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Tuesday, September 26, 2023

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उपेक्षा का शिकार राणा सांगा स्मारक

राणा सांगा स्मारक बसवा : अपनी अप्रत्याशित शूरवीरता और संगठन क्षमता के बल पर बाबर की तोपों का तलवारों से मुकाबला कर भारतीय इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखवाने में कामयाब रहे मेवाड़ के राणा सांगा का शहादत स्थल और वहां बना उनका स्मारक रूपी चबूतरा आज उनके वंशजों की उदासीनता और सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के चलते उपेक्षित है| यही नहीं सरकार द्वारा राणा सांगा की स्मृति स्मारक के लिए आवंटित जमीन पर भी एक असामाजिक तत्व ने कब्ज़ा कर रखा है| दौसा जिले के बसुवा गांव में रेल की पटरियों के एकदम नजदीक राणा सांगा की याद में एक चबूतरा बना है स्थानीय निवासियों व गांव के सरपंच के अनुसार कुछ वर्ष पहले उदयपुर के एकलिंग नाथ ट्रस्ट की और से चबूतरे के लिए पत्थर आये थे पर उनके बाद किसी द्वारा ना सँभालने के चलते सभी पत्थर एक एक कर असामाजिक तत्वों द्वारा चुरा लिए गए| गांव के युवा सरपंच छोटेलाल गुर्जर ने ज्ञान दर्पण.कॉम से चर्चा करते हुए बताया कि यदि ट्रस्ट उक्त भूमि उसे पंचायत के अधीन दे देता तो आज वे यहाँ एक शानदार बगीचा लगवा देते, यदि पंचायत में आने वाला सरकारी फंड भी सरकार नहीं खर्च करने देती वे खुद ग्रामवासियों की मदद से राणा सांगा के स्मारक को एक शानदार बगीचे में बदल देते|

गांव के इस युवा सरपंच ने राणा सांगा को सम्मान देने हेतु गांव के चौराहे पर राणा सांगा की एक आदमकद प्रतिमा स्थापित करवा दी पर एक राजनैतिक दल के कतिपय लोगों ने इसकी सार्वजनिक निर्माण विभाग से शिकायत कर प्रतिमा अनावरण का काम रुकवा दिया| इन घटिया राजनैतिक सोच के लोगों के राजनैतिक षड्यंत्र की वजह से आज कई सालों से राणा सांगा की प्रतिमा चौराहे पर ढकी खड़ी अपने अनावरण का इन्तजार कर रही है| गांव की हर जाति का प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि राणा सांगा की प्रतिमा का अनावरण हो, तथा उनका शानदार स्मृति स्थल बने ताकि देशभर के लोग इस वीर को श्रद्धांजली देने व नमन करने आये ताकि गांव की राष्ट्रीय पहचान बने और गांव पर्यटन के नक़्शे पर उभरे लेकिन कतिपय राजनैतिक व्यक्तियों के षड्यंत्रों व सरकारी उदासीनता के चलते राणा का यह स्मारक आज उपेक्षित हो खंडहर बनने की और अग्रसर है|

पिछले एक माह के अंतराल में दो बार क्षत्रिय वीर ज्योति व वीर शिरोमणी दल के कार्यकर्ताओं द्वारा स्मारक स्थल व प्रतिमा स्थल पर जाकर ग्रामीणों से प्रतिमा अनावरण संबंधी बातचीत करने के बाद सरकारी नोटिश मिलने के बाद उदास हुए ग्रामीणों में उत्साह की लहर दौड़ गई|

कल 13 अप्रेल को भी ज्ञान दर्पण.कॉम के साथ क्षत्रिय वीर ज्योति के कई महारथियों ने मुंबई के भवन निर्माण व्यवसाय से जुड़े सामाजिक राजपूत नेता ओमप्रकाश सिंह के साथ बसुवा जाकर राणा के स्मारक पर नमन किया और गांव के सरपंच सहित गांव के कई मौजिज लोगों से चर्चा की व राणा की प्रतिमा बनाने के लिए सरपंच छोटेलाल की भूरी भूरी प्रशंसा करते उन्हें हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया|

इस चर्चा में सरपंच छोटेलाल गुर्जर ने बताया कि चुनाव आचार संहिता ख़त्म होते ही वह अपने चार माह के शेष कार्यकाल में प्रतिमा अनावरण की सरकारी अनुमति लेकर इसका विधिवत भव्य अनावरण करवा देंगे| सरपंच व ग्रामीण राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हाथों अनवारण चाहते है|
मुंबई से आये ओमप्रकाश सिंह जी ने सरपंच को आश्वस्त किया कि वे इसके लिए होने वाले कार्यक्रम में हर तरह से मदद करने को तैयार है|
देखते है अपने जीवन के अंतिम दिनों में राजनैतिक षड्यंत्रों का शिकार होने वाला राणा सांगा की प्रतिमा आज भी राजनैतिक षड्यंत्र का शिकार हो यूँ ही कपड़े में ढकी रहेगी या देश की नई पीढ़ी को स्वातंत्र्य का पाठ पढ़ाने हेतु अपना अनावरण करवा पाने में सफल होगी|

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10 COMMENTS

  1. एक पुस्तक मे पढा था की महाराणा सांगा एक युध मे 80 घाव लगने के बाद भी, हाथ, पैर पर भी तलवार लग गया था तब भी अंत तक लडते रहे।

  2. जिस दल विशेषके द्वारा यह रोक गया उसके नेता का भी बूत बनवा देते तो काम हो जाता.असल में इन लोगों को बिना कुछ किये सत्ता के सुख मिल गए यह बलिदान के महत्व को क्या जाने.आज किसी भी नेता के लिए यह जरुरी होना चाहिए की उसने सैनिक प्रशिक्षण लिया हो और युद्ध के समय उनहें मोर्चे पर जाने की प्रथम बाध्यता हो तो सब की धोती पैंटें पजामे भर जायेगे और राजनीती में आना ही लोग भूल जायेंगे.

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