीतापति कुण सीत, कवण लखमण पति भ्राता।।
सबळ को अवर सूझै नहीं, जाचिग जंपै सयल जण ।
हिन्दुवां मांहि ओ हिन्दुवौ, मालपति मोटौ कवण।।

इण संसार में अगन सूं बढ नै सबळ कुंण हुवौ है। जमराज रै बिना अगंजित कुंण है। धनखधर अरजण सूं पराक्रम बळी कुंण हुवौ है। देवपति इन्द्र सूं ज्यादा वडौ राजा कुंण है। गोरखनाथ रै सिवाय वडौ जति कुंण हुवौ, भगवान् केसोराय सूं इधकौ दातार कुंण नै सीतामाता जैड़ी सती नै लिछमण सरीखौ भाई बीजौ कुंण हुवौ। इणां रै जोड़ रौ राव मालदेव रै बिना दूजौ कोई हिन्दूपति नीं दीखै।

राव मालदेव गादी बैठा जद फगत दोय पड़गनां रौ धणी ही अर पछै तैतीस पड़गना जीत नै मारवाड़ रा राज रौ बिस्तार कियौ। राव मालदेव जिका-जिका तुंबां पड़गना खाटिया उणा रा ख्यातां बातों में नांववार बखाण मिळे है। सुणीजै-

महि सोजत ली माल, भाल लियौ मेड़तौ।
माल लियौ अजमेर, सीम सांभर सहेतौ।।
बांको गढ़ बदनौर, माल लीधौ दळ मेले।
राइमाल रायपुर लियौ, भाद्राजण भेळे।।
नागौर निहचि चढ़ि नळै, खाटू लीधी खड़ग पणि।
तप पांण हुवौ गांगा तणौ, धींग मालदे सैंधणी।।
लोड लियौ लाडणूं, दुरंग लीधौ डिडवाणौ।
नयर फतैपुर नाम, आप वसि कियौ आपांणौ।।
कमधज लई कासली, रूक बळ लियौ रेवासौ।
चांप लई चाटसू, मुक्यौ वीरभाण मेवासौ।।
जड़ळग पण जाजपुर लियौ, गह छांडे कुंभौ गयौ।
मालदे लियौ मंदारपुर, लियौ टांक टोडो लियौ।।

इता ही इज नीं राव मालदेव सिवाणौ, जाळौर, सांचौर, भीनमाळ, बीकानेर फलोधी, पोकरण, उमरकोट, कोटडा़ै, बाड़मेर, चौहटण आड़ घणा पड़गना जीत नै मारवाड़ रै सामिळ किया।

मेवाड़ रा पासवानिया बणवीर नै चित्तौड़ सूं बारै काढ़ नै राणा उदैसिंघ नै चीतौड़ रौ घणी थरपबा में मदद दी, अर पछै जद राणौ उदैसिंघ पाछी आंख काढबा लाग्यौ जद कुंमलमेर अर हरमाड़ा में उण सूं भी भिड़बा में पाछ नीं राखी।

इणु भांत राव मालदेव आपरी आखी उमर जुद्धां रा नगारा बजावौ, सिंधूड़ा दूहा दिरावतौ रैयौ नै संवत 1616 में इण संसार में आपरी कीरत पाछै छोड़ नै अठै सूं विदा होय सुरलोक रौ राह लियौ।
मालदेव रै मरण पर कह्यौ है-
असी सहस अस’बार, सहस मैंगल मैमंतां।
हाजी अली मसंद, दैत राकस देखतां।।
भांगेसर वासरहिं, चडे रिण वदृहि जोड़ै।
फतैखान सारिखा मेछ, भूअ डंडि मरोडै़।।
टहियो पिराक्रम आप बळि, सत दुरिक्ख रक्खी सरणी।
माणी न मल्ल ऊभै मुणिस, सूर मुरद्धर वर तरुणि।।

राजस्थान री सीमा बधाबा वाळौ नै उण री रुखाळ करण वाळौ मारवाड़ री धरती माथै बीजौ अैड़ो प्रतापीक धणी नीं जलमियौ।

Rao Maldeo rathore jodhpur history in rajasthani bhasha, history of jodhpur

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

0FansLike
3,802FollowersFollow
20,800SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles